गया: जिला विद्यालय निरीक्षिका कार्यालय में प्रधान लिपिक नरेंद्र नाथ शास्त्री लाचार हो गये हैं. वह न तो बोल पाते हैं. शरीर से लाचार नरेंद्र का यह हाल शिक्षा विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों का लापरवाही का परिणाम है. प्रधान लिपिक के पद से जनवरी, 2011 में सेवानिवृत्त होने के बाद शास्त्री सितंबर, 2012 में लकवा के शिकार हो गये. पैसे की अभाव में समुचित इलाज नहीं हो सका.
अब तो वह दो जून की रोटी के लिए भी मुहताज बने हैं. इसके बावजूद अब तक कालबद्ध प्रोन्नति, कर्तव्य अवधि का वेतन, भविष्य निधि, ग्रुप बीमा, पेंशन आदि लंबित है. वह अब भी शिक्षा विभाग के पंचायती अखाड़ा स्थित क्र्वाटर में ही रहते हैं. उन्होंने डीएम को आवेदन देकर पेंशन-वेतन आदि के भुगतान का अनुरोध किया है. इसमें कहा गया है कि संबंधित अधिकारियों द्वारा टाल-मटोल किया जा रहा है. इससे उनकी बीमारी का इलाज तो दूर, दो जून की रोटी के भी लाले पड़ गये हैं. इससे पहले उन्होंने 19 अगस्त, 2012 को लोक आयुक्त को भी आवेदन देकर सभी लंबित राशि के भुगतान करने का अनुरोध किया था.
इसमें कहा गया है कि अधिकारियों की लापरवाही के कारण कालबद्ध प्रोन्नति प्रथम व द्वितीय बाधित है. 18 माह का कर्तव्य अवधि का वेतन भुगतान भी लंबित है. सामान्य भविष्य निधि व ग्रुप जीवन बीमा की निकासी भी नहीं की जा सकी है.
इस स्थिति में परिवार का भरण-पोषण करने में भी काफी कठिनाई हो रही है. दो जनवरी, 2013 को लोकायुक्त ने जिला शिक्षा पदाधिकारी कार्यालय के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (स्थापना) से जवाब-तलब करते हुए एक माह के अंदर रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है, लेकिन कार्यक्रम पदाधिकारी कुमारी रजनी अंबष्ठ के बातों पर विश्वास करें तो वह पत्र उनके कार्यालय में अब तक नहीं आया है. उन्होंने बताया कि सेवानिवृत्त लिपिक शास्त्री की संचिका हाल ही में उनके पास आयी है. उपस्थिति पंजी व वेतन भुगतान पंजी के आधार पर उनकी सेवा की गणना की जा रही है. संबंधित लिपिक कंचन माला से पंजी की मांग की गयी है. यथाशीघ्र इनके सभी समस्याओं का निराकरण कर दिया जायेगा.