बढ़ता प्रदूषण चिंता का विषय बनता जा रहा है. इस बात को दलित आदिवासी समाज भी महसूस कर रहा है. वर्तमान में मुंबई जैसे महानगर से लेकर बिहार के मैदानी भू-भाग तक भू-जल की समस्या देखी जा रही है. वहीं, प्रदूषण को कम करने के लिए जंगल बचाने की बात भी कही जा रही है.
मृदा प्रदूषण कम हो, इसके लिए बिहार सरकार ने प्लास्टिक पर पूर्ण प्रतिबंध लगाकर पर्यावरण के प्रति बहुत ही सराहनीय कदम उठाया है. यही भावना जंगली आदिवासियों की भी है तथा अपने अस्तित्व को बचाने के लिए उन्होंने जल, जंगल और जमीन को बचाने को लेकर आंदोलन कर रहे हैं. जंगली आदिवासियों के संरक्षण से पर्यावरण का संरक्षण होगा.
नितेश कुमार सिन्हा, जानपुल चौक (मोतिहारी)