डॉ मितेश बी शर्मा
डायरेक्टर, कार्डियो थोरेसिक एंड वास्क्युलर सर्जन, धर्मशिला नारायणा सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, दिल्ली
लगभग 20 प्रतिशत लोग जिन्हें हार्ट अटैक हुआ होता है, उन्हें एक साल के अंदर ही दूसरा हार्ट अटैक आ जाता है. 2018 में इंटरनेशनल हेल्थ मैगजीन नेचर में प्रकाशित एक लेख के अनुसार, पहले हार्ट अटैक के कारण उपजे तनाव के कारण सूजन बढ़ाने वाली कोशिकाओं का निर्माण बढ़ जाता है, जो अथेरोस्क्लेरोटिक प्लॉक को डिस्टेबलाइज कर देती हैं, जिससे हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है. अथेरोस्क्लेरोटिक प्लॉक, धमनियों में कैल्शियम और कोलेस्ट्रॉल का जमाव होता है. तनाव के अलावा खान-पान की गलत आदतें, निष्क्रिय जीवनशैली और धूम्रपान भी दूसरे हार्ट अटैक का खतरा बढ़ा देते हैं.
कैसे बचें दूसरे हार्ट अटैक से : पहले हार्ट अटैक से बचने के बाद लोग जीवन में अक्सर निराशा से घिर जाते हैं. इस समय थोड़ा भी तनाव उनके लिए घातक हो सकता है. अगर समझदारी से काम लें और परिवार जनों की पूरी देखभाल मिले, तो जीवन को सुरक्षित किया जा सकता है. सेकेंड हार्ट अटैक से बचने के लिए जीवनशैली में परिवर्तन लाएं और कुछ सावधानियां अपनाएं.
कोलेस्ट्रॉल का उच्च स्तर हार्ट अटैक का सबसे प्रमुख कारण है, चाहे वह पहला हो या दूसरा. इसलिए कोलेस्ट्रोल स्तर को 130 एमजी/ डीएल तक रखिए. डाइट चार्ट में ऐसे खाद्य पदार्थों को शामिल करें, जिनमें ओमेगा-3 फैटी एसिड्स, पोटेशियम और मैग्नेशियम अधिक होता है, क्योंकि ये आपके शरीर में कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम करने में सहायता करते हैं. फल, सब्जियां, साबूत अनाज और मछलियों का सेवन अधिक करें. शारीरिक रूप से सक्रिय रहें और शराब, सिगरेट व अन्य नशे का सेवन बिल्कुल न करें.
कैसा हो आपका खान-पान : दिल को स्वस्थ रखने के लिए पोषक और संतुलित भोजन का सेवन बहुत जरूरी है. सैचुरेटेड वसा का सेवन कम कर दें, क्योंकि ये धमनियों को ब्लॉक कर देता है, जिससे हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है.
हरी पत्तेदार सब्जियां, सलाद, फल और साबूत अंकुरित अनाज अधिक-से-अधिक खाएं. एक दिन में दो या तीन चाय के चम्मच से अधिक तेल किसी भी रूप में न लें. वसारहित दूध और दुग्ध उत्पादों का सेवन करें. रेड मीट को अपने डाइट से बिल्कुल निकाल दें. मछली और चिकन ग्रिल्ड, बेक्ड या रोस्टेड रूप में खाएं. तला हुआ भोजन, पेस्ट्री, केक, मिठाइयां, पापड़ और अचार से परहेज करें. नमक, चीनी, कैफीन (चाय, कॉफी) की मात्रा सीमित रखें. डिब्बा बंद और जंक फूड से परहेज करें. अपने डॉक्टर द्वारा दिये निर्देशों के अनुसार ही खान-पान व जीवनशैली रखें.
शारीरिक रूप से सक्रिय रहें : सप्ताह में पांच दिन 30 मिनट तक हल्की शारीरिक गतिविधियां करें. अगर आपको एक्सरसाइज करना पसंद नहीं है, तो आप गार्डनिंग, वाकिंग और स्विमिंग भी कर सकते हैं. सीढ़ियों का इस्तेमाल करें.
