14.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

राष्ट्र-निर्माण में मद्यपों का योगदान

आलोक पुराणिक वरिष्ठ व्यंग्यकार puranika@gmail.com सन् 3018 की खुदाई में मिली रिजॉर्ट-राज की कथा इस प्रकार है- एक समय की बात है. जंबू द्वीपे, भारतभूमि में खूब आनंद-मंगल हुआ करता था. राज रिजॉर्ट से चलते थे. सरकारें रिजॉर्ट में बनती थीं. बहुत न्यायपूर्ण व्यवस्थाएं थीं. एक प्रांत में शराबियों से कर वसूलकर उसे गौ-सेवा में […]

आलोक पुराणिक

वरिष्ठ व्यंग्यकार

puranika@gmail.com

सन् 3018 की खुदाई में मिली रिजॉर्ट-राज की कथा इस प्रकार है-

एक समय की बात है. जंबू द्वीपे, भारतभूमि में खूब आनंद-मंगल हुआ करता था. राज रिजॉर्ट से चलते थे. सरकारें रिजॉर्ट में बनती थीं. बहुत न्यायपूर्ण व्यवस्थाएं थीं. एक प्रांत में शराबियों से कर वसूलकर उसे गौ-सेवा में लगाया जाता था.

बीयर-शराब पर कर लगाकर सरकार ने ऐसी व्यवस्था की थी कि शराबी के पाप गौ-सेवा में कट जाते थे. कारोबारियों ने शराब के ठेकों पर लिखवा दिया- गौरक्षा केंद्र. इससे खलबली मची, पर एक तथ्य भी था कि यहीं से गौ आश्रय निर्माण के लिए राशि ली जाती थी. इस तरकीब से जनता शराबी होने से भी बच गयी और शराब की बिक्री भी खूब बढ़ी. तो ऐसी मद्य-कथा सुनकर सबका कल्याण होने लगा.

वीर विक्रम नामक विधायक ने चालू चक्रम नामक विधायक को सुपर टनाटन रिजॉर्ट के बाहर कन्फ्यूज्ड देखकर पूछा- हे चालू, आज तू सवालों में क्यों घिरा है?

चालू चक्रम बोला- इस पार्टी से भी बात चल रही है, उससे भी, दोनों ने मंत्री बनाने का वादा किया. कन्फ्यूजन है. हालांकि दोनों पार्टियां ही कुछ नकद एडवांस दे चुकी हैं.

वीर विक्रम ने कहा- तू ब्लैक डाग नामक मदिरा की 101 बोतलें काले कुत्ते को दिखाकर रिजॉर्ट के सामने फोड़ दे, कष्ट मिट जायेगा. चालू चक्रम ने ऐसा ही किया, दोनों पार्टियों ने आगे उसे और कैश एडवांस दिया, सरकार बनने की नौबत ही न आयी. इस तरह कैश एडवांस हासिल करके चालू बराबर उन्नति को प्राप्त हुआ. और कभी सरकार बन भी गयी, तो छह-सात महीने में सरकारें दोबारा निर्माणातुर होने लगीं.

रिजॉर्ट में विधायक के भाव बढ़ते गये. स्कूल, काॅलेज, अस्पताल बढ़ें या ना बढ़ें, पर रिजॉर्ट लगातार बढ़े. रिजॉर्ट को कालांतर में लोकतंत्र का तहखाना कहा गया, तहखाना यानी बेस, आधार. इस तरह भारत भूमि में विधायक, रिजॉर्ट और मद्य का भरपूर विकास हुआ.

लोकतंत्र जैसे-जैसे विकसित हुआ, वैसे-वैसे मद्य के धंधे का भरपूर विकास हुआ. मद्य के धंधे में लगे उद्यमियों की जीडीपी का विकास अर्थव्यवस्था के विकास से ज्यादा हुआ. कुछ ने तो इतना विकास कर लिया कि वह विकास राष्ट्र की सीमाओं में न समाया. विजय माल्या जैसे ब्रिटेन तक जाकर भारतीय मद्य उद्योग का डंका बजा आये.

मद्यप पहले तो यह स्वीकार करने में भी घबराते थे कि वह मद्यपान करते हैं, पर धीमे-धीमे समाज में मद्य के योगदान को न सिर्फ रेखांकित किया जाने लगा, बल्कि सम्मानित भी किया जाने लगा. बकार्डी, बैगपाइपर के नाम पर अस्पतालों का निर्माण हुआ. इनमें मद्यपों से प्राप्त कर का उल्लेख किया गया.

मद्यपों को समाज में सम्मान की निगाह से देखा जाने लगा. मद्यपों का सम्मान करनेवाला समाज परिपक्व माना जा सकता है. यद्यपि यही समाज पहले चोरों-डकैतों को भी माननीय नेताओं के तौर पर प्रतिष्ठित कर चुका था. इस तरह भारतभूमि में मद्य का और रिजॉर्ट का तेजी से विकास हुआ.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें