दुर्जय पासवान, गुमला
गुमला से करीब 25 किमी दूर बरकनी गांव से सटे जंगल में भाकपा माओवादी व जेजेएमपी के बीच मुठभेड़ हो रही है. रविवार शाम साढ़े चार बजे से शुरू मुठभेड़ देर शाम तक जारी रही. दोनों ओर से ताबड़तोड़ गोलियां चली है. गोली चलने के बाद बरकनी गांव के लोग घरों में दुबक गये. वहीं मुठभेड़ की सूचना पर बरकनी बाजार में भी अफरा-तफरी मच गयी. कई लोग बाजार से दुकान उठाकर भाग गये.
इधर, मुठभेड़ की सूचना पर गुमला पुलिस शाम साढ़े पांच बजे बरकनी गांव के लिए रवाना हुई. बताया जा रहा है कि पहले से बरकनी गांव के जंगल में भाकपा माओवादी के सबजोनल कमांडर बुद्धेश्वर उरांव का दस्ता भ्रमणशील था. अचानक रविवार को जेजेएमपी के कमांडर सुकर भी अपने दस्ते के साथ बरकनी जंगल पहुंच गया.
दोनों संगठनों के आमने सामने होने के बाद गोलीबारी शुरू हो गयी. देर शाम तक रूक-रूककर गोली चल रही थी. गुमला एसपी अंजनी कुमार झा ने कहा कि पुलिस मुठभेड़ की पुष्टी करने में लगी हुई है.
माओवादियों के सेफ जोन में घुसे जेजेएमपी
गुमला प्रखंड के कतरी पंचायत में बरकनी गांव है. यह गांव घने जंगल व पहाड़ों के बीच है. गांव तक जाने के लिए सड़क भी ठीक नहीं है. यह गांव पूरी तरह से प्रशासन से दूर है. प्रखंड के अधिकारी इस गांव में नहीं जाते हैं. यही वजह है. बरकनी भाकपा माओवादी का सेफ जोन है. क्योंकि इस गांव की जो भौगोलिक बनावट ऐसी है जो नक्सलियों के अनुकूल है. इस कारण जब भी भाकपा माओवादी अपने को असुरक्षित महसूस करते हैं.
बरकनी इलाके में प्रवेश कर जाते हैं. लेकिन रविवार को जिस प्रकार जेजेएमपी के उग्रवादी बरकनी गांव में घुसे हैं. इससे अब स्पष्ट हो गया है कि बरकनी भी अब माओवादियों के लिए सेफ जोन नहीं रहा. हालांकि रविवार शाम साढ़े छह बजे समाचार लिखे जाने तक मुठभेड़ जारी था. दो नक्सलियों के गोली लगने की भी सूचना है. लेकिन इसकी कोई अधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है.
इधर, मुठभेड़ की सूचना के बाद गुमला सदर थाना के थानेदार शंकर ठाकुर पुलिस बल के साथ बरकनी गांव के लिए रवाना हो चुके थे. पुलिस को भी शाम को मुठभेड़ की सूचना मिली थी. इसके बाद पुलिस माओवादी व जेजेएमपी दोनों को घेरने के लिए गांव के लिए रवाना हुई थी. यहां बता दें कि बरकनी प्रशासन की आंखों से दूर ऐसा गांव है. जहां किसी की हत्या होने के बाद उसका शव भी नहीं मिलता है.
इस गांव की एक महिला की हत्या कुछ साल पहले हो गयी थी. इसके बाद उसके शव को जंगल में गाड़ दिया गया. पुलिस कई बार शव खोजने का प्रयास की. लेकिन जंगल की बनावट के कारण पुलिस शव को खोज नहीं पायी थी. इस गांव के लोग आज भी विकास की बाट जोह रहे हैं. वहीं देर शाम तक गुमला पुलिस मुठभेड़ में किसी प्रकार के हताहत से अनभिज्ञ रही.