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मुजफ्फरपुर : कुपवाड़ा के लंगोट में आतंकियों से लड़ते शहीद हुए सीआरपीएफ इंस्पेक्टर ने कहा था, एक घंटे में बात करेंगे

चंदन सिंह कुपवाड़ा के लंगोट में शुक्रवार की दोपहर तीन बजे आतंकियों से लड़ते हुए शहीद हो गये सीआरपीएफ इंस्पेक्टर पिंटू मुजफ्फरपुर : शुक्रवार की दोपहर दो बजे पत्नी अंजू सिंह ने बात करने के लिए सीआरपीएफ इंस्पेक्टर पिंटू कुमार सिंह के मोबाइल पर कॉल किया था. उन्होंने कहा था कि एक घंटे में ड्यूटी […]

चंदन सिंह
कुपवाड़ा के लंगोट में शुक्रवार की दोपहर तीन बजे आतंकियों से लड़ते हुए शहीद हो गये सीआरपीएफ इंस्पेक्टर पिंटू
मुजफ्फरपुर : शुक्रवार की दोपहर दो बजे पत्नी अंजू सिंह ने बात करने के लिए सीआरपीएफ इंस्पेक्टर पिंटू कुमार सिंह के मोबाइल पर कॉल किया था. उन्होंने कहा था कि एक घंटे में ड्यूटी ऑफ होने के बाद बात करेंगे.
दोपहर तीन बजे आतंकियों के साथ मुठभेड़ में वह शहीद हो गये. सीआरपीएफ ने रात नौ बजे पिंटू के बड़े भाई इंद्रेश को उनके शहीद होने की सूचना दी. उस समय माड़ीपुर स्थित मकान में शहीद की पत्नी व चार साल की बेटी आरोही (पीहू) थी. पत्नी बार- बार परिजनों से अनहोनी की बात कह रही थी, लेकिन परिवार के लोग उनसे हकीकत छुपा रहे थे.
शनिवार की सुबह करीब नौ बजे टीवी पर पति की मौत की खबर सुनते ही वह बदहवास हो गयीं. वह बार- बार पति की तस्वीर को सीने से लगाकर बेहोश हो रही थीं. सुबह करीब ग्यारह बजे पिंटू की पत्नी व बच्चों के लेकर परिवार के लोग बेगूसराय जिले के बगरस ध्यानचक्की स्थित पैतृक गांव निकल गये. शहीद पिंटू का जन्म व पालन-पोषण बेगूसराय जिले में हुआ था,लेकिन इनका पैतृक गांव खगड़िया जिले स्थित ओलापुर गंगौर है. उनके पिता चक्रधर सिंह 80 के दशक में अपने ससुराल यानी राटन में जा बसे.
रविवार की सुबह पैतृक गांव पहुंचेगा शव. परिजनों ने बताया कि सीआरपीएफ कंट्रोल से बातचीत के दौरान जानकारीमिली है कि शव का हंडवारा में पोस्टमार्टम कराया जा रहा है. शनिवार देर रात पटना लाया जायेगा. उसके बाद शव को पैतृक गांव भेजा जायेगा.शव को रिसीव करने के लिए रात में परिवार के सदस्य पटना एयरपोर्ट के लिए रवाना हो जायेंगे.
एलएस कॉलेज से की थी पढ़ाई, ड्यूक हॉस्टल में रहे थे, दर्शन इंग्लिश स्पिकिंग कोर्स की डाली थी नींव
शहीद पिंटू कुमार सिंह का एलएस कॉलेज के प्रतिष्ठित ड्यूक हॉस्टल से गहरा नाता रहा था. उन्होंने स्नातक (2003- 2006) ड्यूक हॉस्टल के कमरा नंबर 23 व 56 में रहकर किया था. उन्होंने एलएस कॉलेज व हॉस्टल के गरीब व मेघावी छात्रों के लिए दर्शन इंग्लिश स्पिकिंग कोर्स की नींव डाली थी. इसमें उनके दोस्त रवि व संतोष ने भी साथ दिया था. इसमें छात्रों को मुफ्त में इंग्लिश की कोचिंग दी जाती है. यह क्लास आज भी चलती है.
2009 में सीआरपीएफ में हुई थी ज्वाइनिंग
पिंटू सिंह 2009 में सीआरपीएफ में ज्वाइन किया था. आठ साल तक वह मोतिहारी के मधुबन में पदस्थापित थे. उसके बाद 2017 में उनकी पोस्टिंग 92 बीएन में श्रीनगर हो गयी. 2011 में उनकी शादी बेगसूराय के ही सबलदपुर में अंजू सिंह से हुई थी. श्रीनगर ट्रांसफर होने के बाद पत्नी व बेटी माड़ीपुर में किराये की मकान में रहते हैं.
होली पर आने का किया था वादा
दोस्त के शहीद होने की खबर सुनकर इक्नॉमिक्स डिपार्टमेंट से पीएचडी कर रहे रवि प्रकाश पिंटू सिंह के माड़ीपुर स्थित आवास पहुंचे. उन्होंने बताया कि जब वे 2018 के नवंबर में छुट्टी पर आये थे तो उन्होंने 16 मार्च को होली की छुट्टी में घर आने की बात कही थी. लेकिन, उनके शहीद होने की खबर मिली.
पांच भाईयों में सबसे छोटा थे पिंटू
सीआरपीएफ के शहीद इंस्पेक्टर पिंटू सिंह पांच भाइयों में सबसे छोटे थे. उनके बड़े भाई अमलेश सिंह, मिथलेश सिंह, इंद्रेश सिंह, मनीष सिंह सभी गांव में ही किसानी करते हैं. सीआरपीएफ में पिंटू की नौकरी होने के बाद परिवार की माली हालत ठीक होने लगी थी.
भतीजा को राजन को सेना की वर्दी में देखने का था सपना
छोटे भाई की मौत के बाद बेसुध इंद्रेश सिंह ने बताया कि पिंटू पूरे परिवार का ख्याल रखता था. भतीजा राजन को सेना की वर्दी में देखना चाहता था. वह हमेशा राजन को सेना में भर्ती होने के लिए कड़ी मेहनत करने को प्रेरित करता था.
ड्यूक हॉस्टल में पसरा सन्नाटा
ड्यूक हॉस्टल के सीनियर साथी के शहीद होने की खबर जैसे ही छात्रों को मिली तो पूरे हॉस्टल में सन्नाटा पसर गया. सभी के चेहरे पर मायूसी छा गयी. छात्रों का कहना था कि पिंटू भैया हमलोगों के लिए प्रेरणा थे. वे जब भी छुट्टी में आते तो हमारे बीच आते और आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते.

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