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हम सब चाइनीज!
आलोक पुराणिक वरिष्ठ व्यंग्यकार puranika@gmail.com लगता है पूरी दुनिया ही चाइनीज हुई जा रही है. मोबाइल अधिकांश चाइनीज हो लिये हैं या कोरियन, बचे-खुचे मोबाइल अमेरिकन या जापानी हैं और उसके भी बचे-खुचे जो हैं, वह भारतीय मोबाइल रह गये हैं. हर दस में सात स्मार्टफोन चाइनीज हैं. यूं हम सघन घणे बहुत ही भारी […]
आलोक पुराणिक
वरिष्ठ व्यंग्यकार
puranika@gmail.com
लगता है पूरी दुनिया ही चाइनीज हुई जा रही है. मोबाइल अधिकांश चाइनीज हो लिये हैं या कोरियन, बचे-खुचे मोबाइल अमेरिकन या जापानी हैं और उसके भी बचे-खुचे जो हैं, वह भारतीय मोबाइल रह गये हैं. हर दस में सात स्मार्टफोन चाइनीज हैं. यूं हम सघन घणे बहुत ही भारी राष्ट्रीयता की भावना से ओत-प्रोत हैं. भावनाएं राष्ट्रीय हैं, पर फोन चाइनीज हैं. सपने अमेरिकन हैं.
पाकिस्तानी आतंक के पीछे चीन का फाइनेंस है. चीन का फाइनेंस कहां से आता है? जी वह उन भारतीयों की जेब से भी आता है, जिनके हर दस स्मार्टफोनों में से सात चाइनीज होते हैं. दस में सात स्मार्टफोन चाइनीज हैं, पर दिल हिंदुस्तानी है, जिसकी भावनाएं चाइनीज टाइप हैं, कतई फर्जी हैं.
दिल हिंदुस्तानी बचा है. पर कईयों के दिल का आॅपरेशन हो चुका है. दिल में आॅपरेशन के बाद एक उपकरण डाल दिया जाता है, जिसे स्टेंट कहा जाता है, यह चाइनीज हो सकता है. ऐसे मामलों में दिल भी चाइनीज माना जा सकता है. कभी-कभी लगता है कि दिल भी चाइनीज ही हो लिया है, जो एक के बाद एक के बाद चाइनीज स्मार्टफोनों पर आये चले जा रहे हैं.
चीन बहुत गहरे तक घुसा हुआ है, दिल से लेकर दिमाग तक, मोबाइल से लेकर स्टाइल तक. बड़े-बड़े भारतीय स्टार चाइनीज ब्रांडों के इश्तेहार कर रहे हैं. खैर, फिल्म स्टारों की बात तो समझ आती है, पर इधर बैडमिंटन जगत के कुछ बड़े नामों के चाइनीज ब्रांडों से जुड़ने की खबरें आयीं.
खिलाड़ी भी चाइनीज हो लिये हैं. खिलाड़ी क्या करें. खिलाड़ियों की आफत यह है कि जब तक वह तमाम चीजों को बेचते न दिखें, उन्हे बड़ा नहीं माना जाता. क्रिकेट में चेतेश्वर पुजारा टेस्ट क्रिकेट के बहुत बड़े बल्लेबाज हैं. पर उनके बारे में एक सवाल उठा कि वह तो तमाम ब्रांड बेचते हुए नहीं दिखायी देते, तो हम उन्हें बड़ा खिलाड़ी क्यों मान लें.
बड़प्पन सिर्फ खेल में ही नहीं चाहिए, बड़े रिकाॅर्ड सेल्समैनशिप में भी चाहिए. भारतीय आइटम ना मिलें बेचने को तो जापान, चीन कहीं के भी बेच लो. अब बिकवानेवाले ही चीन से आ रहे हैं, तो खिलाड़ी क्या करें. महानता का रास्ता अब चाइनीज होने के रास्ते से जाता है, दिल से भी दिमाग से भी चाइनीज. हम भी चाइनीज, तुम भी चाइनीज. वे भी चाइनीज, ये भी चाइनीज.
चीन सिर्फ देश नहीं है, चाइनीज सुनते ही घटिया और फर्जी क्वाॅलिटी का ध्यान आता है. पर यही तो हम सब भी हो लिये हैं, मोबाइलों की तरह.
चीन जो एक तरफ भारत से पैसा कमाता है, दूसरी तरफ भारत विरोधी पाकिस्तानी आतंकी मसूद अजहर को बचाता भी है. चीन का फर्जीपना तो समझ में आता है, यह उसका चरित्र है. पर भारतीय भी कतई चाइनीज हुए जा रहे हैं, सिर्फ स्मार्टफोनों के मामले में ही नहीं.
एक चाइनीज फोन से दूसरे चाइनीज फोन पर मैसेज जाता है- राष्ट्रभक्ति सर्वोपरि है, हमें देश बचाना है. चाइनीज फोन पर मैसेज चाइनीज फोन को जा रहा है, पर बचाना उससे भारत देश है. कितना चाइनीज विचार है ना यह?
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