तनाव से दूर रहने का प्रयास करें
ऐसे कई अध्ययन हुए हैं, जो बताते हैं कि तनाव दिल की समस्याओं का सबसे बड़ा कारण है. इससे दर्द और तकलीफ हो सकती है. चिंता और अवसाद की भावनाएं पैदा हो सकती हैं और आपका एनर्जी लेवल डाउन होता है. अपने मूड स्विंग के बारे में अपने डॉक्टर और परिवार से खुल कर बात करें और उनका सहयोग लेने में हिचकिचाएं नहीं.
अगर आप भावनात्मक उथल-पुथल से जूझ रहे हैं, तो किसी मनोचिकित्सक से मिलें. काम के अलावा अन्य गतिविधियों की तलाश करें, जो तनाव के स्तर को नीचे रखने में मदद करें. एक शौक या एक सकारात्मक आत्म-चर्चा करें. संगीत सुनें या अच्छी किताब पढ़ें या ध्यान करें. इससे न सिर्फ तनाव कम होगा, बल्कि पल्स रेट भी नियंत्रण में रहेगा.
रक्त दाब न बढ़ने दें
ब्लड प्रेशर को नियंत्रण में रखना हार्ट अटैक से बचने का एक महत्वपूर्ण तरीका है. जब ब्लड प्रेशर ज्यादा होता है तब दिल को शरीर में रक्त को धकेलने में अतिरिक्त मेहनत करनी पड़ती है. इससे हृदय का आकार बड़ा हो सकता है और धमनियों में वसा के जमा होने की आशंका बढ़ जाती है.
हमेशा ही रक्त दबाव को 120/80 एमएमएचजी के आस-पास रखें. बढ़ा हुआ रक्त दबाव 130/ 90 से ऊपर आपके ब्लॉकेज को दोगुनी रफ्तार से बढ़ायेगा. तनाव में कमी, ध्यान, नमक में कमी, यहां तक कि हल्की दवा लेकर भी रक्त दबाव को कम करें.
नियमित चेकअप
पहले हार्ट अटैक के बाद दूसरे से बचने के लिए सभी जरूरी उपाय करें. डॉक्टर ने जो दवाइयां दी हैं, उन्हें नियत समय पर लें. नियमित रूप से अपनी जांच कराएं.
इन उपायों को तुरंत शुरू करें
दोनों ही प्रकार की डायबिटीज टाइप-1 और टाइप-2, इंसुलिन हार्मोन के स्तर से जुड़ी हुई हैं और हार्ट अटैक व स्ट्रोक के खतरे को बढ़ा देती हैं. अगर आप डायबिटीज रोगी हैं, तो शुगर लेवल नियंत्रित रखें. आपका फास्टिंग ब्लड शुगर 100 एमजी/ डीएल से नीचे होना चाहिए और खाने के दो घंटे बाद उसे 140 एमजी/ डीएल से नीचे होना चाहिए.
हृदय रोगी के लिए भोजन बिना तेल के बनाएं. यानी ‘जीरो ऑयल’ को अपनाएं. मसाले का प्रयोग बंद नहीं करें, बल्कि न्यूनतम करें. तेल ट्राइग्लिसेराइड्स होते हैं और रक्त स्तर 130 एमजी/ डीएल के नीचे रखा जाना चाहिए.
अपने तनावों को लगभग 50 प्रतिशत तक कम करें. इससे हृदय रोग को रोकने में मदद मिलेगी, क्योंकि मनोवैज्ञानिक तनाव हृदय की बीमारियों की मुख्य वजह है.
मोटापा कार्डियोवॉस्क्युलर डिसीज और हार्ट अटैक का प्रमुख रिस्क फैक्टर है. इसलिए वजन को सामान्य रखें.
रिस्क फैक्टर्स
विशेषज्ञों के अनुसार, कई रिस्क फैक्टर्स दूसरे हार्ट अटैक के खतरे को बढ़ा देते हैं, जैसे –
निष्क्रिय जीवनशैली
वजन अधिक होना या मोटापा
कोलेस्ट्रॉल का उच्च स्तर
ब्लड शूगर का उच्च स्तर (अगर आपको डायबिटीज है)
उच्च रक्त दाब, अत्यधिक तनाव