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यूरोप के वृक्षों से गर्म हो रही धरती!

यह आम धारणा है कि वृक्ष धरती को ठंडा बनाये रखते हैं. साथ ही ये धरती के वायुमंडल में पैदा होनेवाली कार्बन डाइऑक्साइड को भी सोखते हैं. वृक्षों की पत्तियां, डालियां, तने आदि मिल कर सालाना करीब 2.4 बिलियन मीट्रिक टन कार्बन को सोखती हैं. लेकिन एक नये शोध अध्ययन में पाया गया है कि […]

यह आम धारणा है कि वृक्ष धरती को ठंडा बनाये रखते हैं. साथ ही ये धरती के वायुमंडल में पैदा होनेवाली कार्बन डाइऑक्साइड को भी सोखते हैं. वृक्षों की पत्तियां, डालियां, तने आदि मिल कर सालाना करीब 2.4 बिलियन मीट्रिक टन कार्बन को सोखती हैं.
लेकिन एक नये शोध अध्ययन में पाया गया है कि सभी वृक्ष यह काम नहीं करते और कुछ वृक्ष ऐसे हैं, जो धरती को ठंडा नहीं करते. ‘साइंस एमएजी डॉट ओआरजी’ की रिपोर्ट के मुताबिक, शोधकर्ताओं ने यूरोपियन फॉरेस्ट मैनेजमेंट में पिछले 260 सालों में आनेवाले बदलावों के अध्ययन में पाया कि इस महाद्वीप के ग्रीन एरिया में 10 फीसदी की बढ़ोतरी होने के बावजूद वर्ष 1750 से क्षेत्रीय तापमान में कुछ हद तक वृद्धि ही हुई है.
फ्रांस में गिफ-सर-वेटे में लैबोरेटरी ऑफ क्लाइमेट साइंस एंड एनवायर्नमेंट के शोधकर्ताओं ने यूरोप में वनों के पिछले 260 सालों के आंकड़ों के आधार पर मॉडल तैयार किया. इसमें वृक्षों की प्रजातियों को विभाजित करते हुए यह समझने का प्रयास किया गया कि पर्यावरण के लिहाज से वे कितने बेहतर हैं. इस महाद्वीप के कुछ खास वनीय इलाकों में 1750 के मुकाबले 2010 में तापमान में करीब 0.12 डिग्री सेंटीग्रेड की बढ़ोतरी हुई. तापमान बढ़ाने वाले ज्यादातर वृक्ष आर्थिक रूप से इस्तेमाल होने वाले हैं, जिनमें ओक और कोनीफर प्रजाति के स्प्रूस व पाइन आदि हैं.
इसमें कोनीफर को तापमान बढ़ाने वाला पाया गया. शोधकर्ताओं ने वनों के स्वरूप में होने वाले अन्य बदलावों का भी अध्ययन किया, जिसमें जाना गया कि वनों से निकलने वाले रेडिएशन और ऊर्जा की मात्रा कितनी होती है़

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