– पुरुष वर्ग फुटबॉल में सोय ग्रुप दिरीगुटू बना चैंपियन, पूर्व सीएम अर्जुन मुंडा ने किया पुरस्कृत
सचिन्द्र कुमार दाश, खरसावां
कुचाई के पोड़ाडीह गांव में एथलेटिक्स एसोशिएशन क्लब के तत्वावधान में दो दिवसीय टुसू मेला व फुटबॉल प्रतियोगिता का आयोजन किया गया. मौके पर दो दिवसीय फुटबॉल प्रतियोगिता का आयोजन भी किया गया. 32 टीमों के बीच आयोजित पुरुष वर्ग के फुटबॉल प्रतियोगिता के फाइनल मैच में सोय ग्रुप दिरीगुटू, पीके स्पोटिंग क्लब कुंदरीलोंग को हराकर विजेता बना.
पुरस्कार वितरण समारोह में पहुंचे पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा, पूर्व विधायक मंगल सोय व सांसद प्रतिनिधि प्रदीप सिंहदेव ने विजेती टीम को 40 हजार, उप विजेता को 28 हजार, तीसरे स्थान रहे कुंबरॉम स्पोटिंग क्लब व चौथे स्थान पर रहे ट्रिपल एक्स क्लब को को 11-11 हजार रुपये नकद राशि के साथ शिल्ड देकर पुरस्कृत किया.
पुरस्कार वितरण समारोह में पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा, चतुर्भूज सिंह मुंडा, सांसद प्रतिनिधि लखीराम मुंडा, पंचायत समिति सदस्य धरमेंद्र सांडिल, बीस सूत्री अध्यक्ष दुलाल स्वांसी, चरण सिंह मुंडा, संतोष सोलंकी, अमित कुमार सामंत, सत्येंद्र कुम्हार, मंगल पांडेय, बबलू सोय आदि उपस्थित थे.
महिला वर्ग फुटबॉल में घोड़ाबांधा बनी चैंपियन
आठ महिला टीमों के बीच भी फुटबॉल प्रतियोगिता का आयोजन किया गया. प्रतियोगिता के फाईनल मैच में तृषा स्पोटिंग क्लब, घोड़ाबांधा (जमशेदपुर), हेंब्रम फुटबॉल क्लब जमशेदपुर को एक गोल से हराकर विजेती बनी. श्री मुंडा ने विजेता टीम को 20 हजार तथा उप विजेता टीम को 12 हजार रुपये नकद राशि देकर पुरस्कृत किया.
टुसू प्रदर्शनी में शैलाघाटी को प्रथम व बारुहातु को द्वितीय पुरस्कार
कुचाई के पोड़ाडीह में आयोजित टुसू मेला में विभिन्न गांवों से आयी महिलाओं के दल ने अपनी-अपनी चौडल व टुसू लेकर मेला में प्रदर्शित किये. इस दौरान टुसू व चौड़ल के सामने पारंपरिक गीत व नृत्य भी पेश किया गया. शौलाघाटी के टुसू को प्रथम पुरस्कार स्वरुप ढाई हजार रुपये, बारुहातु के टुसू को द्वितीय पुरस्कार के रूप में दो हजार रुपये, पोड़ाडीह के चौडल को तृतीय पुरस्कार के रूप में एक हजार रुपये दिये गये. मेला में पहुंचे अन्य सभी टुसू व चौडल ग्रुप को शांत्वना पुरस्कार दिया गया.
मौके पर अर्जुन मुंडा ने कहा कि टुसू के साथ-साथ संस्कृति व परंपरा से जुड़े हुए अन्य पर्व-त्योहार हमें अपने पूर्वजों से विरासत में मिली है. पूर्वजों से मिली इस तरह की सांस्कृतिक विरासत को हमें बचा कर रखना है. पर्व लोगों को आपस में जोड़ने का कार्य करती है तथा हमें जीने की ताकत देती है.