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Friday, March 29, 2024

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सारधा मामला: घोटालेबाजों को ममता ने बनाया सांसद

कोलकाता: 2013 में सारधा ग्रुप के चेयरमैन सुदीप्त सेन के फरार होने की खबर सामने आने के बाद सारधा घोटाला प्रकाश में आया था, पर पूर्व आइपीएस अधिकारी डॉ नजरूल इसलाम का दावा है कि उन्होंने 13 जुलाई 2012 में ही राज्य सरकार को इस घोटाले की जानकारी दे दी थी. अपनी दो नयी पुस्तकों […]

कोलकाता: 2013 में सारधा ग्रुप के चेयरमैन सुदीप्त सेन के फरार होने की खबर सामने आने के बाद सारधा घोटाला प्रकाश में आया था, पर पूर्व आइपीएस अधिकारी डॉ नजरूल इसलाम का दावा है कि उन्होंने 13 जुलाई 2012 में ही राज्य सरकार को इस घोटाले की जानकारी दे दी थी.

अपनी दो नयी पुस्तकों के विमोचन समारोह में मीडिया से बातचीत में डॉ इसलाम ने कहा कि उस वक्त वह एडीजी ट्रेनिंग के पद पर तैनात थे, उन्हें काफी लोगों से चिटफंड कंपनियों के अवैध धंधे की जानकारी मिली थी. उस समय उन्होंने मुख्यमंत्री को एक पत्र लिखना चाहा था, पर तत्कालीन डीजी ने उनके पत्र को मुख्यमंत्री को फॉरवर्ड करने से मना कर दिया, जिसके बाद उन्होंने मुख्य सचिव को वह पत्र भेज कर चिटफंड कंपनियों के खिलाफ कदम उठाने की बात कही, पर कोई कार्रवाई नहीं हुई और चिट फंड कंपनियां दोनों हाथों से लोगों को लूटती रहीं. अपने पत्र में उन्होंने सारधा , रोजवैली, अलकेमिस्ट समेत 12-13 चिटफंड कंपनियों के अवैध धंधे की बात कही थी. पूर्व आइपीएस ने आरोप लगाया कि पुलिस और राजनीतिज्ञों की सहायता के बगैर जालसाजी का काम इस धड़ल्ले से चलना संभव नहीं है.

पुलिस के पास सभी प्रकार की जानकारी होती है. जानकारी हासिल करने के लिए पुलिस जनता का करोड़ों रुपये खर्च करती है. ऐसे में यह कहना कि सुदीप्त सेन के फरार होने से पहले पुलिस प्रशासन को सारधा घोटाले की जानकारी नहीं थी, सरासर गलत है. डॉ इसलाम ने कहा कि मुख्यमंत्री के किसी कार्यक्रम में जाने पर आइबी अपनी रिपोर्ट में बताती है कि उस कार्यक्रम में कौन-कौन व्यक्ति था और उसका किरदार और कारोबार कैसा है. फिर सुदीप्त सेने से भेंट होने पर आइबी ने क्या मुख्यमंत्री को रिपोर्ट नहीं दी थी.

मुख्यमंत्री की पेंटिंग्स की कीमत पर सवाल

इसलाम ने कहा कि लोग चित्रकार के नाम के आधार पर उसकी पेंटिंग्स की कीमत देते हैं, पर मुख्यमंत्री की पेंटिंग्स को भी करोड़ों रुपये में बेचा गया. यह भी एक प्रकार का घूस है. डॉ इसलाम ने कहा कि जिन लोगों को भ्रष्टाचार के आरोप में जेल में होना चाहिए था, ममता बनर्जी ने उन्हें सांसद बना दिया. अपनी नयी किताब ‘हर डिसओनेस्टी’ में उन्होंने मुख्यमंत्री के इस तरह के गलत कामों के बारे में लिखा है. अपनी एक और पुस्तक ‘आइपीएस जीवनेर उप्लब्धीर जंत्रणा’ में उन्होंने अपनी नौकरी के दौरान उनके साथ पुलिस प्रशासन के रवैये के बारे में लिखा है. इन दोनों पुस्तकों को कोलकाता प्रकाशन ने प्रकाशित किया है.

