नेशनल कंटेंट सेल
आमने-सामने की लड़ाई में पाकिस्तान हमारे देश से जीत नहीं सकता है. यही वजह है कि पाकिस्तान सीमा पार से लगातार परोक्ष युद्ध चला रहा है. बेरोजगार युवाओं को बरगलाया जा रहा है. सीमा पार के आतंकी संगठन कश्मीरी के भोले-भाले युवकों से कह रहे हैं कि हमारे लिए काम करो, टारगेट पूरा तो 15 लाख रुपये लो और जान चली गयी तो जन्नत मिलने का दिलासा. कश्मीर में सीआरपीएफ बस पर हुए फिदायीन हमले के बाद यह खुलासा हुआ है. अभी तक वहां जो आतंकी मारे गये हैं, उनमें से ज्यादातर का संबंध पाकिस्तान से होता है. कई बार यह भी होता है कि कश्मीरी युवकों को सीमा पार ले जाकर उन्हें ट्रेनिंग दी जाती थी. उसके बाद युवकों को दोबारा से भारतीय सीमा में धकेल दिया जाता था.
पुलवामा अटैक में पहली बार यह सामने आया कि कश्मीरी युवक अपने देश के ही सुरक्षा बलों को अब निशाना बना रहे हैं. पाकिस्तानी आतंकी संगठनों को अपने देश में युवाओं को ट्रेनिंग देकर उन्हें भारतीय सीमा में भेजना अब उतना आसान नहीं रहा है. ऐसे में वे संगठन कश्मीरी युवकों को धर्म के नाम पर या कश्मीर की आजादी के नाम से गुमराह करने लगे हैं. जम्मू-कश्मीर पुलिस की खुफिया इकाई को ऐसे सबूत मिल रहे हैं.
सीमा पार से व्हाट्सएप पर चलाते हैं गुमराह करने वाले संदेश
कश्मीर में ही कुछ ऐसे तत्व हैं जो युवाओं को बैट की तरह प्रलोभन देकर उन्हें आतंकी बनाने की राह पर ले जा रहे हैं. जांच में सामने आया कि यह मैसेज सीमा पार से आ रहा था. दक्षिण कश्मीर से कई युवाओं को गिरफ्तार कर उनसे पूछताछ की गयी. पूछताछ में यह बात निकली कि कोई व्यक्ति उन्हें हथियार चलाने की ट्रेनिंग देगा. इसके बाद उन्हें टारगेट मिलेगा. यदि वे अपने लक्ष्य को भेदने में कामयाब हो जाते हैं तो उन्हें करीब 15 लाख रुपये मिलेंगे. जन्नत मिलने का भी दिलासा देते हैं. यदि वे हैंड ग्रेनेड फेंकने में कामयाब होते हैं और वहां से बच निकलते हैं तो एक तय राशि मिलती है.
बैट के इशारे पर होता है यह सब, वही करता है आतंकियों को फंडिंग
पाक सेना, आइएसआइ और लश्कर जैसे आतंकी संगठन पाकिस्तानी जमीन पर ट्रेनिंग कैंप चलाते हैं. बैट को एलओसी पर तैनात किया जाता है. जब भी इन्हें मौका मिलता है, ये भारतीय जवान पर फायरिंग कर देते हैं. कई बार हमारे जवानों को पकड़ कर मारना और और उनके शव को क्षत-विक्षत करना भी इनकी गतिविधियों में शामिल रहता है. अगर ये हमारे जवान को घायल करते हैं या उसे मार देते हैं तो उस हिसाब से इन्हें पेमेंट मिलती है. जब कभी ये हमारे जवान की गोली का निशाना बन जाते हैं तो इन्हें पाकिस्तान में शहीद का दर्जा, 12 लाख रुपये और जन्नत का भरोसा दे देते हैं.
