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पटना : परीक्षा से बहाल हुए बाल कल्याण समिति के सदस्य

कृष्ण कुमार सभी जिलों में एक अध्यक्ष और चार सदस्यों का हुआ चयन टिस की रिपोर्ट के बाद सरकार ने उठाये कदम पटना : राज्य में बेसहारा बच्चों को सहारा और संरक्षण देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) का गठन अब पैरवी की जगह परीक्षा के आधार पर की गयी है. […]

कृष्ण कुमार
सभी जिलों में एक अध्यक्ष और चार सदस्यों का हुआ चयन
टिस की रिपोर्ट के बाद सरकार ने उठाये कदम
पटना : राज्य में बेसहारा बच्चों को सहारा और संरक्षण देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) का गठन अब पैरवी की जगह परीक्षा के आधार पर की गयी है.
सभी जिलों में चार सदस्य और एक अध्यक्ष का चयन लिखित परीक्षा और साक्षात्कार के बाद किया गया है. इसके साथ ही राज्य सरकार ने टिस की रिपोर्ट के बाद सभी जिलों में पुरानी सीडब्ल्यूसी को भंग कर दिया है. हालांकि, इसे लेकर पुरानी सीडब्ल्यूसी के सदस्यों ने एक केस किया है, जो फिलहाल न्यायालय में लंबित है.
दरअसल, सीडब्ल्यूसी को बाल संरक्षण और कल्याण को लेकर महत्वपूर्ण शक्तियां और अधिकार मिला है. यह एक न्यायपीठ के रूप में काम करती है. इसे महानगर मजिस्ट्रेट या प्रथम वर्ग न्यायिक मजिस्ट्रेट के बराबर की शक्तियां प्राप्त हैं.
इसे बेसहारा बच्चों के कल्याण के संबंध में एक महीने में कम से कम बीस बैठकें करनी हैं. प्रत्येक बैठक के लिए प्रत्येक सदस्य को 1400 रुपये दिये जाते हैं. वहीं, इसके सदस्यों को पहले केवल 15 दिन का प्रशिक्षण दिया जाता था, अब इसकी अवधि बढ़ाकर तीन महीने कर दी गयी है.
टिस की रिपोर्ट में लापरवाही आयी सामने
राज्य सरकार के समाज कल्याण विभाग द्वारा करवायी गयी टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेस (टिस) की रिपोर्ट में सीडब्ल्यूसी की बड़ी लापरवाही सामने आयी. यह लापरवाही मुजफ्फरपुर शेल्टर होम कांड जैसी घटनाओं की बड़ी वजह मानी गयी. लापरवाही में सीडब्ल्यूसी के गठन से लेकर नियमों की अवहेलना शामिल थी.
टिस की रिपोर्ट आने से पहले सभी जिलों के डीएम सीडब्ल्यूसी के चार सदस्यों और एक उसके अध्यक्ष का मनोनयन करते थे. इसमें पैरवी हावी होती थी. अब नयी व्यवस्था के तहत सभी जिलों में इसके गठन के लिए विज्ञापन निकालकर स्नातक पास लोगों से आवेदन मांगा गया.
चाणक्या नेशनल लाॅ विवि ने उम्मीदवारों की लिखित परीक्षा ली और सफल आवेदकों का साक्षात्कार हुआ. मेरिट के आधार पर चुने गये चार सदस्यों और एक अध्यक्ष का प्रत्येक जिले में चयन कर सीडब्ल्यूसी बना दी गयी है. समाज कल्याण सुरक्षा निदेशालय के निदेशक राज कुमार कहते हैं कि नयी सीडब्ल्यूसी के सदस्यों को बाल संरक्षण से संबंधित प्रैक्टिकल ट्रेनिंग दी जायेगी.
इस कमेटी में मेरिट के आधार पर सदस्य बनने से बाल कल्याण के क्षेत्र में बेहतर काम होने की संभावना है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश मिलने के बाद नयी कमेटी प्रत्येक जिले में काम करने लगेगी.

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