कोलकाता : दर-दर की ठोकरें खाने के बाद जीने की इच्छा खत्म हो चुकी थी. इसीलिए जिनके साथ जीवन बिताया, उनके साथ ही मरने के लिए गंगा में छलांग लगायी थी. वो तो रहे नहीं, मैं अब जी कर क्या करूंगी. हे भगवान, मुझे मरने क्यों नहीं दिया. गंगा नदी से बचायी गयी शुक्ला दत्ता (62) यही बार-बार कह कर बिलख उठती थीं.
वह जिंदा बच जाने से बहुत दुखी थीं, जिसके लिए ईश्वर से नाराजगी जता रही थीं. वह अपने पति तापस दत्ता (70) के साथ शुक्रवार दोपहर 12 बजे के करीब अहिरीटोला से हावड़ा के गोलाबाड़ी की तरफ आ रही एक स्टीमर से गंगा में कूदी थीं. घटना अहिरीटोला फेरीघाट के पास शुक्रवार दोपहर 12 बजे के करीब की है. घटना के बाद दोनों को स्थानीय लोगों व पुलिस की मदद से पानी से बाहर निकाला गया.
अस्पताल ले जाने पर वृद्ध व्यक्ति की मौत हो गयी, जबकि उनकी पत्नी को सुरक्षित बचा लिया गया. अस्पताल में प्राथमिक उपचार के बाद शुक्ला दत्ता पति की मौत और खुद के बच जाने से काफी दुखी थीं. वह बिलखती हुईं अपना दर्द बयां की. वह बार-बार हाथ जोड़ कर उनके बेटे को खबर नहीं करने की विनती कर रही थी.
उन्होंने बताया कि उनका घर उत्तर 24 परगना में है. मेरे पति सीईएससी के रिटायर्ड इंजीनियर थे. घर में बेटा व बहू के अत्याचार से जिंदगी नर्क बन गयी थी. दिनभर घर में काम करने के बावजूद ठीक से खाना भी नहीं नसीब होता था.
खाना मांगने पर आधा दिन बेटे व बहू के अपशब्द सुनकर पेट भर जाता था. वे दोनों शारीरिक अत्याचार भी करते थे. इससे परेशान होकर उन्होंने तीन दिन पहले घर छोड़ दिया था. इसके बाद वे हावड़ा आ गये और एक लॉज में रहने लगे. रुपये नहीं होने के कारण गुरुवार रात को लॉजवालों ने वहां से भी बाहर निकाल लिया. इसके बाद दोनों गोलाबाड़ी से अहिरीटोला घाट में स्टीमर से आ गये. यहां भगवान का दर्शन करने के बाद शुक्रवार को दोनों ने जान देने का फैसला लिया.
इसके बाद फिर से दोनों अहिरीटोला घाट से गोलाबाड़ी की तरफ जा रही स्टीमर में सवार हुए और स्टीमर के बीच गंगा में पहुंचने पर दोनों स्टीमर से गंगा नदी में कूद गये. तुरंत स्टीमर के कर्मियों के अलावा अन्य मछुआरे भी गंगा नदी में कूद कर दोनों को पानी से बाहर निकाला. तब तक तापस की मौत हो चुकी थी. गोलाबाड़ी थाने की पुलिस उनके परिवार के संपर्क करने की कोशिश कर रही है. इधर, वृद्धा बार-बार बेटे को सूचना नहीं देने की विनती कर रही थी.