एनआइए की टीम करेगी कश्मीर आने वाले अवैध फंड की जांच
पिछले कई वर्षों से एनआइए टीम को लगातार ऐसे सबूत मिल रहे हैं. वहां पर विदेशों से भी हवाला के जरिये पैसा भेजा जाता रहा है. साल 2012 में एनआइए ने जम्मू-कश्मीर स्थित एक बैंक की कथित जांच पड़ताल की थी. इतना ही नहीं, विदेशों से पैसा भेजे जाने वाली संस्थाओं की भी जांच की गयी. एनआइए के एक अधिकारी का कहना है कि अब कुछ ऐसे मामले देखने को मिल रहे हैं जिनमें विदेशों से पैसा कश्मीर पहुंच रहा है. यह किन लोगों के खातों में आता है, इस बात की पड़ताल हो रही है. जांच में हुर्रियत और दूसरे अलगाववादी नेताओं की भूमिका की भी जांच होगी.
दुनिया के 10 बड़े आतंकी संगठन
इस्लामिक स्टेट: इस्लामिक स्टेट को आइएसआइएस के नाम से भी जाना जाता है. अबु बक्र अलबगदादी का बनाया हुआ यह संगठन इतना बर्बर और हिंसक है कि अलकायदा ने भी इसकी निंदा की है.
अलकायदा: अलकायदा दुनियाभर में आतंकी संगठनों में सबसे बड़ा माना जाता है. इसकी स्थापना ओसामा बिन लादेन ने की थी. अलकायदा ने अमेरिका में 9/11 का हमला किया था.
तालिबान :तालिबान एक पश्तो शब्द है जिसका मतलब है छात्र. तालिबान दुनिया के उन चुनिंदा आतंकी संगठनों में से एक है जिन्होंने किसी देश पर राज किया हो.
तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान: पाकिस्तानी तालिबान के नाम से कुख्यात इस संगठन की स्थापना पाकिस्तानी के कुख्यात आतंकवादी बैतुल्ला महसूद ने किया था. इसी संगठन ने पाकिस्तान के पेशावर में स्कूल पर हमला कर कई मासूम बच्चों की जान ली थी.
बोको हरम: अंग्रेजी में बोको हरम का अर्थ है ‘पश्चिमी शिक्षा पाप है’. बोको हरम नाइजीरिया का एक आतंकी संगठन है. यह संगठन उस वक्त दुनिया की नजर में आया जब एक स्कूल से 250 छात्राओं को अगवा कर लिया था.
अल नुस्रा फ्रंट: अल नुस्रा फ्रंट यानी जमात अल नुस्रा, अरबी भाषा में जिसका अर्थ है ‘लोगों के समर्थन में मोर्चा’. यह संगठन सीरिया और लेबनान में अल-कायदा की शाखा के तौर पर काम कर रहा है.
हिजबुल्लाह: ईरान और सीरिया समर्थित यह लेबनानी आतंकवादी संगठन 1982 के लेबनानी गृह युद्ध से उभरा. इस संगठन को सुन्नी अरब देशों का सबसे बड़ा दुश्मन माना जाता है.
हमास : हमास फिलिस्तीन का सामाजिक-राजनीतिक आतंकवादी संगठन है. जो मुस्लिम ब्रदरहुड की एक शाखा के रूप में 1987 में स्थापित किया गया था.
कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी: इस संगठन को पीकेके नाम से ही जाना जाता है जो एक स्वतंत्र कुर्द राज्य के लिए लड़ रहा है. इस काम के लिए पश्चिमी देशों का समर्थन भी मिल रहा है. हालांकि, तुर्की सरकार ने इसे आतंकी संगठन माना है.
फार्क: रिवोल्यूशनरी आर्म्ड फोर्सेज ऑफ कोलंबिया के इस मार्क्सवादी-लेनिनवादी आतंकवादी संगठन को फार्क के नाम से जाना जाता है. अब यह संगठन ग्रामीण क्षेत्रों में अपने हजारों समर्थकों और लगभग 12 हजार लड़ाकों से साथ सक्रिय है.