प्रसनजीत, गया : महिलाएं चाहे गर्भवती हो या सामान्य उनमें खून की कमी हमेशा ही रहती है. हाइपरटेंशन, डायबिटिज, थाइरॉड, मोटापा जैसी समस्याएं अब आम हो चली हैं. इन बीमारियों के पीछे कई कारण गिनाये जातें हैं.लेकिन उन सभी कारणों से भी प्रमुख एक और बात है जो शायद पूरी समस्या की जड़ है.
वह है महिलाओं का भोजन अनुशासित नहीं होना. विशेषज्ञों की रिपोर्ट कहती है कि गांव हो या शहर हर 10 में से आठ घर की स्थिति यह है कि वहां महिलाएं समय पर भोजन नहीं करतीं और करती भी हैं तो संपूर्ण आहार नहीं लेती. खास बात यह कि इन घरों के पुरुषों को भी इससे कोई मतलब नहीं है कि उनके घर की महिलाओं ने कितने बजे भोजन किया और क्या खाया.
विशेषज्ञों के मुताबिक हर घर में पुरुष केवल महिलाओं के भोजन पर ध्यान दें, उन्हें अपने साथ खिलाएं तो महिलाओं की स्वास्थ्य संबंधी 80 प्रतिशत समस्याओं का समाधान हो जायेगा. यह एक बहुत छोटी सी कोशिश निश्चित तौर पर बड़ा बदलाव ला सकती है.
क्या है रिपोर्ट :
- संपूर्ण व समय पर भोजन नहीं लेने के कारण ही महिलाएं होती हैं बीमार
- हर घर की सच्चाई महिलाओं के खान-पान पर घर के पुरुष नहीं होते हैं गंभीर
- जिले में हर 10 में से छह महिलाओं में खून की कमी, और भी कई बीमारियां
एनीमिया है सबसे बड़ी समस्या
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की रिपोर्ट कहती है कि गया में 68.1 प्रतिशत गर्भवती में खून की कमी (एनीमिया)रहती है,जबकि सामान्य स्थिति में 61.8 प्रतिशत महिलाओं की यही स्थिति है. विशेषज्ञ बताते हैं कि महिलाओं के भोजन नहीं करने की आदत ने ऐसी स्थिति बना दी है. समय पर भोजन नहीं करने व उचित आहार नहीं मिलने की वजह से खून की कमी सबसे पहले होती है.
इसकी वजह से ही प्रसव में जटिलता आती है. जो बच्चा पैदा लेता है वह कुपोषित होता है. मां भी पूरी उम्र बीमार रहती है.स्वास्थ्य विषयों पर काम कर रहे संस्थान कहते हैं कि बिहार में 39 प्रतिशत महिलाओं में क्रोनिक एनर्जी डिफिसिएंसी मिलती है.मतलब वह शारीरिक रूप से बेहद कमजोर होती है. कारण वही है,संपूर्ण,संतुलित और समय पर आहार का नहीं मिलना.
क्या करें पुरुष
घर की महिलाओं को सुबह नाश्ता करने को जरूर कहें.
कोशिश करें कि दोपहर और रात का खाना साथ जरूर खाएं.
महिलाओं के स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को नजरअंदाज न करें.
उनके भोजन में हरी सब्जी,दूध,फल को जरूर शामिल करें.
घर में चर्चा करें,उनकी जरूरतों को जानें और पूरा करने का प्रयास करें.
…तो बदल जायेगी स्थिति
शिशु व मां आहार विशेषज्ञ मुमताज करीम कहते हैं कि हर घर में पुरुष एक छोटी सी कोशिश करें तो पूरी स्थिति बदल जायेगी. अपने घर की महिलाओं के भोजन पर जरूर ध्यान दें. उन्होंंने बताया कि उनके पास काउंसिलिंग में जब भी महिलाएं अपने पति के साथ आती हैं, तो वह सबसे पहले पति से यही सवाल करते हैं. मुमताज के मुताबिक हर पांच में तीन पुरुष यह स्वीकारते हैं कि वह वाकई इस पर गौर नहीं करते कि उनकी पत्नी क्या खा रही है और कब खा रही है.
