वाशिंगटन : ट्रंप प्रशासन रूस के साथ दशकों पुरानी परमाणु हथियार संधि को रूस और चीन से मुकाबला करने के लिए हद से ज्यादा बाधाओं के तौर पर देखता है. इसलिए उसने इस संधि से अलग होने का फैसला किया है.
अमेरिका द्वारा शुक्रवार को घोषित किये गये इस कदम ने अमेरिका की संभावित नयी मिसाइलों की तैनाती को लेकर उसके सहयोगी देशों से संवेदनशील वार्ता का रास्ता तैयार कर दिया है. अपने फैसले को स्पष्ट करते हुए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मॉस्को पर 1987 की इंटरमीडियट रेंज न्यूक्लियर फोर्सेज संधि का उल्लंघन करने का आरोप लगाया.
मॉस्को ने इस उल्लंघन से इन्कार किया और वाशिंगटन पर विवाद को सुलझाने के लिए उसके प्रयासों को रोकने का आरोप लगाया. कांग्रेस में डेमोक्रेट्स और कुछ हथियार नियंत्रण पक्षकारों ने ट्रंप के फैसले की आलोचना करते हुए इसे हथियारों की दौड़ के लिए रास्ता खोलने वाला बताया.
निजी आर्म्स कंट्रोल एसोसिएशन ने कहा, ‘अमेरिका की संधि खत्म करने की धमकी से रूस इसका अनुपालन नहीं करने वाला और इससे यूरोप तथा उसके बाहर अमेरिका और रूस के बीच खतरनाक और महंगी मिसाइलों की नयी स्पर्धा शुरू हो सकती है.’
ट्रंप ने एक बयान में कहा कि अमेरिका पश्चिम यूरोप तक मार करने में सक्षम रूस की प्रतिबंधित क्रूज मिसाइलों की तैनाती के विकल्प के जवाब में अपनी सेना को विकसित करने के लिए आगे बढ़ेगा. ट्रंप ने कहा, ‘हम दुनिया में इकलौते देश नहीं हो सकते, जो इस संधि या अन्य संधि से एकतरफा जुड़े रहें.’
चीन ने इस संधि के बाद से अपनी सेना की ताकत में वृद्धि की है और यह संधि अमेरिका को बीजिंग में विकसित किये गये कुछ हथियारों के जवाब में शक्तिशाली हथियारों को तैनात करने से अमेरिका को रोकती है.
राष्ट्रपति के बयान के बाद विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने पत्रकारों से कहा कि रूस को शनिवार को औपचारिक तौर पर सूचित कर दिया जायेगा कि अमेरिका संधि से हट रहा है, जो छह महीने में प्रभाव में आ जायेगी.
इस बीच, अमेरिका संधि के तहत अपने दायित्वों को निलंबित करना शुरू करेगा. पोम्पिओ ने कहा कि अगर आगामी छह महीनों में रूस क्रूज मिसाइलों को नष्ट करने की अमेरिका की मांग को मान लेता है, तो संधि बचायी जा सकती है. अगर नहीं तो ‘संधि रद्द’ कर दी जायेगी.