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CM नीतीश ने NOU के भवन निर्माण का किया शिलान्यास, संकल्प रैली में आने का दिया न्योता

पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शुक्रवार को नालंदा जिले के सिलाव अंचल स्थित बड़गांव में नालंदा खुला विश्वविद्यालय, नालंदा के प्रस्तावित विभिन्न भवनों के निर्माण कार्य का शिलान्यास रिमोट के माध्यम से शिलापट्ट का अनावरण कर किया. नालंदा खुला विश्वविद्यालय के प्रस्तावित भवनों का निर्माण 89 करोड़ रुपये की लागत से 40 एकड़ भूमि […]

पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शुक्रवार को नालंदा जिले के सिलाव अंचल स्थित बड़गांव में नालंदा खुला विश्वविद्यालय, नालंदा के प्रस्तावित विभिन्न भवनों के निर्माण कार्य का शिलान्यास रिमोट के माध्यम से शिलापट्ट का अनावरण कर किया. नालंदा खुला विश्वविद्यालय के प्रस्तावित भवनों का निर्माण 89 करोड़ रुपये की लागत से 40 एकड़ भूमि में होना है. मुख्यमंत्री ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की.

शिक्षा के क्षेत्र में सरकार के उठाये गये कदमों को किया साझा

समारोह को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि 32 सालों बाद यहां नालंदा खुला विश्वविद्यालय की आधारशिला रखी गयी, इसकी मुझे बेहद खुशी है. नालंदा खुला विश्वविद्यालय बनाने को लेकर वर्ष 1987 में ही अध्यादेश जारी किया गया था. उस समय से आज तक यह विश्वविद्यालय पटना के बिस्कोमान भवन में किराये पर चल रहा है, जिससे वर्तमान में करीब डेढ़ लाख विद्यार्थी जुड़े हुए हैं. मुख्यमंत्री ने कहा कि नालंदा खुला विश्वविद्यालय के माध्यम से निजी और सरकारी सेवा में लगे लोगों के साथ ही पढ़ाई में रुचि रखनेवाले सजायाफ्ता लोग भी अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए यहां अपना नामांकन कराते हैं. ऐसे लोगों के लिए यहां विशेष सुविधा उपलब्ध है. इसलिए इस विश्वविद्यालय का काफी महत्व है. उन्होंने कहा कि सब डिवीजन स्तर पर हमलोगों ने डिग्री कॉलेज खोलने का निर्णय लिया है और 18 सब डिवीजन ऐसे हैं, जहां डिग्री कॉलेज नहीं हैं. वहां हमलोगों ने डिग्री कॉलेज स्थापित करने का निर्णय लिया है. हमलोगों ने तय किया है कि नालंदा खुला विश्वविद्यालय के माध्यम से वैसे सभी ब्लॉकों में इस विश्वविद्यालय का अध्ययन केंद्र स्थापित किया जायेगा, जहां डिग्री कॉलेज नहीं है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि नवंबर 2005 में हमारी सरकार बनी, उसी समय से ही शिक्षा के विकास के लिए अनेक कदम उठाये गये. आकलन कराये जाने के बाद 21 हजार नये स्कूलों की स्थापना करायी गयी. पुराने स्कूलों में नये क्लास रूम का निर्माण कराने के साथ ही तीन लाख से अधिक शिक्षकों का नियोजन किया गया. इसके बाद पुन: आंकलन कराया तो पता चला कि सबसे अधिक महादलित और अल्पसंख्यक समुदाय के बच्चे स्कूलों से बाहर हैं. उन्होंने कहा कि बच्चों को स्कूल पहुंचाने के लिए 30 हजार लोगों को लगाया गया. महादलित के बच्चों को स्कूल पहुंचाने के लिए टोला सेवक और तालिमी मरकज बनाकर अल्पसंख्यक समुदाय के बच्चों को शिक्षा स्वयं सेवकों के माध्यम से विद्यालय पहुंचाया गया.

