* बिहार विवि में पीजी में नामांकन की जांच का मामला
मुजफ्फरपुर : बीआरए बिहार विवि में पीजी में छात्र-छात्राओं के नामांकन की जांच का फैसला लिया गया है. इससे विवि में खलबली मची हुई है. विवि के इस निर्णय से पीजी सेकेंड सेमेस्टर की परीक्षा दे चुके दर्जनों छात्र-छात्राओं को अपने नामांकन पर खतरा महसूस होने लगा है. ऐसे में उन लोगों ने इसका विरोध भी शुरू कर दिया गया. शनिवार को मैथिली विभाग के करीब एक दर्जन छात्राओं ने छात्र कल्याण डीन सहित अन्य अधिकारियों से मिल कर इसका विरोध जताया
छात्राओं का आरोप था कि यदि वे नामांकन के योग्य नहीं थे तो आखिर उनका नामांकन क्यों लिया गया? नामांकन के लिए दिये गये आवेदन को क्यों नहीं रद्द कर दिया गया? इधर, विवि के आदेश के बाद विवि के विभिन्न विभागों में पीजी में नामांकित छात्र-छात्राओं की जांच शुरू हो गयी है.
* डबल पीजी करना अधिकार
विवि के नये फैसले से पीजी के वैसे छात्र-छात्राएं भी जांच के जद में आ गये हैं जो दोबारा पीजी कर रहे हैं. ऐसे में वे इसे शिक्षा के अधिकार से वंचित किये जाने का प्रयास मान रहे हैं. शनिवार को विरोध करने आयी मैथिली विभाग की छात्राओं में भी कुछ ऐसी थी, जो इसी दायरे में आती हैं.
उनका कहना था कि ऑनर्स के बाद पहली बार पीजी में इस नियम को लागू करना समझ में आता है, पर दोबारा पीजी कर रहे छात्रों पर इसे कैसे लागू किया जा सकता है. यह उनका अधिकार है कि वे एक से अधिक विषय में पीजी करे.
* क्या है मामला
पीजी गर्ल्स हॉस्टल में नामांकन के लिए प्राप्त आवेदनों की जांच के दौरान पता चला कि विवि के पीजी कोर्सो में दर्जनों ऐसी छात्राएं नामांकित है, जिन्होंने ऑनर्स (स्नातक) अलग विषयों से किया है. इस आधार पर छात्राओं के हॉस्टल के लिए दिये गये आवेदन को रद्द कर दिया गया. साथ ही छात्र कल्याण डीन ने वर्ष 2011 से सभी विभागों में नामांकित छात्र-छात्राओं के नामांकन की जांच का निर्देश दिया. साथ ही ऑनर्स व पीजी विषय में अंतर होने पर उनके आवेदन को रद्द करने का निर्देश दिया.
* मैथिली विभाग की दर्जनभर छात्राओं ने जताया विरोध
* नामांकन में गड़बड़ी का ठीकरा विवि पर फोड़ा
* कई विभागों में शुरू हुई जांच का प्रक्रिया
– आंदोलन की चेतावनी
विवि प्रशासन की ओर से पीजी के नामांकन की जांच कराने के निर्णय से छात्र संगठनों में भी उबाल है. शनिवार को ही छात्र राजद ने इस निर्णय का विरोध किया. विवि अध्यक्ष अविनाश कुमार ने इसे छात्र विरोधी बताते हुए जल्द वापस नहीं लिये जाने पर आंदोलन की चेतावनी दी है.