आसनसोल : केटरिंग व्यवसायी राणा बनर्जी हत्याकांड का आरोपी कृष्णेन्दू मुखर्जी शुक्रवार की सुबह जिला अदालत में अतिरिक्त जिला जज स्पेशल कोर्ट में सरेंडर करेगा. सरेंडर के 48 घंटे पूर्व मामले के जांच अधिकारी को दी गयी पूर्व सूचना में उसने सरेंडर करने का समय साढ़े दस बजे दिया है.
उक्त मामले के साथ अदालत ने अन्य आठ मामलों में उसके खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी किया है. कृष्णेन्दू को इन आठ मामलों में से दो मामले हीरापुर थाना कांड संख्या 350/2017 और 22/2018 में उच्च न्यायालय से सशर्त जमानत मिली थी. जिसमें उसे निचली अदालत में सरेंडर करना था. निर्धारित समय में उसने नहीं किया.
जिसके कारण उक्त दो मामलों में सरेंडर की अवधि बढ़ाने के लिए उसने जिला जज केडी भूटिया के पास अपील की. श्रीमती भूटिया के अनुपस्थिति में जिला जज के प्रभार में रहे अतिरिक्त जिला जज स्पेशल कोर्ट ए राय ने अवधि बढ़ाने की अपील को खारिज कर दिया.
संभावना है कि कृष्णेन्दू के सरेंडर करते ही इन दो मामलों के जांच अधिकारी सोन अरेस्ट डालकर उसकी रिमांड की अपील करेंगे. इसके साथ ही जारी वारंट के सभी मामलों में भी जांच अधिकारी अदालत में सोन अरेस्ट की अपील करेंगे.
पुलिस आयुक्त लक्ष्मी नारायण मीना ने कहा कि आरोपी के सरेंडर होने के बाद मामलों के जांच अधिकारी कानून के दायरे में अपना कार्य करेंगे.
सनद रहे कि हीरापुर थाना क्षेत्र अंतर्गत नवाघन्टी इलाके के निवासी केटरिंग व्यवसायी राणा बनर्जी हत्या कांड में पुलिस ने सात लोगों को नामजद आरोपी बनाया है. जिसमें पांच न्यायिक हिरासत में है. दो अन्य आरोपी कृष्णेन्दू मुखर्जी और रीतेन बसाक ऊर्फ फूफा पुलिस की गिरफ्त से बाहर है.
अदालत के निर्देश पर इन दो आरोपियों को पुलिस ने भगोड़ा और मोस्ट वांटेड की सूची में डाल दिया है. मामले में कस्टडी ट्रायल की प्रक्रिया आरम्भ हो गयी है. इस बीच कृष्णेन्दू ने मामले में उच्च न्यायालय से जमानत खारिज होने के बाद सर्वोच्च न्यायलय में अपील की. जहां से उसे आठ फरवरी तक ट्रायल कोर्ट में सरेंडर करने को कहा है.
कृष्णेन्दू को दो मामले हीरापुर थाना कांड संख्या 350/17 तिथि 21 नवंबर,2017 में आईपीसी की धारा 25(1बी)(ए) 29, 35 आर्म्स एक्ट और हीरापुर थाना कांड संख्या 22/2018 तिथि 15 जनवरी 18 आईपीसी की धारा 452/342/384/385/386/387/327/364/304/120 बी तथा 25/27 आर्म्स एक्ट में उच्च न्यायलय से सशर्त जमानत मिली थी. शर्त के अनुसार उसे निचली अदालत में सरेंडर करनी थी. उसने सरेंडर करने के लिए अदालत में अर्जी भी दाखिल की, लेकिन सरेंडर नहीं किया.
इस आदेश का समय सीमा समाप्त हो चुकी है. उसने इस आदेश की समय सीमा बढ़ाने के लिए जिला जज के पास अपील की. जिला जज ने इसे खारिज कर दिया. वह एक साथ ही उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय के आदेश को एक साथ अमल में लाना चाहता था. लेकिन जिला जज द्वारा समय सीमा बढ़ाने की अपील खारिज किये जाने से पुलिस को इन दो मामलों में रिमांड लेने की प्रक्रिया आसान हो गयी है.