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जाति व धर्म का भेद भुलाकर मनाएं लोकतंत्र का पर्व
हम सभी हर वर्ष सभी त्योहार धूमधाम से मनाते हैं और इस वर्ष लोकतंत्र का महापर्व भी है. यह ऐसा महापर्व है, जो पांच वर्ष में आता है. इस पर्व का समय जैसे-जैसे नजदीक आता जाता है, वैसे-वैसे विचारों के केंद्र का दायरा बढ़ता जाता है. इस महापर्व को मनाने के लिए न तो जाति […]
हम सभी हर वर्ष सभी त्योहार धूमधाम से मनाते हैं और इस वर्ष लोकतंत्र का महापर्व भी है. यह ऐसा महापर्व है, जो पांच वर्ष में आता है. इस पर्व का समय जैसे-जैसे नजदीक आता जाता है, वैसे-वैसे विचारों के केंद्र का दायरा बढ़ता जाता है. इस महापर्व को मनाने के लिए न तो जाति का भेद होता है और न ही धर्म का भेद. हर तबके के लोग इस महापर्व में शामिल होते हैं.
त्योहारों में लोग जैसे पकवानों का स्वाद लेकर उसकी चर्चा करते हैं, उसी तरह से इस महापर्व में लोग राजनीतिक दलों व उनके उम्मीदवारों की व्याख्या करते हैं और अपने मन की कसौटी पर स्वाद की तरह परखते हैं. इसलिए लोगों को यह ध्यान रखना होगा कि महापर्व का स्वाद कड़वाहट में न बदले और सही प्रतिनिधि का चुनाव करें. इसके लिए लोगों को महापर्व का भागीदार बनना होगा.
आयुष राज, आरा
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