नयी दिल्ली : पुलिस ने दिल्ली उच्च न्यायालय में उस जनहित याचिका का विरोध किया जिसमें सिर्फ अनजान आरोपी वाले मामलों की बजाय सभी अपराधों में ई-प्राथमिकी दर्ज किये जाने की व्यवस्था करने का अनुरोध किया गया है.
पुलिस ने कहा कि इससे ‘कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग’ हो सकता है और व्यर्थ की ऑनलाइन शिकायतों से ‘निजी दुश्मनी’ निकाली जा सकती है.
दिल्ली पुलिस ने मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन और न्यायमूर्ति वी के राव की पीठ के सामने पेश हलफनामे में कहा गया है कि सभी मामलों में ऑनलाइन प्राथमिकी दर्ज करने से जांच प्रक्रिया पर बोझ बढ़ेगा और इससे इस तरह का कदम उठाने से पहले शुरुआती जांच करने की एजेंसी की शक्ति छिन जाएगी.
पुलिस ने अदालत से कहा कि ई-प्राथमिकी दर्ज करने में व्यावहारिक समस्याएं आती हैं और कानून की जटिलताएं नहीं जानने वाला व्यक्ति असरदार प्राथमिकी दर्ज नहीं करा पाएगा.
हलफनामे में कहा गया, इससे (ई-प्राथमिकी) पुलिस पर अत्यधिक जांच बोझ आ सकता है और इससे उचित मामलों में शुरुआती जांच करने की उसकी शक्ति में कटौती हो सकती है.
यह किसी भी तरह से अन्य लोगों को फंसाने के लिए दायर व्यर्थ की शिकायतों को अवसर तथा उनके प्रति अनुचित ढील दे सकता है. हलफनामा दो वकीलों तेजेंद्र सिंह और अनुराग चौहान द्वारा दायर याचिका के जवाब में दायर किया गया.
वकीलों ने केन्द्र, दिल्ली सरकार और पुलिस को राष्ट्रीय राजधानी में सभी संज्ञेय और असंज्ञेय अपराधों के लिए ऑनलाइन प्राथमिकी सेवा लागू करने का निर्देश देने का अनुरोध किया. अदालत ने इस मामले में आगे की सुनवाई के लिए 12 जुलाई की तारीख तय की है.