नयी दिल्ली : हिंदी साहित्य के प्रख्यात आलोचक डॉ नामवर सिंह के निधन पर राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने गहरा दु:ख जताया है. उन्होंने अपने शोक संदेश में कहा है कि नामवर सिंह का जाना हिंदी साहित्य समेत संपूर्ण भारतीय साहित्य जगत के लिए एक बड़ी क्षति तो है ही, यह निजी क्षति भी है. डॉ सिंह से वर्षों से निकटवर्ती और आत्मीय संबंध रहा.
उन्होंने साहित्य से इतर भारतीय परंपरा, संस्कृति, इतिहास समेत तमाम विषयों पर उनका समृद्ध ज्ञान उन्हें अपने आप में एक युग बनाता था. वे वर्तमान समय में एक व्यक्ति रूप में मुकम्मल संस्थान और इनसाइक्लोपीडिया थे. हिंदी साहित्य के सामाजिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक आयाम को अपार विस्तार देने में उनकी भूमिका को हमेशा महत्चपूर्ण माना जायेगा. उन्होंने कहा कि वे किसी विषय पर घंटों बोलते थे और जिस विषय पर बोलते, हमेशा लगता कि वे उसके विश्व-स्तर के जानकार और विशेषज्ञ हैं.
उन्होंने कहा कि बीएचयू में जब वे हिंदी के प्राध्यापक थे, तो उनका लेक्चर सुनने के लिए हिंदी साहित्य से इतर विज्ञान और दूसरे संकाय-विभाग के छात्र भी उनकी कक्षा में पहुंचते थे. विश्व साहित्य की उनकी जानकारी और इतिहास, समाज, राजनीति और लोक परंपरा का ज्ञान उन्हें साहित्य के आलोचक के साथ ही एक विशिष्ट, मौलिक चिंतक, विचारक बनाता था. उन्होंने कहा कि डॉ नामवर सिंह ने न जाने उन्होंने कितने संस्थानों को खड़ा करवाया, न जाने उन्होंने कितने युवाओं को साहित्य अध्ययन से जोड़कर अध्यापन की दुनिया के लिए तैयार किया.
हरिवंश ने कहा कि उनसे जब भी मिलना हुआ, उनका आत्मीय स्नेह तो मिला ही, ज्ञान की जिज्ञासा भी बढ़ती रही. उनका जाना, भारतीय ज्ञान परंपरा में एक युग का अवसान है. उनका व्यक्तित्व-कृतित्व हमेशा उन्हें लोक-स्मृतियों में जीवंत रखेगा.