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अवॉर्ड वापसी : नागरिकता संशोधन विधेयक के विरोध में फिल्‍म निर्देशक ने पद्मश्री लौटाने का ऐलान किया

नयी दिल्ली : जाने माने मणिपुरी फिल्मकार अरिबाम श्याम शर्मा ने रविवार को कहा कि वह नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2016 के विरोध में अपना ‘पद्मश्री’ सम्मान लौटायेंगे. विधेयक को उन्होंने पूर्वोत्तर विरोधी करार दिया. 83 वर्षीय निर्देशक ‘ओलांगथागी वांगमदासू’, ‘इमागी निंग्थम’ और ‘इशानौ’ जैसी मणिपुरी फिल्मों के लिये जाने जाते हैं. उन्हें 2006 में देश […]

नयी दिल्ली : जाने माने मणिपुरी फिल्मकार अरिबाम श्याम शर्मा ने रविवार को कहा कि वह नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2016 के विरोध में अपना ‘पद्मश्री’ सम्मान लौटायेंगे.

विधेयक को उन्होंने पूर्वोत्तर विरोधी करार दिया. 83 वर्षीय निर्देशक ‘ओलांगथागी वांगमदासू’, ‘इमागी निंग्थम’ और ‘इशानौ’ जैसी मणिपुरी फिल्मों के लिये जाने जाते हैं. उन्हें 2006 में देश के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान से नवाजा गया था. उन्होंने कहा कि केंद्र विधेयक वापस लेने की पूर्वोत्तर की जनता की अपील नहीं सुन रहा है.

उन्होंने कहा, यह विधेयक पूर्वोत्तर खासकर मणिपुर और यहां के लोगों के हितों के खिलाफ है. इस पर (विधेयक के पारित होने पर) पुनर्विचार को लेकर पूर्वोत्तर में सभी राज्यों के तमाम नेता भी केंद्र सरकार से अनुरोध कर चुके हैं. शर्मा ने कहा, लेकिन कल जब मैं खबरें देख रहा था तब हमारे माननीय प्रधानमंत्री यह घोषणा कर रहे थे कि विधेयक जल्द पारित किया जायेगा.

उन्होंने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री से भी विधेयक पारित कराने में उनकी मदद करने का अनुरोध किया. इसका मतलब है कि सरकार बल्कि भाजपा इस विधेयक को पारित कराने पर अटल है. वे हमें नहीं सुन रहे हैं. त्रिपुरा का उदाहरण देते हुए फिल्मकार ने कहा कि अगर यह विधेयक पारित होता है तो इतिहास खुद को दोहरायेगा.

उन्होंने कहा, हम लोग इसे त्रिपुरा में देख चुके हैं. त्रिपुरा में त्रिपुरावासियों की ही नहीं चलती… मणिपुर की आबादी सिर्फ 28-29 लाख है जो उत्तर प्रदेश में एक जिले की आबादी से भी कम है. उन्होंने कहा, नगालैंड, मिजोरम और मेघालय जैसे छोटे राज्यों को संरक्षण मिला है. बावजूद इसके वे विरोध कर रहे हैं क्योंकि अगर यह विधेयक पारित होता है तो वहां के मूल निवासियों का कोई अस्तित्व नहीं बचेगा. उनका सफाया हो जायेगा. यह अभी नहीं हो सकता लेकिन आज से 50 साल बाद यह जरूर होगा.

शर्मा ने कहा कि सम्मान लौटाना ही एकमात्र ऐसा तरीका है जिसके जरिये मैं विधेयक के खिलाफ अपनी आवाज उठा सकता हूं. उन्होंने कहा, मैं कोई नेता नहीं हूं. मेरा राजनीति से भी कोई लेना-देना नहीं है. मैं महज एक फिल्मकार हूं. मैंने जीवन में काफी कुछ देखा है. लेकिन यह सबसे बुरा है. अगर यह विधेयक पारित होता है तो हम जैसे लोगों के लिये कोई जगह नहीं बचेगी. यह पूर्वोत्तर के खिलाफ है.

उन्होंने कहा, इसके सिवा मैं कुछ कर भी नहीं सकता. यही एकमात्र तरीका है जिसके जरिये मैं अपना विरोध जता सकता हूं…हमलोग उपेक्षित महसूस कर रहे हैं. कुछ किस्म की नस्ली भेदभाव की घटनाएं हो रही हैं… अगर इन पर ध्यान नहीं दिया गया तो इसके नतीजे गंभीर होंगे.

मुझे यह चिंतित करता है. शनिवार को पश्चिम बंगाल में एक रैली को संबोधित करते हुए मोदी ने नागरिकता (संशोधन) विधेयक की पुरजोर वकालत करते हुए इस बात पर जोर दिया कि इससे धार्मिक अत्याचार का सामना करने वालों को न्याय और सम्मान मिलेगा.

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