यह तीन ऐसे पुरुष हैं जो पढ़े लिखे हैं और शहर में अच्छी नौकरी कर रहे हैं.मुमताज कहते हैं कि जब शहरों का यह हाल है तो गांव की स्थिति समझी जा सकती है. उन्होंने कहा कि महिलाएं सुबह उठते के साथ खाली पेट में ही चाय पी लेती हैं और इसके बाद वह घर के काम में लग जाती हैं. सब कुछ करने में दोपहर हो जाती है.
इस दौरान उनके पेट में गैस बनने लगती है. दोपहर में वह सीधे खाना खाती हैं. इसके बाद पाचन संबंधी समस्याएं शुरू हो जाती हैं. इस तरह से पूरा रूटीन टूट जाता है. जितनी कैलोरी चाहिए वह नहीं मिल पाती है. ऐसे में खून की कमी और बीमार होना तो तय ही है.
डायट से जुड़ी कुछ जरूरी बातें
एक सामान्य महिला को हर रोज 1800 से 2000 कैलोरी की जरूरत होती है. इसमें 18 मिली ग्राम आयरन,50 ग्राम प्रोटीन,20 ग्राम फैट व 400 मिलीग्राम पोटेशियम को शामिल करना अति आवश्यक है. वहीं एक गर्भवती महिला को 27 मिली ग्राम आयरन, 65 ग्राम प्रोटीन व 1000 मिलीग्राम कैलशियम की जरूरत होती है. प्रसव के बाद बच्चे को स्तनपान करा रही महिला को अपने भोजन में 27 मिली ग्राम आयरन,75 मिलीग्राम प्रोटीन व 1000 मिलीग्राम कैलशियम शामिल करना ही चाहिए.
भोजन में इन्हें जरूर शामिल करें
प्रोटीन
चना,दाल, बादाम, काजू, अनाज और मटर ,मांस, मछली, अंडे, दूध, पनीर, छाछ, फल, आदि में प्रोटीन में पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है।
कैल्शियम
हरी सब्जियां, दूध, दही, छाछ, पनीर आदि में पाया जाता है.इसलिए पर्याप्त मात्रा में लेनी चाहिए.
आयरन
हरी सब्जियां, अनाज, रोटी, सेम, मटर की हरी फलियों और सूखे मेवे .
विटामिन
चावल, गेंहूं, दूध से बने पदार्थ, मक्खन, फल, ताजी सब्जियां, नींबू, अंडा, टमाटर, मटर, सेम, दाल
कार्बोहाइड्रेट
चावल, गेंहूं, बाजरा, शक्कर, शहद, गुड़, मीठे फल (किशमिश, खजूर, अंगूर).
संपूर्ण व समय पर आहार नहीं मिलने से होनेवाली समस्याएं
एनिमिया ,मासिक श्राव में गड़बड़ी व अनियमितता, गर्भावस्था व प्रजनन के दौरान समस्याएं , हाइपर टेंशन, मधुमेह, थाइराॅड, कुपोषण, मोटापा
काउंसेलिंग में स्पष्ट हो जाती है स्थिति
यूनिसेफ की योजना इनफैंट यंग चाइल्ड फीडिंग की काउंसेलर ज्योति कुमारी कहती हैं कि प्रभावती अस्पताल में हर महीने की नौ तारीख को केंद्र सरकार की योजना के तहत महिलाओं के स्वास्थ्य जांच का शिविर लगाया जाता है. उन्होंने बताया कि यहां जो महिलाएं आती हैं उनमें से अधिकतर को खून की कमी रहती है. चाहे वह गर्भवती हों या स्तनपान करा रही हों. काउंसेलिंग के दौरान स्पष्ट हो जाता है कि एक तो वह खान-पान को लेकर जागरूक नहीं है.
दूसरा वह क्या खा रही हैं. इसकी कोई मॉनीटरिंग भी नहीं करता. काउंसेलर ने बीते महीने लगे कैंप में हुई एक घटना का भी जिक्र किया. उन्होंने बताया कि एक गर्भवती महिला की जांच के बाद उसे पीने के लिए अस्पताल प्रबंधन ने जब जूस दिया तो उसने जूस अपने पति को पीला दिया. पूछने पर कही कि वह नहीं पीती. अस्पताल के एक अधिकारी ने जब और पूछा तो महिला ने इस बात पर मौन स्वीकृति दी कि उसने कभी जूस पिलाने के लिए अपने पति से कहा ही नहीं और न ही पति ने कोशिश की. यह जमीनी हकीकत का एक छोटा सा उदाहरण है