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मिशन 2019 : इस बार जगजीवन बाबू के सासाराम लोकसभा सीट की परिस्थितियां बदली हुई, होता रहा है चुनावी फेरबदल
इस बार सासाराम लोकसभा सीट की परिस्थितियां बदली हुई हैं, जदयू एनडीए के साथ है खड़ा पटना : सासाराम सुरक्षित क्षेत्र जगजीवन राम के जमाने से चर्चित रहा है. 2014 के चुनाव में उनकी पुत्री और लोकसभा की पूर्व स्पीकर मीरा कुमार कांग्रेस के टिकट पर उम्मीदवार थीं. भाजपा ने जदयू से आये छेदी पासवान […]
इस बार सासाराम लोकसभा सीट की परिस्थितियां बदली हुई हैं, जदयू एनडीए के साथ है खड़ा
पटना : सासाराम सुरक्षित क्षेत्र जगजीवन राम के जमाने से चर्चित रहा है. 2014 के चुनाव में उनकी पुत्री और लोकसभा की पूर्व स्पीकर मीरा कुमार कांग्रेस के टिकट पर उम्मीदवार थीं. भाजपा ने जदयू से आये छेदी पासवान को अपना उम्मीदवार बनाया था. जीत छेदी पासवान को मिली. जबकि, जदयू ने आइएएस अधिकारी रहे केपी रमैया को अपना उम्मीदवार बनाया था. रमैया तीसरे स्थान पर रहे थे. इस बार परिस्थितियां बदली हुई हैं.
जदयू एनडीए के साथ खड़ा है़ मीरा कुमार की उम्मीदवारी पर कांग्रेस में कोई विवाद नहीं दिख रहा. कांग्रेस किसी एक सीट पर समझौता करेगी तो वह सासाराम ही होगा, कांग्रेस ऐसा मानती है. वहीं, संभावना है कि इस बार सासाराम की सीट जदयू को मिल जाये. जदयू की मांंग अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीटों में कम से कम दो सीटों की है. पर, जानकारों की राय में सासाराम की सीट जदयू को जायेगी. मौजूदा सांसद भाजपा के छेदी पासवान ने 2014 के चुनाव में तब की लोकसभा की अध्यक्ष रहीं मीरा कुमार को 63 हजार 327 वोटों से पराजित किया था.
इस संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत विधानसभा की छह सीटें आती हैं. सासाराम की लोकसभा सीट पर जगजीवन राम का वर्चस्व रहा है. इसके बाद ही मीरा कुमार ने अपने पिता की पैठ वाली सीट पर चुनाव लड़ा और वो इसमें सफल भी रहीं. जगजीवन राम, सासाराम लोकसभा सीट से आठ बार सांसद चुने गये थे. छेदी पासवान ने मीरा कुमार को हरा तीसरी बार यहां से सांसद बनने में सफल हुए. इससे पहले वो दो बार यहां से जनता दल के टिकट पर एमपी चुने गये थे.
1952 से रहा है कांग्रेस का दबदबा
सासाराम लोकसभा सीट पर 1952 से लगातार पांच बार कांग्रेस ने जीत दर्ज की. मगर आपातकाल के बाद हुए 1977 के चुनाव में जगजीवन राम ने जनता पार्टी के टिकट से सासाराम में जीत हासिल की. गौरतलब है कि 1980 के चुनाव में बाबू जगजीवन राम ने अपनी नयी पार्टी कांग्रेस (जगजीवन) पार्टी बना कर सासाराम सीट पर कब्जा किया था.
इसके बाद 1984 का चुनाव भी जगजीवन राम के नाम ही रहा. 1984 चुनाव के बाद सासाराम की राजनीति में जनता ने नया रुख अपनाया और 1989, 1991 में जनता दल और फिर 1996, 1998, 1999 में बीजेपी को मौका दिया. 2004 में दोबारा कांग्रेस की जीत हुई. मीरा कुमार ने भाजपा के मुनि लाल को पराजित किया.
2009 के चुनाव में कांग्रेस की मीरा कुमार ने भाजपा प्रत्याशी को हराया. लेकिन, साल 2014 में बाजी पलट गयी और यहां कमल खिल गया और छेदी पासवान यहां के एमपी बन गये. छेदी पासवान को 2014 के चुनाव में तीन लाख 66 हजार 27 मत मिले थे. वहीं, मीरा कुमार को दो लाख 760 मत मिले थे. नंबर तीन पर जदयू के केपी रमैया और नंबर चार पर बसपा के बालेश्वर भारती थे.
इनपुट : अमित कुमार, भभुआ
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