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खुद अपने भीतर झांके मीडिया

24 घंटे खबरें देनेवाला इलेक्ट्रॉनिक मीडिया दर्शकों को अपने चैनल से बांधे रखने के लिए संघर्ष कर रहा है. उसे कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में खबरों की गुणवत्ता से समझौता करना उसकी मजबूरी बन गया है. लिहाजा देश में पीत पत्रकारिता अपने चरमोत्कर्ष पर है. खबरों के नाम पर ऊलजुलूल […]

24 घंटे खबरें देनेवाला इलेक्ट्रॉनिक मीडिया दर्शकों को अपने चैनल से बांधे रखने के लिए संघर्ष कर रहा है. उसे कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में खबरों की गुणवत्ता से समझौता करना उसकी मजबूरी बन गया है. लिहाजा देश में पीत पत्रकारिता अपने चरमोत्कर्ष पर है.

खबरों के नाम पर ऊलजुलूल चीजें परोसी जा रही हैं. संभवत: हस सभी लोग ऐसी चीजें देखना-सुनना पसंद नहीं करते, पर चैनलवाले अपना हित साधने के लिए ये सब कर रहे हैं. दुखद यह है कि प्रिंट मीडिया भी इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की राह पर चल निकला है. कई नामचीन प्रतिष्ठित पब्लिशिंग हाउस भी सारी मर्यादाएं लांघ रहे हैं. यह एक खतरनाक संकेत है. पहले बच्चों को टीवी चैनल देखने से मना किया जाता था, अब उन्हें अखबार पलटने से भी मना करना पड़ेगा. क्या मीडिया के लोग इस पर ध्यान देंगे? विनय भरत, ई-मेल से.

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