सारधा मामले में मदन मित्रा भी गिरफ्तार होंगे: आसिफ

पूर्व तृणमूल कांग्रेस नेता और करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी में गिरफ्तार आसिफ खान ने मंगलवार को सियालदह कोर्ट में पेशी के दौरान पत्रकारों के सवालों के जवाब में राज्य सरकार पर फिर हमला बोला. सारधा घोटाला मामले में तृणमूल सांसद सृंजय बोस की गिरफ्तारी के संबंध में सवाल करने पर उसने कहा कि सारधा मामले में सीबीआइ परिवहन मंत्री मदन मित्रा को भी गिरफ्तार करेगी. अदालत में आसिफ खान ने कहा कि राज्य सरकार उसकी हत्या की साजिश रच सकती है. कोर्ट ने खान को नौ दिसंबर तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया. गौरतलब है कि विधाननगर कमिश्नरेट की पुलिस ने करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी में आसिफ खान को गिरफ्तार किया था. उसे साथ लेकर तलाशी अभियान के लिए पुलिस जब बेनियापुकुर पहुंची तो पुलिस के साथ बदसलूकी करने का आरोप उस पर लगाया गया. सरकारी कर्मचारी को काम में बाधा देने के आरोप में बेनियापुकुर थाने में उसके खिलाफ एफआइआर दर्ज किया गया था. जिस मामले में मंगलवार को उसे सियालदह कोर्ट में पेश किया गया. सुनवाई के दौरान आसिफ के वकील ने झूठे मामले में उसे (आसिफ खान) फंसाने का पुलिस पर आरोप लगाते हुए जमानत की मांग की. जिसे अदालत ने खारिज कर दिया.

शताब्दी राय से भी होगी पूछताछ

सारधा चिटफंड घोटाला मामले में तृणमूल कांग्रेस सांसद शताब्दी राय का नाम भी सामने आया है. बीरभूम से सांसद शताब्दी राय से पूछताछ के लिए प्रवर्तन निदेशालय (इडी) जल्द ही नोटिस भेजेगा. सारधा चिटफंड घोटाले की सीबीआइ के साथ ही इडी भी जांच कर रहा है. मामले में तृणमूल कांग्रेस से निलंबित सांसद कुणाल घोष और इसी पार्टी के राज्यसभा सदस्य सृंजय बोस गिरफ्तार हो चुके हैं. जानकारी के अनुसार, अब अभिनेत्री शताब्दी राय से भी इडी पूछताछ करने जा रही है. केंद्रीय जांच एजेंसी को पता चला है कि सारधा चिटफंड कंपनी के विकास में शताब्दी राय की अहम भूमिका थी. वह कंपनी की ब्रांड एंबेसडर थीं. वह बतौर ब्रांड एंबेसडर लोगों को सारधा कंपनी में निवेश करने के लिए प्रेरित भी करती थीं. इसके एवज में वह कंपनी से हर माह एक मोटी रकम लेती थीं. इसलिए जांच एजेंसी ने सारधा कंपनी में उनकी भूमिका को लेकर उनसे सवाल पूछने का फैसला किया है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, बहुत जल्द जांच एजेंसी द्वारा सांसद को पूछताछ के लिए सम्मन भेजा जायेगा.

मदन मित्रा को दोबारा सम्मन भेजने की तैयारी

परिवहन मंत्री मदन मित्रा को एक-दो दिन में अस्पताल से छुट्टी मिल सकती है. अस्पताल से छुट्टी मिलते ही परिवहन मंत्री को पूछताछ के लिए सीबीआइ दूसरा सम्मन भेजेगी. सीबीआइ सूत्रों के मुताबिक, अस्पताल से छूटने के बाद परिवहन मंत्री सीबीआइ कार्यालय नहीं पहुंचते हैं तो जांच एजेंसी उनके खिलाफ आवश्यक कार्रवाई करेगी. सीबीआइ उन्हें हिरासत में लेकर पूछताछ कर सकती है. परिवहन मंत्री को फिर से सम्मन भेजने के लिए सीबीआइ ने तैयारी शुरू कर दी है. गौरतलब है कि सारधा चिटफंड घोटाले में पूछताछ के लिए जांच एजेंसी ने पहले ही परिवहन मंत्री को सम्मन भेजा था, लेकिन तबीयत ठीक न होने की वजह से मदन पूछताछ के लिए सीबीआइ के सामने हाजिर नहीं हो सके. उधर, एसएसकेएम अस्पताल के सूत्रों के अनुसार, श्री मित्रा को अस्पताल से छुट्टी देने के मुद्दे पर बुधवार को मेडिकल बोर्ड के सदस्यों की बैठक होगी.

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