नयी दिल्ली:ऑपरेशन ब्लूस्टार को तीन दशक हो गये. 3 जून 1984 को ही इस घटना को अंजाम दिया गया था. इस घटना के पीछे पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा को दोषी माना जाता है इसी घटना का बदला लेने के लिए उन्हीं के अंगरक्षक ने उन्हें गोली मार दी. सिखों के लिए अलग देश "खालिस्तान" की मांग और इसके बाद भारतीय इतिहास में एक नया पन्ना जोड़ने वाले व्यक्ति जरनैल सिंह भिंडरावाले थे. 3 जून को तीस साल हो गये जब पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने ऑपरेशन ब्लू स्टार के आदेश दिया था. ऑपरेशन ब्लू स्टार के दो साल बाद भिंडरावाले और उनके साथियों के स्मारक बनाये गये. तीन मंजिल स्मारक एक 30 वर्ग फुट भूखंड पर बनाया गया. स्वर्ण मंदिर के म्यूजियम में इनकी तसवीर लगाई गई है जो सिखों को आज भी उनकी याद दिलाती है.
क्या है ऑपरेशन ब्लू स्टार
सिखों के लिए भिंडरावाले और उनके साथियों ने बलिदान दिया यह कहना त्रिलोचन सिंह का है. जोकि भाई अमरीक सिंह के इकलौते पुत्र हैं ऑपरेशन ब्लू स्टार में इनकी भी मृत्यु हो गई थी. 1983 में भिंडरावाले ने अपने साथियों के साथ स्वर्ण मंदिर में शरण ले ली. स्वर्ण मंदिर से ही भिंडरावाले ने अपनी गतिविविधियां शुरू कर दी. अलगाववादी गतिविधियों के कारण धीरे-धीरे सरकार और उनके बीच टकराव होने लगा. टकराव के चरम स्तर पर पहुंच जाने के बाद प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 3 जून 1984 को ऑपरेशन ब्लू स्टार के आदेश दे दिए. साथ ही भारतीय सेना को स्वर्ण मंदिर में धावा बोलने का आदेश दिया. पांच दिन चले ऑपरेशन ब्लू स्टार के तहत भिंडरावाले और उसके साथियों के कब्जे से स्वर्ण मंदिर को मुक्त करा लिया गया. इस कार्रवाई में भिंडरावाले की मौत हो गई. इंडियन आर्मी का कहना है कि इस ब्लू स्टार ऑपरेशन में 492 लोगों की मौत हुई साथ हीं 136 आर्मी के जवान भी इसमें शहीद हुए.
क्या बदलाव आया है पंजाब में
ऑपरेशन ब्लू स्टार के तीन दशक हो चुके हैं लेकिन सोचने वाली बात है कि पंजाब में क्या बदलाव की बयार बही है. यहां युवाओं को आगे बढ़ने का मौका नहीं मिल रहा है. यहां रोजगार की कमी है् किसानों की हालत भी कुछ ज्यादा अच्छी नहीं है. यहां के युवा नशा करने में सबसे आगे हैं. यहां हर तीन में से एक छात्र नशे का शिकार है. भिंडरावाले का मानना था कि युवाओं में वह शक्ति है जो कि परिवर्तन ला सकता है. हमें बस उन्हें सही रास्ता दिखाने की जरुरत है. एक साक्षात्कार में इतिहासकार जी एस ढिल्लन ने कहा कि आज राज्य में आज ऐसे लोगों की कमी है जो युवाओं के लिए आदर्श बन सके. 1980 के दशक में ऐसे हीरो थे जो राज्य के उत्थान के साथ युवाओं को प्रोत्साहन देते थे.