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कोलकाता : आतंकी हमला अप्रत्याशित, त्वरित व मुंहतोड़ जवाब दे देश

प्रभात खबर के जन संवाद कार्यक्रम में बोले वक्ता कार्यक्रम के दौरान शहीदों को दी गयी श्रद्धांजलि कोलकाता : पुलवामा में आतंकी हमले को लेकर पूरे देश में जनआक्रोश है. लोग शहीद हुए सीआरपीएफ के जवानों को श्रद्धांजलि दे रहे हैं, वहीं सड़क पर उतर आतंकी हमले का पुरजोर विरोध कर रहे हैं. पुलवामा आतंकी […]

  • प्रभात खबर के जन संवाद कार्यक्रम में बोले वक्ता
  • कार्यक्रम के दौरान शहीदों को दी गयी श्रद्धांजलि
कोलकाता : पुलवामा में आतंकी हमले को लेकर पूरे देश में जनआक्रोश है. लोग शहीद हुए सीआरपीएफ के जवानों को श्रद्धांजलि दे रहे हैं, वहीं सड़क पर उतर आतंकी हमले का पुरजोर विरोध कर रहे हैं. पुलवामा आतंकी हमला अप्रत्याशित है. इस हमले को लेकर देश त्वरित और मुंहतोड़ जवाब दे. केवल निंदा करने से काम नहीं चलेगा, बल्कि आतंकियों और उन्हें पनाह देने वालों को जड़ से खत्म करना होगा. देश शहीदों की शहादत को कभी नहीं भूल सकता है.
सही रणनीति के तहत आतंकियों और उसे पनाह देनेवाले देश के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो. यह मांग ‘प्रभात खबर’ की ओर से आयोजित परिचर्चा में विशिष्ट लोगों ने की. प्रभात खबर जन संवाद परिचर्चा का विषय ‘पुलवामा आतंकी हमला : आम लोगों की राय में स्थायी समाधान’ रखा गया था. परिचर्चा का आयोजन उत्तर 24 परगना जिला के बैरकपुर स्थित बैरकपुर सीनेट पब्लिक स्कूल के सहयोग से हुआ, जो स्कूल के सभागार में संपन्न हुआ. कार्यक्रम के दौरान पुलवामा हमले में शहीद सीआरपीएफ जवानों की शहादत को नमन किया गया व दो मिनट का मौन रखकर उन्हें श्रद्धांजलि दी गयी. आइये जानते हैं परिचर्चा के दौरान लोगों की कही बातें :
राजा साव (बैरकपुर सीनेट पब्लिक स्कूल के प्रिंसिपल) : जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले में शहीद हुए जवानों को पूरे देशवासियों ने नम आंखों से विदाई दी. पश्चिम बंगाल में शहीद हुए सीआरपीएफ के जवान बबलू सांतरा और सुदीप विश्वास को उनके पैतृक गांव में शनिवार को अंतिम विदाई दी गयी.
इस दौरान आक्रोशित लोगों ने आतंकी हमले का बदला लेने की बात कही लेकिन गम में डूबी शहीद बबलू सांतरा की पत्नी ने कहा कि युद्ध कोई हल नहीं है बल्कि इससे और जानें जायेंगी. इसी प्रकार का दृश्य नदिया जिले के हंसपुकुरिया गांव में देखने को मिला. आतंकी हमले को कतई बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए. ऐसी घटनाओं पर पूरी तरह से अंकुश के लिया देश को स्थायी समाधान की तलाश करनी चाहिए. साथ ही आतंकियों और उसे पनाह देने वालों के खिलाफ रणनीति के तहत देश ठोस कदम उठाये.
पुलक चौधरी (समाजसेवी) : पुलवामा हमला सिर्फ एक आतंकी हमला ही नहीं बल्कि यह देश के खिलाफ जंग के ऐलान से कम नहीं है क्योंकि जिस तरह से हमारे इतने जवान एक हमले में शहीद हुए हैं वैसा कश्मीर में शायद पहले कभी नहीं हुआ हो. पुलवामा घटना से देश की जनता दुखी ओर आक्रोशित है.
जनता हमले का त्वरित और मुंहतोड़ जवाब चाहती है. इसके लिये केवल जज्बात नहीं सटीक रणनीति की जरूरत है. शहीदों की शहादत को देश कभी नहीं भूल सकता है.
रुमेला साहा (ह्यूमन राइट्स प्रोटेक्शन ऑफ इंडिया के वुमन सेल की इंचार्ज) : लोगों को पूरी उम्मीद है कि हमारी सेना इस हमले का मुंहतोड़ जवाब देगी. आतंकियों और उन्हें पनाह देने वालों के खिलाफ कार्रवाई के लिये सुरक्षा बलों को पूर्ण स्वतंत्रता हो.
