पूसा. बदलते मौसम में किसानों को पॉली हाउस में सब्जी, फल व फूलों की खेती की ओर एक आस जगी है. जिले एवं इससे बाहरी किसान पॉली हाउस तकनीक प्रशिक्षण के लिए मोहताज बने बैठै हैं. मछही मुजफ्फरपुर के एक किसान अयोध्या प्रसाद कहते हैं कि यह तकनीक तो ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए बेहतर है पर वहीं खड़े आधा दर्जन किसानों ने बताया कि ससमय प्रशिक्षण उपलब्ध नहीं हो रहा है. यहां पर प्रश्न यह भी उठता है कि इन क्षेत्रों के गोद में बसे आरएयू में भी यह तकनीकी प्रशिक्षण का उचित व्यवस्था है. मगर किसान प्रशिक्षण लेने आये तो कैसे. आखिर बिहार सरकार के उद्यानिकी विभाग किसी परियोजना के तहत उन किसानों को कृषि विश्वविद्यालय तक पहुंचायेगा तब तो प्रशिक्षण संभव है. आरएयू के कुछ वैज्ञानिकों का कहना है कि हम लोग मुफ्त में नवीनतम तकनीक ही दे सकते हैं. संपूर्ण प्रशिक्षण के लिए तो धन की आवश्यकता पड़ती है. जिसे बिहार सरकार को ही वहन करना पड़ता है. सोचा जा सकता है कि अभी के समय में किसान खुद वैज्ञानिक से ज्यादा जानकार होने का दावा करते हैं. 50 फीसदी बात सही भी है. अयोध्या प्रसाद जैसे ही कई किसानों ने बताया कि ऐसी स्थिति में उन्नत खेती का तकनीक जानना संभव नहीं है. हम जैसे किसान प्रायोगिक कर के ही उनसे बेहतर तकनीक पैदा करते हैं.
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पॉली हाउस प्रशिक्षण के लिए किसान मोहताज
पूसा. बदलते मौसम में किसानों को पॉली हाउस में सब्जी, फल व फूलों की खेती की ओर एक आस जगी है. जिले एवं इससे बाहरी किसान पॉली हाउस तकनीक प्रशिक्षण के लिए मोहताज बने बैठै हैं. मछही मुजफ्फरपुर के एक किसान अयोध्या प्रसाद कहते हैं कि यह तकनीक तो ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए बेहतर […]
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