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आसनसोल : छह प्रखंडों में बनेगा आठ फ्लाई ऐस ब्रिक्स प्लांट

सात प्रखण्ड में बन रहे हैं नौ प्लांट. मनरेगा कर्मियों का कोऑपरेटिव बनाकर सौंपा जाएगा प्लांट. मार्च तक कार्य पूरा करने को लेकर जिला प्रशासन प्रयासरत. पंचायत समिति की 10 प्रतिशत तथा ग्राम पंचायत की भागीदारी 20 प्रतिशत आसनसोल : राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) कानून का क्रियान्वयन करते हुए फ्लाई ऐस ब्रिक्स उद्योग को बढ़ावा […]

  • सात प्रखण्ड में बन रहे हैं नौ प्लांट.
  • मनरेगा कर्मियों का कोऑपरेटिव बनाकर सौंपा जाएगा प्लांट.
  • मार्च तक कार्य पूरा करने को लेकर जिला प्रशासन प्रयासरत.
  • पंचायत समिति की 10 प्रतिशत तथा ग्राम पंचायत की भागीदारी 20 प्रतिशत
आसनसोल : राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) कानून का क्रियान्वयन करते हुए फ्लाई ऐस ब्रिक्स उद्योग को बढ़ावा देने तथा इसके तहत मनरेगा के जॉब कार्ड धारकों को रोजगार मुहैया कराने के उद्देश्य से जिला प्रशासन ने ढ़ाई करोड़ रुपये की लागत से सात प्रखंडों में आठ ऐस ब्रिक्स प्लांट स्थापित करने का कार्य आरंभ किया.
जिला शासक शशांक सेठी ने बताया कि जिला मिनिरल फंड से सभी आठ प्लांट में मशीन के लिए दस-दस लाख रुपये आवंटित किया गया है. मनरेगा के जॉबकार्ड धारकों को लेकर कोऑपरेटिव का गठन कर उन्हें यह प्रोजेक्ट सौंपा जाएगा. इसमें पंचायत समिति की भागीदारी दस प्रतिशत और ग्राम पंचायत की भागीदारी 20 प्रतिशत की होगी. 70 प्रतिशत की भागीदारी जॉब कार्ड धारकों का होगा.
अंडाल प्रखण्ड में इस प्रोजेक्ट की सफलता के बाद सभी प्रखण्डों में यह प्लांट स्थापित किया जा रहा है. मार्च 2019 के अंदर कार्य पूरा कर लाभुकों को सौंप दिया जाएगा.
एनजीटी के गाईड लाईन के आधार पर जिले में प्रदूषण को कम करने के लिए रेड ब्रिक्स के बदले फ्लाई ऐस ब्रिक्स को जिला प्रशासन बढ़ावा देने में जुटी है. इसमें रेड ब्रिक्स तैयार करने के लिए कोयले की जलावन से फैलने वाली प्रदूषण के साथ मिट्टी के उपयोग को भी कम करने की योजना है. जिले में थर्मल पावर प्लांट के ऐस से भी भारी मात्रा में प्रदूषण फैलती है. इन दोनों को कम करने के लिए फ्लाई ऐस ब्रिक्स उद्योग को बढ़ावा दिया जा रहा है.
जिलाशासक ने बताया कि रेड ब्रिक्स बनाने में भारी मात्रा में मिट्टी उपयोग किया जाता है. जिले में भूमिगत खदानों की संख्या अधिक होने के कारण जमीन के हिसाब से जितनी मिट्टी होनी चाहिए वह नहीं है. रेड ब्रिक्स के लिए जगह जगह से मिट्टी लेने के कारण बरसात में कटाई वाले जगह की अधिकांश मिट्टी पानी के साथ बह जाती है.
जिसका सीधा प्रभाव खेती पर पड़ता है. इसके अलावा थर्मल प्लांट से निकलने वाली राख का सही रूप से निस्तारण न होने के कारण प्रदूषण फैलता है. इन दोनों को नियंत्रण करने के लिए फ्लाई ऐस ब्रिक्स को बढ़ावा दिया जा रहा है. इस उद्योग में थर्मल प्लांट की राख मुख्य रॉ मेटेरियल होता है. इसे बनाने के लिए किसी प्रकार की जलावन की आवश्कता नहीं है. ऐसे में रेड ब्रिक्स और थर्मल प्लांट के कारण वातावरण को होने वाली नुक्सान से बचाया जा सकता है.
छह प्रखण्ड में आठ प्लांट लगेंगे
जिलाशासक ने कहा कि सरकारी स्तर पर जिले के सभी प्रखण्डों बाराबनी, दुर्गापुर फरीदपुर,जमुड़िया, कांकसा, रानीगंज में एक-एक और सालानपुर में तीन, कुल आठ फ्लाई ऐस ब्रिक्स का प्लांट लगाया जा रहा है. अंडाल में एक प्लांट पिछले एक साल से चल रहा है. यहां मनरेगा के 40 जॉबकार्ड धारकों का एक कोऑपरेटिव बनाकर उन्हें यह सौंप दिया गया है.
प्लांट की कुल लागत 30 लाख रुपये है. प्लांट के लिए जमीन सरकार देगी. मशीन के लिए 10 लाख रुपया जिला मिनिरल फंड से दिया जाएगा. निर्माण के लिए श्रमिक का वेतन और कुछ मेटेरियल का खर्च मनरेगा से होगा. बाकी का फंड 14वें वित्त आयोग और राज्य चौथा वित्त आयोग से यह प्लांट स्थापित होगा.
जिले के सरकारी कार्यों में ऐस ब्रिक्स का उपयोग
जिलाशासक ने बताया कि जिले के सभी सरकारी कार्यों में ईंट की जरूरत को इन्ही उद्योगों से पूरा किया जाएगा. इससे इन उद्योगों का ये स्थायी बाजार हमेशा बना रहेगा. सरकारी कार्य के अलावा अत्यधिक उत्पादन कर यह लोग कहीं भी इसे बेचने के लिए आजाद रहेंगे. इन प्लांटों को रॉ मेटेरियल ‘ऐस’ थर्मल पावर प्लांटों ने मुफ्त में मिलेगा. जरूरत के आधार पर आगामी वित्त वर्ष में इन प्लांटों की संख्या बढ़ाई जा सकती है.

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