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जंकशन परिसर पर ऑटो चालकों ने जमाया कब्जा

परेशानी . यात्रियों के लिए पैदल चलना भी होता है मुश्किल दरभंगा : रेलवे की झोली भरकर सर्वोच्च दर्जा हासिल करनेवाले यात्रियों को दरभंगा जंकशन पर काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है. सुविधा के नजरिए से यह स्टेशन कंगाल है. न तो प्लेटफॉर्म पर पूरी तरह से शेड है और न ही यात्रियों के बैठने […]

परेशानी . यात्रियों के लिए पैदल चलना भी होता है मुश्किल

दरभंगा : रेलवे की झोली भरकर सर्वोच्च दर्जा हासिल करनेवाले यात्रियों को दरभंगा जंकशन पर काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है. सुविधा के नजरिए से यह स्टेशन कंगाल है. न तो प्लेटफॉर्म पर पूरी तरह से शेड है और न ही यात्रियों के बैठने के लिए पर्याप्त बेंच ही. भीड़ होने की स्थिति में यहां टिकट खरीदना भी मुश्किल होता है. इन सभी परेशानियों से बड़ी समस्या इन दिनों स्टेशन परिसर में आवागमन करना हो गयी है. सहजता से न तो यात्री परिसर में प्रवेश कर पाते हैं और न ही बाहर ही निकल पाते हैं.
दरअसल पूरे जंकशन परिसर पर ऑटो व टेक्सी चालकों ने कब्जा सा जमा रखा है. बेतरतीब ढंग से अपनी गाड़ी खड़ी कर देते हैं. यात्रियों के आवागमन तक के लिए जगह नहीं छोड़ते. जाहिर तौर पर इस वजह से यात्रियों को काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है. आश्चर्यजनक पहलू यह है कि यात्रियों को इस समस्या के निजात दिलाने के प्रति विभाग पूरी तरह से लापरवाह बना हुआ है. हालांकि किसी वरीय पदाधिकारी के आगमन पर अपनी नौकरी बचाने के लिए जरूर संजीदा हो जाते हैं और चंद पल में ही पूरा परिसर खाली हो जाता है. स्थिति तो यह बन गयी है कि अब परिसर खाली देखते ही लोग स्वत: अनुमान लगा लेते हैं कि कोई पदाधिकारी आनेवाले हैं.
सभी गेट रहते जाम. जंकशन पर प्रवेश व निकास के लिए मुख्यरूप से दो गेट हैं. वैसे पार्सल के सामनेवाले गेट का उपयोग भी यात्री आवागमन के लिए करते हैं. ऑटो चालक इन तीनों गेट पर कब्जा जमाये रखते हैं. अपनी गाड़ी वीआइपी रोड पर इस कदर लगाये रहते हैं कि यात्रियों को पैदल आना-जाना भी मुश्किल होता है. सवारी बैठाने की होड़ में पूरा गेट घेरे हुए रहते हैं. यहां औसतन प्रतिदिन 35 से 40 हजार यात्री आवागमन करते हैं. इससे भीड़ का अंदाजा स्वत: लगाया जा सकता है.
विरोध करने पर उलझने के लिए हो जाते तैयार. हद तो यह है कि जब कोई यात्री इन ऑटो चालकों से अपनी गाड़ी साइड करने या फिर रास्ता छोड़ने के लिए कहते हैं मारपीट पर उतारू हो जाते हैं. इसकी वजह प्रशासनिक सुस्ती को माना जा रहा है.
गेट पर सजती दुकान. इतना ही नहीं जंकशन के प्रवेश स्थल पर अवैध दुकानें भी सजी रहती हैं. फल की दुकानों के साथ ही कई मोची, पॉलीथिन, खिलौनेवाले अपनी दुकान सजाकर जंकशन की सूरत को बदसूरत करते रहते हैं. कई खोमचेवाले तो प्लेटफॉर्म तक पर सामान बेचते नजर आते हैं.
समाप्त हो रहा टेंडर
हालांकि इस समस्या की जड़ मौजूदा टेक्सी स्टैंड का टेंडर समाप्त हो रहा है. विभागीय सूत्रों के अनुसार अगले तीन साल के लिए नया ठेका तय हो गया है. उसकी विभागीय प्रक्रिया चल रही है. मौजूदा टेंडर की अवधि समाप्त होने के बाद नये स्थल पर टेक्सी स्टेंड को स्थानांतरित कर दिया जायेगा. मंडल पदाधिकारी इसी का इंतजार कर रहे हैं और इधर यात्री परेशानी की चक्की में पिस रहे हैं.
प्रवेश से लेकर निकास द्वार तक जाम
ये है समस्या की वजह
दरअसल इस समस्या की जड़ में कहीं न कहीं रेलवे ही है. मालूम हो कि 10 जनवरी 2015 को तत्कालीन रेल राज्य मंत्री मनोज कुमार सिन्हा का आगमन दरभंगा जंकशन पर हुआ था. उस समय स्टेशन के सामने चल रहे टैक्सी स्टैंड को तत्काल हटाने का निर्देश तत्कालीन डीआरएम अरुण कुमार मल्लिक ने दिया. आनन-फानन में परिसर खाली करा दिया गया. इसके बाद ठेकेदार टेंडर की शर्त के अनुरूप जगह मुहैया कराने की मांग पर अड़ गया. साथ ही आवश्यक सुविधा उपलब्ध कराने की मांग करने लगा. इसे लेकर एक कमिटी भी बना दी गयी, लेकिन दो साल से अधिक का वक्त गुजरने के बाद भी इस समस्या का निदान नहीं हो सका है. इधर, ठेकेदार अपनी परेशानी का रोना रोते हुए विभाग को ही कटघरे में खड़ा कर दिया. बताया जाता है कि इसी आर में वह मनमानी कर रहा है.
पोर्टिको तक में लगी रहती हैं गाड़ियां
अब तो इन ऑटो चालकों का मनोबल इतना बढ़ गया है कि पोर्टिको तक में गाड़ी लगा देते हैं. खुद प्लेटफॉर्म के प्रवेश स्थल पर तैनात रहते हैं और वहीं से सवारी को अपनी गाड़ी में बैठाने के लिए खींचतान शुरू कर देते हैं. पोर्टिको के अतिरिक्त फुट ओवर ब्रीज तथा यूटीएस टिकट काउंटर तक को जाम रखते हैं. अब तो जंकशन परिसर से नो पार्किंग का बोर्ड भी किसी ने हटा दिया है.

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