-ध्रुव गुप्त-
‘भारत कोकिला’ के नाम से विख्यात भारत के स्वाधीनता संग्राम की अप्रतिम योद्धा स्वर्गीय सरोजनी नायडू अपनी सांगठनिक क्षमता, ओजपूर्ण वाणी और देश की आज़ादी के लिए अपने प्रयासों की वज़ह से अपने दौर की सर्वाधिक लोकप्रिय महिला रही हैं. वे आज़ादी से पूर्व कांग्रेस की अध्यक्ष भी रहीं और आज़ादी के तुरंत बाद उत्तर प्रदेश की राज्यपाल भी.
बहुत कम लोगों को पता है कि तेलुगू, हिंदी अंग्रेजी, बांग्ला तथा गुजराती भाषाओं की जानकार होने के अलावा वे अपने पिता अघोरनाथ चट्टोपाध्याय और मां वरदा सुंदरी की तरह वे अपने समय की विख्यात कवयित्री भी थीं जिनकी कविताओं के अनुवाद देश-दुनिया की कई भाषाओं में हुए हैं. पिछली सदी के आरम्भ में प्रकाशित उनके कविता-संकलन – ‘द गोल्डन थ्रेसहोल्ड’, ‘बर्ड ऑफ टाइम’ तथा ‘ब्रोकन विंग’ ने अपने दौर में लोकप्रियता के नये कीर्तिमान स्थापित किये थे.
प्रेम का उल्लास और पीड़ा उनकी कविताओं के मुख्य स्वर हैं. उनके जन्मदिन (13 फरवरी) पर उन्हें श्रद्धांजलि, मेरे द्वारा अनुदित उनकी एक प्यारी-सी कविता के साथ !
ओ मेरे प्यार
मूंद दो अथाह आनंद से थकी
और बुझी मेरी आंखों को
यहां रोशनी बहुत तेज है
खामोश कर दो
गीत गाते-गाते थक चुके
मेरे अधरों को
अपने एक बहुत गहरे चुंबन से
बारिश में भींगे
गीले फूल की तरह
वेदना और बोझ से झुकी
मेरी आत्मा को
कहां पनाह मिलेगा
अगर सामने तेरा चेहरा न हो !