रामू साव (बैरकपुर सीनेट पब्लिक स्कूल के अध्यक्ष) : देश में हुए आतंकी हमले के तार पाकिस्तान से ही जुड़ जाते हैं. यह कहना गलत नहीं होगा कि पाकिस्तान ही आतंकियों का मुख्य पनाहगार बना हुआ है. पाकिस्तान से मदद प्राप्त आतंकियों ने लगभग तीन दशकों से जम्मू-कश्मीर को युद्ध क्षेत्र में बदल दिया है. सैन्य बलों ने समस्या पर काफी हद तक काबू पा लिया है और जम्मू और लद्दाख क्षेत्र पूरी तरह से आतंकवाद से मुक्त हो चुके हैं. कश्मीर में समस्या अभी सुलझी नहीं है.
पुलवामा में सीआरपीएफ काफिले पर हुआ हमला, बड़ी आतंकी घटना है. हमला देश की सुरक्षा के लिये चिंता का विषय भी है. पड़ोसी देश सीधी लड़ाई में जीत नहीं सकता है तो बार-बार साजिश और छिपकर हमला करता है. कश्मीर के युवाओं को बरगलाने का कार्य भी कर रहा है. देश को उसके मंसूबे के खिलाफ जवाब देने की जरूरत आ गयी है.
चंद्राप्रभा भट्टाचार्य : जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले में 40 से ज्यादा सीआरपीएफ जवानों की शहादत ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है. हर ओर गुस्‍सा है और आतंकियों से बदला लेने की मांग उठ रही है. इस हमले के बाद कई देशों ने भी आतंकवाद के खिलाफ भारत समर्थन किया है. देश के सैनिकों की शहादत बेकार नहीं जानी चाहिये. देश इसका मुंहतोड़ जवाब दे.
पीके पटोदिया (शिक्षक) :जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सीआपीएफ के काफिले पर आतंकवादी हमले में 40 से ज्यादा सीआरपीएफ के जवान शहीद हो गये. आतंकियों ने बड़ी ही क्रूरता से हमारे जवानों पर हमला किया लेकिन सोचने वाली बात यह है कि हमें कितनी बार ऐसी बेबसी झेलनी पड़ेगी?
हम हर बार ऐसे ही बेबस हो जाते हैं और जब गुस्सा आता है तब निंदा करते हैं. अपने आप से बात करते हुए कहते हैं कि शायद यह आखिरी बार होगा. हमें लगता है कि हम अब आगे से ऐसे बेबस नहीं महसूस करेंगे लेकिन हर हमले के बाद हमले होते हैं. हमारे देश में हर हमले के बाद राजनीतिक प्रतिक्रियाएं देने और बेबसी दिखाने के अलावा कुछ नहीं होता है.
मैं भी काफी बेबस सा महसूस कर रहा हूं और ऐसा लग रहा है कि सारा गुस्सा सोशल मीडिया पर लिखकर निकाल दूं लेकिन इससे क्या होगा? अबकी बार हमें बेबसी नहीं बल्कि ताबड़तोड़ कार्रवाई, मुंहतोड़ जवाब और आगे से ऐसा ना होने देने का वायदा करना होगा. आतंकवादियों को उन्हीं की भाषा में जवाब देना उचित होगा. आम जनता हमले के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग कर रही है. देश सटीक रणनीति के तहत आतंकवादियों और उन्हें पनाह देने वालों के खिलाफ कार्रवाई करे.
सुमित सिंह (शिक्षक) : पुलवामा में आंतकी हमले को लेकर पूरे देश मेें गम और गुस्से का गुबार फूट रहा है. खासकर युवाओं में इतना गुस्सा है कि अभी भी उनकी ओर से शहरों और गांवों में विरोध जताये जा रहे हैं. पुलवामा में जो कुछ भी हुआ, वह बहुद दुखद है. मेरी प्रार्थना है कि शहीदों के परिजनों को हिम्मत मिले. दुख की इस घड़ी में पूरा देश उनके साथ हो. जहां तक हमले की बात है, आतंकियों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई होनी चाहिए.
इस मौके पर मोहम्मद अब्दुल खालिबा, अमन अली, मोहम्मद अख्तर, विनोद कुमार साव, स्वपन राय, शिवानी सेन, बीआर घोष, सुषमा साव, नंद बिहारी यादव, मदन चौधरी समेत अन्य लोग व विद्यार्थीगण मौजूद रहे.

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