नयी दिल्ली : राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के 2010 के एक साक्षात्कार का हवाला देते हुए कांग्रेस ने मंगलवार को मोदी सरकार पर निशाना साधा. कांग्रेस ने कहा कि डोभाल ने जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को जेल से छोड़ने को राजनीतिक फैसला बताया था और ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी जवाब दें कि क्या वह इस ‘ राष्ट्र विरोधी फ़ैसले ‘ की जिम्मेदारी लेंगे.
थिंक टैंक ‘विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन’ की वेबसाइट पर प्रकाशित डोभाल के साक्षात्कार का स्क्रीन शॉट शेयर करते हुए कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा है कि अजीत डोभाल ने कहा था कि मसूद अज़हर को रिहा करना एक राजनीतिक फैसला था.
सवाल: यह किसका राजनीतिक फ़ैसला था?
उत्तर: भाजपा सरकार का…तो क्या अब मोदी जी, रविशंकर प्रसाद इस राष्ट्र विरोधी फ़ैसले की जिम्मेदारी लेंगे?’
उन्होंने कहा, ‘मोदीजी के एनएसए अजीत डोभाल ने आतंकी मसूद अजहर को विस्फोटक व बंदूक़ चलाने की जानकारी भी न होने का दिया ‘क्लीन चिट सर्टिफ़िकेट’-
1. मसूद को आईईडी बम बनाना भी नहीं आता
2. मसूद को निशाना लगाना नहीं आता
3. अज़हर को रिहा करने के बाद पर्यटन में 200 प्रतिशत की वृद्धि.’
सुरजेवाला ने दावा किया कि अजीत डोभाल ने कांग्रेस-यूपीए सरकार की नीति को राष्ट्र हित में बताया था और कहा था कि यूपीए सरकार" हाईजैकिंग को लेकर ठोस नीति लायी है. यानी न कोई रियायत और न ही आतंकवादियों से कोई बातचीत. मोदी जी, इसके लिए 56 महीने के कोरे भाषण नहीं, हिम्मत चाहिए.’
दरअसल, सुरजेवाला ने यह ताजा हमला उस वक्त किया है जब कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी मसूद अजहर को वर्षों पहले भारतीय जेल से छोड़े जाने को लेकर डोभाल पर तंज कसते हुए सोमवार को इस आतंकी के लिए ‘जी’ शब्द लगाकर संबोधित कर बैठे. इसको लेकर भाजपा ने उन पर जमकर निशाना साधा.
किताब में क्या लिखा डोभाल ने
1999 में इंडियन एयरलाइंस के जिस विमान का अपहरण किया गया था, उसके अपहरणकर्ताओं को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई का पूरा समर्थन प्राप्त था. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल ने इस बात का खुलासा जनवरी 2017 में किया था. उन्होंने मायरा मैकडॉनल्ड की किताब ‘डिफीट इज ऐन ऑर्फन: हाउ पाकिस्तान लॉस्ट द ग्रेट साउथ एशियन वॉर’ में इस बात का उल्लेख किया है. डोभाल ने किताब में लिखा कि हमने अपहरणकर्ताओं पर जो भी दबाव बनाया था, आईएसआई ने उसे खत्म कर दिया था. उन्होंने लिखा कि विमान के पास आईएसआई के दो लोग खड़े थे. जल्द ही कई और वहां पहुंचे. उनमें से एक लेफ्टिनेंट कर्नल और दूसरा मेजर था. चीजें तब और खराब हो चुकी थी जब भारतीय अधिकारियों को मालूम हुआ कि अपहरणकर्ता सीधे आईएसआई अधिकारियों से बात कर रहे थे.