मुख्यमंत्री ने कहा कि गरीबी के कारण माता-पिता अपनी बेटियों को प्रारंभिक शिक्षा के बाद छठी क्लास में नहीं भेजते थे. क्योंकि, वे अपनी बच्चियों के लिए अच्छे कपड़े खरीदने में असमर्थ थे. इसके बाद मिडिल स्कूल में पढ़नेवाली लड़कियों के लिए बालिका पोशाक योजना शुरू की गयी. इसके बाद हमने सोचा कि सिर्फ आठवीं क्लास तक लड़कियों के पढ़ने से काम नहीं चलेगा, कम-से-कम उनकी पढ़ाई मैट्रिक तक की होनी चाहिए. इसके लिए हमने 9वीं क्लास में पढ़नेवाली लड़कियों के लिए साइकिल योजना की शुरुआत की. उन्होंने कहा कि 2008 में जब हमने साइकिल योजना की शुरुआत की, उस समय 9वीं क्लास में पढ़नेवाली लड़कियों की संख्या 1 लाख 70 हजार से भी कम थी, जो अब बढ़कर 9 लाख के करीब हो गयी है. जब लड़कियां समूह में साइकिल चलाती हुईं स्कूल जाने लगीं, तो इससे लोगों की मानसिकता में बदलाव आया और पूरा परिदृश्य ही बदल गया. लड़कियों का सशक्तिकरण होने के लड़कों ने भी मांग शुरू की, जिसे देखते हुए लड़कों को भी साइकिल योजना का लाभ दिया जाने लगा. उन्होंने कहा कि अब तो मिडिल स्कूल में कहीं-कहीं लड़कियों की संख्या लड़कों से ज्यादा है और हाई स्कूल में लड़कियों की संख्या लड़कों के बराबर है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि इंटर के बाद आगे की पढ़ाई करनेवाले विद्यार्थियों की संख्या बिहार में काफी कम थी, जिसके कारण बिहार का ग्रॉस एनरोलमेंट रेशियो 13.9 था, जबकि देश का औसत 24 प्रतिशत है. बिहार ज्ञान की भूमि रही है. इसलिए हमने ग्रॉस एनरोलमेंट रेशियो को राष्ट्रीय औसत से भी आगे 30 प्रतिशत तक ले जाने का लक्ष्य तय किया है. इसके लिए हमने सात निश्चय योजना की शुरुआत कर स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड के माध्यम से इंटर से आगे की पढ़ाई करनेवाले विद्यार्थियों के लिए 4 लाख रुपये तक के शिक्षा ऋण का प्रावधान कराया. बैंकों के ढुलमुल रवैये के कारण राज्य शिक्षा वित्त निगम बनाकर 4 प्रतिशत के साधारण ब्याज पर शिक्षा ऋण मुहैया कराया जा रहा है, ताकि उच्च शिक्षा की ओर अधिक से अधिक बच्चे आकर्षित हो सकें. इसमें लड़कियों, दिव्यांगों एवं ट्रांसजेंडरों को केवल एक प्रतिशत ब्याज पर यह ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है. समारोह में शामिल लोगों से आग्रह करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि आप सभी अपने बच्चों को पढ़ाइये. उन्होंने कहा कि स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना के माध्यम से मिलने वाले ऋण को छोटे-छोटे किश्तों में लौटाना है और अगर उच्च शिक्षा हासिल करने के बाद भी रोजगार नहीं मिलता है, तो ऐसी स्थिति में उनका ऋण भी माफ किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि प्रजनन दर में कमी लाने के लिए प्रत्येक पंचायत में प्लस टू स्कूल खोलने का निर्णय किया गया और 2000 पंचायतों में हाई स्कूल को उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में उत्क्रमित किया गया है, जो शेष पंचायतें हैं, उस दिशा में काम आगे बढ़ रहा है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि 15 अगस्त 2020 तक नालंदा खुला विश्वविद्यालय के भवनों का निर्माण कार्य और फर्निशिंग का काम पूरा हो, तो मुझे खुशी होगी. उन्होंने कहा कि माना जाता है कि बख्तियारपुर में ही कैंप करके बख्तियार खिलजी ने नालंदा विश्वविद्यालय को ध्वस्त कराया था. नालंदा खुला विश्वविद्यालय को एनएमईआईसीटी, एक जिगाबाइट की मेमोरी से जोड़ा गया है. यह विश्वविद्यालय तेज गति से चलनेवाले इंटरनेट से जुड़ गया है. उन्होंने कहा कि एक भी बच्चा अनपढ़ नहीं रहे, क्योंकि पढ़ेगा तभी आगे बढ़ेगा. समारोह में शामिल लोगों से आह्वान करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि राजनीतिक बातें सुननी है, तो तीन मार्च को पटना के गांधी मैदान में आयोजित संकल्प रैली में जरूर हिस्सा लें. उन्होंने कहा कि समाज मे सहिष्णुता, सद्भाव और आपसी भाईचारा कायम रहेगा, तभी समाज आगे बढ़ेगा और विकास का पूरा लाभ आप सब को मिलेगा. समारोह को उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, शिक्षामंत्री कृष्णनंदन प्रसाद वर्मा एवं नालंदा खुला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो डॉ रवींद्र कुमार सिन्हा ने भी संबोधित किया.

पुस्तक का किया गया विमोचन

नालंदा खुला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो रवींद्र कुमार सिन्हा ने मुख्यमंत्री को पुष्प-गुच्छ, अंगवस्त्र एवं प्रतीक चिह्न भेंट कर उनका अभिनंदन किया. मुख्यमंत्री सहित मंच पर मौजूद अतिथियों ने नालंदा खुला विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार एग्जामिनी एसपी सिन्हा द्वारा लिखित नालंदा खुला विश्वविद्यालय के इतिहास पर आधारित पुस्तक का विमोचन किया.

कहा- कुलपति के सुझाव पर घोषित किया गया डॉल्फिन को घोषित किया गया राष्ट्रीय जल पशु

उन्होंने कहा कि इस विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो डॉ आरके सिन्हा को डॉल्फिन सिन्हा के नाम से भी जाना जाता है. इन्होंने गंगा की अविरलता और निर्मलता के लिए काफी अभियान चलाया है. इन्हीं के सुझाव और मेरे प्रस्ताव पर डॉल्फिन को राष्ट्रीय जल पशु घोषित किया गया.

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