नयी दिल्ली : पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अर्थव्यवस्था को उसकी क्षमता के अनुरूप नहीं उठाने पर नरेंद्र मोदी सरकार को घेरते हुए रविवार को कहा कि देश में रोजगार पैदा होने के बजाय रोजगार के नुकसान वाली वृद्धि की स्थिति बन गयी है. साथ ही ग्रामीण ऋणग्रस्तता और शहरी अव्यवस्था के चलते आकांक्षी युवाओं में असंतोष पैदा हो रहा है.
सिंह ने यहां दिल्ली स्कूल ऑफ मैनेजमेंट में आयोजित सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, ‘कृषि क्षेत्र का बढ़ता संकट, रोजगार के कम होते अवसर, पर्यावरण में आती गिरावट और इससे भी ऊपर विभाजनकारी ताकतों के कार्यरत रहने से राष्ट्र के समक्ष चुनौतियां खड़ी हो रही हैं.’
वरिष्ठ कांग्रेसी नेता ने कहा कि किसानों द्वारा आत्महत्या किया जाना और बारबार होने वाले किसानों के आंदोलन से हमारी अर्थव्यवस्था में व्याप्त ढांचागत असंतुलन के बारे में पता चलता है. इस समस्या के निराकरण के लिये गंभीरता के साथ विश्लेषण करने और राजनीतिक इच्छाशक्ति की आवश्यकता है.
उन्होंने कहा कि अब तक जो रोजगारविहीन वृद्धि थी (अर्थात् रोजगार पैदा नहीं करने वाली), वह अब और बिगड़कर रोजगार को नुकसान पहुंचाने वाली वृद्धि बन गयी है (अर्थात् रोजगार जाने वाली). सिंह ने कहा कि औद्योगिक क्षेत्र में अतिरिक्त रोजगार के अवसर पैदा करने के प्रयास असफल रहे हैं. औद्योगिक वृद्धि दर उतनी तेजी से नहीं बढ़ पा रही है जितनी जरूरत के मुताबिक बढ़नी चाहिए.
पूर्व प्रधानमंत्री ने सरकार पर कड़ा प्रहार करते हुए कहा कि संपत्ति और रोजगार के अवसरों में बढ़-चढ़कर भूमिका निभाने वाले लघु एवं असंगठित क्षेत्र को विनाशकारी नोटबंदी और माल एवं सेवाकर (जीएसटी) के लापरवाही भरे तरीके से किये गये क्रियान्वयन से भारी नुकसान हुआ. सिंह ने कहा कि रोजगारोन्मुख उद्योग के संवर्धन के प्रयासों में जो सबसे बड़ी चिंता की बात है वह उद्योगों को जिस कौशल की जरूरत है उसके और स्नातक की पढ़ाई कर निकलने वाले छात्रों के पास जो कौशल है उसके बीच रहने वाला अंतर है.
वर्ष 2004 से 2014 तक देश के प्रधानमंत्री रहे सिंह ने कहा, ‘हम तेजी से बदलती दुनिया में रह रहे हैं. एक तरफ हम तेजी से दुनिया की अर्थव्यवस्था के साथ जुड़ रहे हैं और विश्व बाजारों में पहुंच रहे हैं और दूसरी तरफ घरेलू स्तर पर हमारे समक्ष व्यापक आर्थिक और सामाजिक चुनौतियां खड़ी हैं.’
पूर्व प्रधानमंत्री ने प्रबंधन के छात्रों से कहा कि वह ऐसे समय महत्वपूर्ण समय में कारोबारी दुनिया में प्रवेश कर रहे हैं, जब 2030 तक भारत के दुनिया के शीर्ष तीन अर्थव्यवस्थाओं में शामिल होने का अनुमान व्यक्त किया जा रहा है.
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