नयी दिल्ली : दिल्ली की एक अदालत ने कथित रूप से मानहानिपूर्ण लेख प्रकाशित करने पर एक समाचार पत्रिका के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल के बेटे विवेक डोभाल द्वारा दायर मानहानि की शिकायत पर मंगलवार को संज्ञान लिया. अदालत इस मामले में अगले सप्ताह सुनवाई करेगी. अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट समर विशाल ने ‘द कारवां’ के खिलाफ मामले में सुनवाई के लिए 30 जनवरी की तारीख तय की.
अगली तारीख पर विवेक द्वारा बताये गये गवाहों के बयान दर्ज होंगे. विवेक के अलावा, दो अन्य गवाह उनके दोस्त निखिल कपूर तथा कारोबारी साथी अमित शर्मा हैं. विवेक डोभाल पत्रिका, लेख के लेखक कौशल श्रॉफ और कांग्रेसी नेता जयराम रमेश के खिलाफ अदालत पहुंचे हैं. रमेश ने 17 जनवरी को संवाददाता सम्मेलन आयोजित करके लेख में लिखे बेबुनियाद और मनगढंत तथ्यों को दोहराया था. ‘द कारवां’ ने 16 जनवरी को अपनी ऑनलाइन पत्रिका में ‘द डी कंपनीज’ शीर्षक से खबर दी थी जिसमें कहा गया था कि विवेक ‘कर चोरी की स्थापित पनाहगाह केमन द्वीप पर एक विदेशी फंड कंपनी चलाते हैं’ जिसका पंजीकरण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार द्वारा 2016 में 500 और एक हजार रुपये के नोट बंद करने के केवल 13 दिन बाद हुआ.
विवेक ने अपनी शिकायत में दावा किया कि पत्रिका उनके पिता से बदला लेने के लिए उन्हें जानबूझकर अपमानित कर रही है और उनकी छवि खराब कर रही है. विवेक ने आरोप लगाया कि लेख की सामग्री उनके द्वारा किसी गैरकानूनी कृत्य की बात नहीं करती, लेकिन पूरी कहानी इस ढंग से लिखी गयी है जो पाठकों को गड़बड़ियों का संकेत देती है. शिकायत में कहा गया कि पैराग्राफों को इस तरह व्यवस्थित किया गया है और अलग-अलग पैराग्राफ को ऐसे जोड़ा गया है जिसका उद्देश्य पाठकों को भ्रमित करना तथा उन्हें यह सोचने पर मजबूर करना है कि शिकायतकर्ता के नेतृत्व में कोई बड़ी साजिश चल रही है. इसमें कहा गया कि पत्रिका के हैंडल द्वारा किये गये सोशल मीडिया ट्वीट में लेख से कुछ पंक्तियां उठायी गयीं जो स्पष्ट करती हैं कि आगामी आम चुनावों को ध्यान में रखते हुए राजनीतिक लाभ कमाने के लिए यह विवेक और उनके परिवार की प्रतिष्ठा खराब करने का प्रयास है.
शिकायत में कहा गया कि लेख का शीर्षक भी सनसनी फैलाने वाला है, जो शिकायतकर्ता और उनके परिवार के खिलाफ पाठकों के मन में पूर्वाग्रह पैदा करता है. इसमें कहा गया कि विवेक और उनके बड़े भाई से जानकारी मांगने के लिए एक सोशल नेटवर्किंग साइट पर उन्हें सवाल भेजे गये और अस्पष्ट रूप से बताया गया कि यह पत्रिका द्वारा की जा रही खबर को लेकर है. शिकायत में आरोप लगाया गया, यह बताना जरूरी है कि वे सवाल नहीं देख पाये और यह शिकायतकर्ता के फेसबुक मैसेंजर से अचानक गायब हो गये. शिकायतकर्ता की जानकारी के अनुसार, शिकायतकर्ता के बड़े भाई 16 जनवरी को लेख के प्रकाशन और 17 जनवरी को संवाददाता सम्मेलन के बाद ही अपने ई-मेल देख पाये. इसमें आरोप लगाया गया कि उनसे या उनके बड़े भाई से कोई स्पष्टीकरण मांगने के लिए कोई फोन कॉल नहीं आया जो साफ करता है कि सवाल भेजना किसी आपराधिक कार्रवाई के बचाव के तौर पर औपचारिकता पूरी करने के लिए मात्र आंखों में धूल झोंकने जैसा था क्योंकि आरोपियों को पता था कि आरोप खुद में मानहानिपूर्ण और झूठे हैं.
रमेश के संबंध में, शिकायत में कहा गया कि उनके द्वारा संबोधित किया गया संवाददाता सम्मेलन ‘लेख में लिखी बातों से आगे’ चला गया और वह हमला बोलने के लिए पूरी तरह से तैयार थे और उन्हें ‘केवल लेख के प्रकाशन का इंतजार था’ जो उन्हें शिकायतकर्ता और उनके परिवार की प्रतिष्ठा को जानबूझकर चोट पहुंचाने का मौका दे सके. शिकायत में कहा गया कि लेख का इस्तेमाल बदला लेने और दुश्मनी निकालने के लिए राजनीतिक हथियार के रूप में किया गया. शिकायतकर्ता ने कहा कि लेख के लेखक ने कई दस्तावेज हासिल करने का दावा किया और कहा कि इनमें महत्वपूर्ण सूचनाएं प्राप्त हुईं. इसमें कहा गया कि केमन द्वीप या दुनिया में किसी अन्य स्थान पर कोई विदेशी फंड फर्म स्थापित करना अपने आप में गैरकानूनी और अवैध कृत्य नहीं है. शिकायत में कहा गया कि हालांकि इसे इस तरीके से दिखाया गया है कि विदेशी फंड फर्म स्थापित करना ही गैरकानूनी कृत्य है.