लोकसभा चुनाव नजदीक है और सभी पार्टियां रेस हैं. उत्तर प्रदेश एक ऐसा राज्य है जिसने भारत को कई प्रधानमंत्री दिये, वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी वाराणसी से ही सांसद हैं. वाराणसी संसदीय क्षेत्र उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल इलाके में पड़ता है. पूर्वांचल यानी उत्तर प्रदेश का पूर्वी इलाका. इस इलाके में उत्तर प्रदेश के कुल 80 सीट में से 23 सीट हैं. इस इलाके की आबादी बहुत है और इस अलग पहचान भी. यहां से 117 विधायक भी आते हैं. इस क्षेत्र में आमतौर पर भोजपुरी भाषा बोली जाती है इसके अतिरिक्त अवधी भी बोली जाती है. इसे उत्तर प्रदेश का सबसे पिछड़ा इलाका भी माना जाता है. पूर्वांचल सांस्कृतिक रूप से तो समृद्ध है लेकिन इलाके में जाति आधारित राजनीति की छाप दिखती है, जो यहां के पिछड़ेपन का एक प्रमुख कारण माना जाता है. पूर्वांचल के प्रमुख जिलों में वाराणसी, इलाहाबाद, बलिया, बस्ती, जौनपुर, गाजीपुर भदोही इत्यादि हैं. तो आज बात करते हैं इलाहाबाद संसदीय क्षेत्र की.
इलाहाबाद संसदीय क्षेत्र में कुल पांच विधानसभा सीटें हैं
इलाहाबाद संसदीय क्षेत्र में कुल पांच विधानसभा सीटें हैं- मेजा, करछना, इलाहाबाद दक्षिण, बारा और कोरांव. इनमें से बाड़ा और कोरांव विधानसभा क्षेत्र अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित है. कुल मतदाता लगभग 16,84,489 हैं.. 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने इलाहाबाद जिले के 12 में से नौ सीटों पर कब्जा कर लिया. इलाहाबाद संसदीय क्षेत्र में आने वाले विधानसभा क्षेत्र में से मेजा सीट से बीजेपी की नीलम कंरवरियां जीतीं. करछना सीट से समाजवादी पार्टी के उज्जवल रमण सिंह जीते. इलाहाबाद दक्षिणी सीट से बीजेपी के नंदगोपाल गुप्ता नंदी जीते. बारा सीट से बीजेपी के डॉ अजय कुमार जीते. कोरांव सीट से बीजेपी के राजमणि जीते. पांच विधानसभा सीटों में से चार पर भाजपा के विधायक हैं जबकि एक पर सपा का उम्मीदवार विधायक है.
कई दिग्गजों को बनाया है सांसद
इलाहाबाद से लाल बहादुर शास्त्री, वीपी सिंह और मुरली मनोहर जोशी जैसे राजनीतिक दिग्गज चुनाव जीते हैं, तो अमिताभ बच्चन भी यहां के सांसद रह चुके हैं. इनके अतिरिक्त जनेश्वर मिश्रा जैसे दिग्गज भी यहां से चुनाव जीत चुके हैं.
कई पार्टियों के नेताओं को दिया मौका
इलाहाबाद एक ऐसी सीट है, जिसपर किसी खास राजनीतिक पार्टी का प्रभाव बहुत दिनों तक नहीं दिखता है. 1952 से 2014 तक यहां कई राजनीतिक पार्टियों के नुमाइंदे चुनाव जीतते रहे हैं. इस सीट के पहले सांसद श्रीप्रकाश थे जो स्वतंत्रता सेनानी थे और कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़े थे, उनके बाद लाल बहादुर शास्त्री 1957 में यहां से सांसद चुने गये. 1973 में भारतीय क्रांति दल के जनेश्वर मिश्रा को जनता ने चुना. 1984 में अमिताभ बच्चन कांग्रेस की टिकट पर सांसद बने. 1988 के उपचुनाव में वीपी सिंह निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीते. 1998 में मुरली मनोहर जोशी जीते. 2004 और 2009 में समाजवादी पार्टी के रेवती रमण सिंह जीते तो 2014 में यह सीट भाजपा के खाते में गयी. वर्तमान में श्याम चरण गुप्ता ही यहां से सांसद हैं. उन्होंने रेवती रमण सिंह को शिकस्त दी थी.
आज तक कोई महिला उम्मीदवार नहीं बनी सांसद
इलाहाबाद की जनता ने आज तक किसी महिला उम्मीदवार को अपना सांसद नहीं चुना है, हालांकि यहां पिछले चुनाव में महिला मतदाताओं की संख्या 749,166 थी. हालांकि शीर्ष पार्टियों ने भी कभी महिलाओं पर अपना विश्वास नहीं जताया है.
इलाहाबाद में साक्षरता दर
2011 की जनगणना के अनुसार इलाहाबाद जिले की आबादी 59,54,390 है. लिंगानुपात 1000 पुरुषों पर 901 है और साक्षरता दर 72.3% है.
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