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आप और बाजार दोनों खुश!

मुकेश कुमार युवा रचनाकार harpalmukesh@gmail.com हमारे देश में हाट-बाजार की बात ही निराली होती है. अपनी जरूरत के सामान को देखना-परखना फिर मोलभाव और तब खरीदारी. आज बाजार की स्थिति बदलती जा रही है. हालांकि, बाजार का परंपरागत ढांचा अब भी बरकरार है. लेकिन बदलते वक्त ने इंसान के साथ कारोबार का भी स्वरूप बदला […]

मुकेश कुमार
युवा रचनाकार
harpalmukesh@gmail.com
हमारे देश में हाट-बाजार की बात ही निराली होती है. अपनी जरूरत के सामान को देखना-परखना फिर मोलभाव और तब खरीदारी. आज बाजार की स्थिति बदलती जा रही है. हालांकि, बाजार का परंपरागत ढांचा अब भी बरकरार है. लेकिन बदलते वक्त ने इंसान के साथ कारोबार का भी स्वरूप बदला है. बाजार में बढ़ते मॉल का दिव्य मायाजाल, डिस्काउंट सेल, ऑनलाइन शॉपिंग ने ऐसे लोगों को अपनी गिरफ्त में ले लिया है.
एंड्रॉयड मोबाइल और कंप्यूटर से वास्ता रखनेवालों को अब बाजार जाने की जरूरत नहीं है, बल्कि बाजार खुद उनकी स्क्रीन में सिमटकर हाजिर हो गया है. आप कॉफी पीते रजाई में दुबककर भी अपनी शॉपिंग कर सकते हैं. किसी ने कहां सोचा था कि हर चीज ऑनलाइन हमारे घर पर मिलने लगेगी. आप खाने के शौकीन हों या पहनने के या फिर पढ़ने के, यहां सब कुछ उपलब्ध है. यह सुविधा भी है कि पसंद न आने पर वापस कर सकते हैं.
अगर देखा जाये, तो जो मजा हमारे परंपरागत बाजार में ही है, हालांकि अब उसकी कमी खलती है. वहां हम हाथ में झोला और पॉकेट में लिस्ट लेकर जाते हैं, जबकि यहां ऑफर के लालच में अनावश्यक खरीदारी हो जाती है, जो तत्काल तो जरूरत की लगती है, पर बाद में बेकार हो जाती है. जिसके बगैर हमारा काम चल ही रहा था, वह एक क्लिक पर आॅर्डर होकर घर पहुंच जाता है. जोश में कुछ दिन उपयोग होता है, फिर बाद में वह चीज केवल शोपीस बनकर रह जाता है.
अप्रत्यक्ष रूप से बाजार आपसे आपका यह हक छीनता जा रहा है कि आपको क्या खरीदना है, बल्कि अपनी मार्केटिंग रणनीति में यह बात प्रमुखता से रखता है कि कौन सा उत्पाद किस तरह बाजार में बेचना है?
धांसू विज्ञापन से किस तरह ग्राहक का मन मोहना है. यानी इस नये बाजार में आप अपनी जरूरत का सामान नहीं खरीदते, बल्कि बाजार अपने लक्ष्य के हिसाब से आपको अपना सामान बड़ी चालाकी से बेचता है. अब आपको सचेत रहना होगा कि आप जरूरत के हिसाब से सामान खरीदें, न कि आकर्षक सामान देखकर जरूरत पैदा कर लें. आज हमारे घर डाकिया आये या न आये, पर कोरियर वाला जरूर आ जाता है.
ऑनलाइन शॉपिंग करनेवालों की लत आज इतनी बुरी हो गयी है कि पंद्रह दिन भी नहीं हुए, पर उन्हें लगता है कि बहुत दिन हो गये कुछ शॉपिंग करनी चाहिए.
यानी अपना मूड ठीक करने के लिए भी शॉपिंग होने लगी है. आखिर उनके शॉपिंग एप्स की भरी हुई विशलिस्ट किस दिन काम आयेंगी. आये दिन किसी न किसी ‘डे’ के बहाने बाजार उत्सव में बदल रहा है और जिसकी पॉकेट गर्म है, वे अपने पैसे लुटाकर रोज दीवाली और होली मना रहे हैं.
कुल मिलाकर आज के बाजार में आपके चौकन्ना रहने की जरूरत है. खरीदारी में समझदारी का भी ध्यान रखना होगा. ऐसा है कि अब जेब सीधे नहीं काटा जाता, बल्कि आपको कोई प्रोडक्ट थमा दिया गया और कट गयी आपकी जेब. आप भी खुश और बाजार भी खुश!

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