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यात्रा के दौरान अब सीधे चालक से बात कर सकेंगे मेट्रो के यात्री

चीन की डालियान कंपनी द्वारा निर्मित रैक अत्याधुनिक खूबियों से हैं लैस गुरुवार को नोवापाड़ा कारशेड में पटरी पर उतरी नयी मेट्रो रैक कोलकाता : गुरुवार को मेट्रो की नयी रैक को नोवापाड़ा कारशेड में रेल पटरी पर उतार दिया गया. इस दौरान मेट्रो रेलवे के अधिकारियों के साथ चीन की कंपनी डालिया के इंजीनियरों […]

चीन की डालियान कंपनी द्वारा निर्मित रैक अत्याधुनिक खूबियों से हैं लैस

गुरुवार को नोवापाड़ा कारशेड में पटरी पर उतरी नयी मेट्रो रैक

कोलकाता : गुरुवार को मेट्रो की नयी रैक को नोवापाड़ा कारशेड में रेल पटरी पर उतार दिया गया. इस दौरान मेट्रो रेलवे के अधिकारियों के साथ चीन की कंपनी डालिया के इंजीनियरों की टीम भी मौजूद थी. चीन में निर्मित यह रैक कई खुबियों से लैस है. इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि मेट्रो में सफर कर रहा हर व्यक्ति किसी भी समय सीधे तौर पर मेट्रो के चालक से बात कर सकेगा. इससे किसी भी दुर्घटना से निपटने में चालक को मदद मिलेगी.

टॉक बैक बटन के माध्यम से यात्री सीधे मेट्रो चालक से बात करेंगे. यह बटन सीसीटीवी कैमरे से जुड़ा होगा. बटन ऑन होते ही कैमरा ऑन हो जायेगा. चालक अपने केबिन में बैठा उक्त यात्री के बात कर सकेगा. चालक अपनी सीट पर बैठे-बैठे ही जान सकता है कि मदद मांगनेवाला यात्री किस बोगी में बैठा है. चाइन की डालियान कंपनी द्वारा निर्मित ट्रेन के कुल आठ रैक भारत पहुंचे हैं. प्रत्येक बोगी का वजन 40.9 से 42.9 टन है. यानी पूरी ट्रेन का वजन लगभग 364 टन बताया जाता है. यह पहले की ट्रेनों से जहां ज्यादा आरामदायक और बेहद सुरक्षित भी है.

अत्याधुनिक नये कोच में 3200 यात्री एक साथ यात्रा कर सकते हैं. जबकि 408 यात्री बैठकर यात्रा कर सकते हैं. ट्रेन की प्रत्येक बोगी में 28 टन का वातानुकूलित सिस्टम लगा है. ट्रेन के अंदर निगरानी के लिए 24 सीसीटीवी कैमरे लगे है. प्रत्येक बोगी में तीन कैमरे है. इसकी एक खासियत हैं इसके दरवाजे. जहां वर्तमान मेट्रो ट्रेनों का निकास द्वार 128 मिली मीटर चौड़ा है, वहीं इसके दरवाजे 1400 मिली मीटर चौड़े हैं. दरवाजे स्वचालित है जिसमें अत्याधुनिक रोजेक्टेड चैनल लगा हुआ है जिससे इसके फंसने की संभावना ना के बराबर है.

मेट्रो रेलवे की मुख्य जनसंपर्क अधिकारी इंद्राणी बनर्जी ने बताया कि डालियान कंपनी द्वारा निर्मित इस रैक का ट्रॉयल रन एक-दो दिनों में शुरू हो जायेगा. रैक में अगर किसी भी प्रकार के मोडिफिकेशन की गुंजाइश नहीं रही तो चीन से बाकी के रैकों को भी कोलकाता लाने के लिए हरी झंडी दे दी जायेगी. श्रीमती बनर्जी ने बताया कि समुद्री जहाज से एक मेट्रो रैक को चीन से कोलकाता पहुंचने में एक महीने का समय लग जाता है. बुधवार को कोलकाता पोर्ट से डीजल इंजन द्वारा माझेरहाट-सियालदह-दमदम के रास्ते नोवापाड़ा कारशेड लाया गया.

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