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गया : नियुक्ति के 36 वर्ष बाद कर्मचारी की सर्विस बुक खुली, जांच शुरू
आशीष कर्मचारी ने राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग में की है शिकायत मामला नगर निगम के जल पर्षद के सेवानिवृत्त कर्मचारी का गया : आमतौर पर सरकारी नौकरी में किसी भी कर्मचारी की सर्विस बुक ज्वाइनिंग के साथ ही खुल जाती है, लेकिन नगर निगम की जल पर्षद में एक कर्मचारी की सर्विस बुक ज्वाइनिंग के […]
आशीष
कर्मचारी ने राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग में की है शिकायत
मामला नगर निगम के जल पर्षद के सेवानिवृत्त कर्मचारी का
गया : आमतौर पर सरकारी नौकरी में किसी भी कर्मचारी की सर्विस बुक ज्वाइनिंग के साथ ही खुल जाती है, लेकिन नगर निगम की जल पर्षद में एक कर्मचारी की सर्विस बुक ज्वाइनिंग के 36 वर्ष बाद खुली है. वह भी तब जब कर्मचारी सेवानिवृत्त हो चुका है. यह मामला जल पर्षद के सेवानिवृत्त की-मैन राजेंद्र पासवान का है. इस मामले में राजेंद्र पासवान ने राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग में शिकायत भी की है.
गौरतलब है कि 25 अप्रैल 1981 को राजेंद्र ने जल पर्षद में बतौर की-मैन ज्वांइनिंग की थी. जल पर्षद में उनकी सर्विस बुक खुली या नहीं खुली, इसके बारे में उन्होंने अपने स्तर पर बहुत जानकारी नहीं ली. 31 सितंबर 2012 को वे सेवानिवृत्त हो गये. उन्होंने नगर निगम में सेवांत लाभ के लिए आवेदन दिया. जब सेवांत लाभ के लिए उनकी सर्विस बुक खंगाली गयी, तो कई चौंकाने वाली गलतियां सामने आयीं.
बिना कमिश्नर के आदेश के खुली सर्विस बुक : राजेंद्र की सर्विस बुक 14 दिसंबर 2016 को बिना कमिश्नर से अनुमति लिये खोली गयी. इस सेवा पुस्तिका में जल पर्षद के कार्यपालक अभियंता का हस्ताक्षर है.
वहीं, वह प्रशासक (यह पद नगर निगम में 2002 में ही समाप्त कर दिया गया) मौजूदा समय में कमिश्नर का मुहर लगा है, जबकि उनका हस्ताक्षर नहीं है. हैरत की बात तो यह है कि इसमें राजेंद्र की सेवा संपुष्टि का प्रमाण पत्र नहीं है. इस मामले में स्थापना शाखा ने सेवा पुस्तिका को संदिग्ध बताया. क्योंकि सेवांत लाभ कर्मचारी की सेवा की बिना गणना किये नहीं मिल सकता है. इस मामले में यह बात भी संदेह के दायरे में है कि सेवा पुस्तिका ज्वाइनिंग के वर्षों बाद क्यों खोली गयी. क्यों नगर निगम के कमिश्नर से मामले में अनुमति ली गयी. सूत्रों की मानें, तो नगर निगम में कई कर्मचारियों के सेवांत लाभ का मामला अटका पड़ा है.
राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने मांगी रिपोर्ट
सेवांत लाभ का मामला नहीं सुलझता देख राजेंद्र ने मामले की शिकायत राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग से की. इसके बाद आयोग ने डीएम को पत्र भेज पूरे मामले की जानकारी ली. सूत्रों की मानें, तो आयोग के समक्ष नगर निगम आयुक्त ने अपना पक्ष रखा है. इसमें उन्होंने कर्मचारी के नियुक्ति पत्र, सेवा पुस्तिका व अन्य कागजात की जांच कराने की बात कही है.
इस मामले में निगम प्रशासन ने आयोग से 45 दिनों का समय लिया है. वहीं, नगर निगम आयुक्त डॉ ईश्वर चंद्र शर्मा ने मामले की जांच के लिए उपनगर आयुक्त दिनेश कुमार सिन्हा व जल पर्षद के कार्यपालक अभियंता राकेश कुमार को एक सप्ताह के अंदर जांच रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है.
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