13.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

बागडोगरा : पैर को हाथ बना मुकाम पाने की हसरत, पैर से लिख रही है माध्यमिक परीक्षा की कॉपी

बागडोगरा : कहते हैं कि यदि दृढ़ इच्छा शक्ति हो और मन में कुछ करने का जज्बा रहे तो इंसान कुछ भी कर सकता है. इसको सिलीगुड़ी के निकट विधान नगर की रहने वाली सुष्मिता मंडल ने साकार कर दिखाया है. सुष्मिता जन्म से ही दिव्यांग है. उसके दोनों हाथ नहीं हैं. एक हाथ तो […]

बागडोगरा : कहते हैं कि यदि दृढ़ इच्छा शक्ति हो और मन में कुछ करने का जज्बा रहे तो इंसान कुछ भी कर सकता है. इसको सिलीगुड़ी के निकट विधान नगर की रहने वाली सुष्मिता मंडल ने साकार कर दिखाया है. सुष्मिता जन्म से ही दिव्यांग है. उसके दोनों हाथ नहीं हैं. एक हाथ तो पूरी तरह से नहीं है जबकि दूसरा हाथ भी किसी काम का नहीं है. एक हाथ काफी छोटा है और उसमें मात्र 2 उंगलियां हैं. वह कुछ भी इस हाथ की सहायता से पकड़ नहीं सकती. जीवन में संघर्ष के लिए वह कठोर लड़ाई लड़ रही है. अपने दोनों पैरों से ही नित्य जीवन में आवश्यक काम चला रही है.

इसी इच्छाशक्ति का परिणाम है कि सुष्मिता मंडल आज माध्यमिक की परीक्षा दे रही हैं. हाथ का काम वह अपने पैर से ही ले रही है.पैर से ही वह माध्यमिक की परीक्षा दे रही है. पूरे राज्य के साथ साथ सिलीगुड़ी तथा आसपास के इलाके में भी मंगलवार से माध्यमिक की परीक्षा शुरू हुई. सुष्मिता मंडल विधान नगर के मिलन पल्ली की रहने वाली है. वह विधान नगर के ही संतोषनी विद्याचक्र हाई स्कूल में पढ़ती है. उसका सेंटर मुरलीगंज हाई स्कूल में पड़ा है.
उसे परीक्षा देने में किसी प्रकार की कोई तकलीफ नहीं हो, इसके लिए मुरलीगंज हाई स्कूल के प्रधान शिक्षक समसुल आलम तथा अन्य शिक्षकों ने पूरी मदद की. मिली जानकारी के अनुसार सुष्मिता 90 प्रतिशत विकलांग है. उसके पिता सुभाष मंडल काठ मिस्त्री का काम करते हैं. जबकि मां मजदूरी करती है. सुष्मिता का परिवार बेहद गरीब है. ऊपर से दिव्यांगता उसकी परेशानी और बढ़ा दी है. लेकिन सुष्मिता ने हार नहीं मानी.
जन्म से दोनों हाथ नहीं होने के बाद भी वह पढ़ाई लिखाई करती रही. पैर की उंगलियों की सहायता से ही वह लिखने का काम करती है. पढ़ने लिखने में परिवार वालों ने भी उसकी काफी मदद की. उसकी मां अंजलि ने बताया है कि शुरू में सुष्मिता को पैर से लिखने में काफी परेशानी होती थी. जब वह दिव्यांग पैदा हुई तब परिवार पूरी तरह से टूट चुका था. ऐसा नहीं लग रहा था कि वह कुछ कर पाएगी.
जैसे-जैसे वह बड़ी होती गई उसके अंदर पढ़ने तथा अन्य काम करने की इच्छा शक्ति बढ़ने लगी. वह पैर से ही लिखने लगी. उसकी इच्छा शक्ति को देखते हुए ही गरीबी के बाद भी परिवार वालों ने उसे पढ़ाने का निर्णय लिया. आज उसकी जिंदगी का सबसे महत्वपूर्ण दिन है. किसी भी विद्यार्थी के लिए माध्यमिक परीक्षा जिंदगी की पहली कठिन परीक्षा होती है.
सुष्मिता आज यही परीक्षा देने के लिए बैठी है. परीक्षा देने के बाद सुष्मिता काफी खुश दिख रही थी. उसने बताया कि पहले दिन बंगला विषय की परीक्षा दी है. उसकी परीक्षा काफी अच्छी गयी है. मुरलीगंज हाई स्कूल के प्रधान शिक्षक समसुल आलम ने बताया है कि दिव्यांग परीक्षार्थियों की परीक्षा के लिए अलग से व्यवस्था की जाती है. इसी क्रम में सुष्मिता के लिए भी विशेष व्यवस्था की गई थी. उसे नियमानुसार अतिरिक्त समय भी दिया गया. सुष्मिता एमए तक की पढ़ाई करना चाहती है.
वह बड़ी होकर शिक्षिका बनना चाहती है. माध्यमिक परीक्षा में सुष्मिता को किसी तरह की परेशानी नहीं हो, इसके लिए विधान नगर व्यवसायी समिति की ओर से विशेष व्यवस्था की गई है. संगठन के अध्यक्ष शिवेश भौमिक ने बताया है कि सुष्मिता की पढ़ाई का खर्चा के साथ साथ उसके स्कूल तक आने-जाने की पूरी व्यवस्था संगठन की ओर से की जा रही है. आने वाले दिनों में उसे पढ़ाई में किसी तरह की परेशानी नहीं हो इसके लिए आर्थिक सहायता भी की जा रही है. 35 हजार रूपये 15 साल के लिए उसके बैंक अकाउंट में जमा कराया गया है. वह चाहते हैं कि सुष्मिता अपनी दिव्यांगता पर विजय प्राप्त कर जिंदगी में आगे बढ़े.
नेत्रहीन छात्र ने भी दी परीक्षा
विमल महतो नामक एक दृष्टिहीन परीक्षार्थी ने भी आज परीक्षा दी. भीमबार दृष्टिहीन स्नेहाश्रम में रहने वाले इस छात्र के लिए भी परीक्षा के लिए विशेष व्यवस्था की गई थी. विमल का सेंटर भी इसी स्कूल में पड़ा था. उसका परिवार भी काफी गरीब है .उसने भी बताया कि आज पहले दिन परीक्षा काफी अच्छी रही.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें