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पटना : बाघों की सुरक्षा को बनेगा टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स
होमगार्ड की जगह टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स के 112 जवान यहां किये जायेंगे तैनात पटना : अंतरराष्ट्रीय सीमा के नजदीक बिहार के इकलौते टाइगर रिजर्व वीटीआर में बाघों की सुरक्षा के लिए अब 80 होमगार्ड की जगह अत्याधुनिक हथियारों से लैस टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स के 112 जवान रखे जायेंगे. इन्हें तीन साल तक वीटीआर में काम […]
होमगार्ड की जगह टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स के 112 जवान यहां किये जायेंगे तैनात
पटना : अंतरराष्ट्रीय सीमा के नजदीक बिहार के इकलौते टाइगर रिजर्व वीटीआर में बाघों की सुरक्षा के लिए अब 80 होमगार्ड की जगह अत्याधुनिक हथियारों से लैस टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स के 112 जवान रखे जायेंगे. इन्हें तीन साल तक वीटीआर में काम करना अनिवार्य होगा.
वहीं दूसरी ओर, चालीस साल की उम्र पार करने पर इनकी सहमति से इन्हें फॉरेस्टगार्ड के रूप में रखा जायेगा. इसके लिए केंद्र सरकार को छह करोड़ रुपये का प्रस्ताव भेजा गया है. वहां से स्वीकृति मिलते ही राज्य सरकार से अनुमति के बाद बहाली का काम शुरू हो जायेगा.
नये सिरे से की जायेगी बहाली
राज्य के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स की नये सिरे से बहाली होगी. इसमें पुलिस विभाग की मदद ली जायेगी और उनके द्वारा तय शारीरिक सहित अन्य मानकों का अनुसरण किया जायेगा. बहाली में तीस फीसदी स्थानीय और सत्तर फीसदी अन्य लोगों को रखा जायेगा. बहाली के बाद इन्हें बाघों की सुरक्षा संबंधित प्रशिक्षण दिया जायेगा.
तीन स्थानों पर
होगी तैनाती : टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स के 112 जवानों की तैनाती तीन टुकड़ियों में वीटीआर के मदनपुर, नौरंगिया जोन और गौरंगना में की जायेगी. वहां एसएसबी के तर्ज पर इनके लिए बेस कैंप बनाया जायेगा. वहां इनके रहने, खाने सहित आने-जाने के लिए वाहनों की व्यवस्था होगी.
बाघों की सुरक्षा के लिए जरूरी
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के वन संरक्षक सह अपर सचिव सुरेंद्र सिंह और वन संरक्षक सह बेतिया के निदेशक एचके रॉय ने कहा कि वीटीआर भारत-नेपाल सीमा के पास है. वहीं चीन की सीमा भी नजदीक है. ऐसे में शिकारियों और तस्करों से बाघों को खतरा बना रहता है. वर्ष 2015-16 में शिकारियों के हमले में पांच बाघ मारे गये थे. सभी मुद्दों को लेकर अत्याधुनिक हथियारों से लैस टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स की आवश्यकता है.
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