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चालीसा का पुण्यकाल : ईश्वर हमारे पापों को पेंसिल से लिखते हैं

फादर अशोक कुजूर किसी स्कूल में एक बहुत ही नटखट लड़का था़ कभी वह किसी को धक्का मार कर गिरा देता, तो कभी किसी की टिफिन चुरा कर खा लेता़ एक दिन उसने टीचर के पर्स से पैसे चुरा लिये. लड़के की शिकायत प्रिंसिपल तक पहुंची़ छात्र ने अपनी गलती स्वीकार ली़ प्रिंसिपल ने कोई […]

फादर अशोक कुजूर
किसी स्कूल में एक बहुत ही नटखट लड़का था़ कभी वह किसी को धक्का मार कर गिरा देता, तो कभी किसी की टिफिन चुरा कर खा लेता़ एक दिन उसने टीचर के पर्स से पैसे चुरा लिये. लड़के की शिकायत प्रिंसिपल तक पहुंची़ छात्र ने अपनी गलती स्वीकार ली़ प्रिंसिपल ने कोई डांट-फटकार नहीं लगायी़
उन्होंने एक डायरी निकाली और एक पेंसिल से उसमें कुछ लिखने लगे़ प्रिंसिपल ने लड़के को बताया कि उन्होंने इस डायरी में उसकी गलती के बारे लिखा है, पर यह पेंसिल से लिखा है़ अगर उसकी शिकायत दुबारा आयी, तो वे इसे पेन से लिखेंगे़ अगर शिकायत दुबारा नहीं आयी, तो जिस दिन वह स्कूल की पढ़ाई समाप्त करेगा, उसी दिन वे इसे रबड़ से मिटा देंगे़ प्रिंसिपल की ये बात लड़के के दिमाग में घर कर गयी.
पूरे स्कूली जीवन में उसकी शिकायत दुबारा प्रिंसिपल के पास नहीं गयी. जिस दिन स्कूल से उसकी विदाई हुई, प्रिंसिपल ने उससे पूछा कि उसके अच्छे स्वभाव के पीछे की वजह क्या थी़ लड़के ने कहा आपने मेरी गलती को पेंसिल से लिखकर मुझ पर भरोसा जताया़ मैं इस भरोसे को कैसे तोड़ सकता था़
चालीसा काल जीवन के शुद्धीकरण और नवीनीकरण का एक बेहतरीन अवसर है़ हमारे ईश्वर भी हमारे पापों को पेन से नहीं, बल्कि पेंंसिल से लिखते है़ं जब हम दिल से पाप स्वीकार कर पवित्रता की राह पर चलने का प्रण लेते हैं, तब ईश्वर हमारे पापों को अपनी दया रूपी रबड़ से मिटा देते है़ं लेखक डॉन बॉस्को यूथ एंड एजुकेशनल सर्विसेज बरियातू के निदेशक हैं

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