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सोशल मीडिया पर बिछने लगी चुनावी बिसात, आम चुनाव की तैयारी शुरू
किशनगंज : लोकसभा चुनाव 2019 की घोषणा और आदर्श आचार संहिता कभी भी लग सकती है. लिहाज जिले में अलग-अलग पार्टियों से टिकट लेने की होड़ शुरू हो चुकी है. इसी क्रम में संभावित प्रत्याशी बैठकें और अपने अपने क्षेत्र के कार्यकर्ताओं और आम जनता के साथ-साथ पार्टी आलाकमान के यहां चक्कर लगाने के ताबड़तोड़ […]
किशनगंज : लोकसभा चुनाव 2019 की घोषणा और आदर्श आचार संहिता कभी भी लग सकती है. लिहाज जिले में अलग-अलग पार्टियों से टिकट लेने की होड़ शुरू हो चुकी है. इसी क्रम में संभावित प्रत्याशी बैठकें और अपने अपने क्षेत्र के कार्यकर्ताओं और आम जनता के साथ-साथ पार्टी आलाकमान के यहां चक्कर लगाने के ताबड़तोड़ दौरे शुरू कर चुके है.
जिले के सोशल मीडिया ग्रुप में जहां प्रत्याशियों के समर्थक मोर्चा हुए, अपने-अपने प्रत्याशियों की जीत का दावा करते नजर आ रहे है. वहीं पार्टियों की आईटी सेल भी सक्रिय हो चुकी है. फिलहाल हर पार्टी के नेता और उनके समर्थक सोशल मीडिया के माध्यम से अपनी पकड़ मजबूत करने में जुटी है.
फेसबुक में लगातार नयी आईडी बनाकर प्रचार-प्रसार शुरू
सोशल मीडिया में कुछ महीनों से नयी आईडी बनने का सिलसिला काफी तेजी से शुरू है. आईटी एक्सपर्टों की माने तो पिछले छह महीनों से लगभग तीन लाख नयी आईडी बनी है. सोशल मीडिया के एक प्रसिद्ध फेसबुक ग्रुप संचालक ने बताया कि रोजाना 500 से ज्यादा नये सदस्यों का अप्रूवल आ रहा है. जिसमें ज्यादातर इसी साल में बने अकाउंट है.
अपने-अपने प्रत्याशियों के समर्थन का सिलसिला शुरू
फेक आंकड़े के साथ सोशल मीडिया में अपने-अपने प्रत्याशियों के समर्थन में लोग एक दूसरों को अपशब्द बोलने से भी नहीं हिचकते. समर्थक,विरोधी प्रत्याशियों के खिलाफ सोशल मीडिया में आरोप-प्रत्यारोप लगाकर लगातार उनके समर्थक लगातार जहर उगलते नजर आ रहे है.
बदला चुनाव लड़ने का अंदाज
सोशल मीडिया के जमाने में चुनाव लड़ने का तौर-तरीका भी बदल गया है. सोशल मीडिया पर सक्रिय रहना अब नेताओं के लिए निहायत ही जरूरी है. दरअसल अब चुनावी हवा तैयार करने में सोशल मीडिया बेहद अहम भूमिका निभाने लगा है. कहना गलत नहीं होगा कि अब एक चुनाव सोशल मीडिया पर भी लड़ा जाने लगा है. भले ही अभी तक सोशल मीडिया इतनी निर्णायक भूमिका में नहीं है कि चुनावी नतीजों को अंतिम रूप से प्रभावित कर सके. लेकिन चुनावी मुद्दों के प्रचार-प्रसार मंच के रूप में यह एक बड़ा प्लेटफॉर्म बनकर उभरा है.
सभी पार्टियों का है आईटी सेल लगभग सभी पार्टी इस खेल की बड़ी खिलाड़ी है. जो नहीं है वो भी हवा के रुख को भांपते हुए सोशल मीडिया अधिकाधिक प्रयोग की तैयारी में है.
हालांकि,सोशल मीडिया के फॉलोवर्स को वोटबैंक में तब्दील करना वैसा ही है. जैसा कि चुनावी सभाओं में जुटने वाली भीड़ को देखकर वोटों का अंदाजा लगाना. इसके बावजूद इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि सार्वजनिक जीवन में राजनेताओं के लिए सोशल मीडिया को अपनाना निहायती जरूरी बनता जा रहा है. इसलिए ही आजकल देखने में आ रहा है कि जो नेता खुद अपना अकाउंट नहीं चला सकते. उनकी जगह उनकी टीम ये काम कर रही होती है.
जमीन पर भी उतरने लगें हैं राजनेता
देश का आम चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है. नेताजी का काफिला दिल्ली, पटना के अलावे अब सुदूरवर्ती गांव एवं टोलों तक पहुंचने लगा है. और गांव एवं बाजार में लगातार बैठकों का सिलसिला जारी है.
कार्यकर्ताओं को एक जुट करने में अभी से लग गयी हैं पार्टियां
एकाध पार्टियों को छोड़ दे तो अभी सभी पार्टियों में टिकट को लेकर उहापोह की स्थिति है. लेकिन अपनी-अपनी जमीन तैयार करने में संभावित उम्मीदवार अभी से जुट गये हैं.
टिकट के जुगाड़ में अभी से लगें हैं उम्मीदवार
लोकसभा चुनाव में टिकट की दावेदारी को लेकर कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहें हैं, संभावित प्रत्याशी, टिकट को लेकर वही कहावत चरितार्थ है कि एक अनार और आधा दर्जन बीमार, क्योंकि सभी दलों में टिकट को लेकर कई दावेदार है.अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इस चुनाव चौसर में टिकट प्राप्त किसे होता है.
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