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रांची : लेखन सबसे बड़ा हथियार, देशज दर्शन को उजागर करें
रांची : गोस्सनर कॉलेज के मुंडारी भाषा विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ मनसिद्ध बड़ायउद की पुस्तक ‘होड़ो जगर सइति ओड़ो: सइति ओलहरियाको’ (मुंडारी साहित्य व इसके साहित्यकार) का लोकार्पण गोस्सनर कॉलेज के सेमिनार हॉल में हुआ़ इस अवसर पर मुख्य अतिथि डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय के वीसी डॉ सत्यनारायण मुंडा ने कहा कि अपनी […]
रांची : गोस्सनर कॉलेज के मुंडारी भाषा विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ मनसिद्ध बड़ायउद की पुस्तक ‘होड़ो जगर सइति ओड़ो: सइति ओलहरियाको’ (मुंडारी साहित्य व इसके साहित्यकार) का लोकार्पण गोस्सनर कॉलेज के सेमिनार हॉल में हुआ़ इस अवसर पर मुख्य अतिथि डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय के वीसी डॉ सत्यनारायण मुंडा ने कहा कि अपनी भाषा और समाज को जीवित रखने के लिए लेखन अत्यंत जरूरी है़
यह सबसे बड़ा हथियार है़ इस पुस्तक में सिर्फ मुंडाओं की नहीं, बल्कि सभी मानव की बातें हैं. इसमें प्रकृति और पशु पक्षियों की उत्तरजीविता की बातें हैं. मानव जाति के जिंदा रहने के लिए जरूरी बातों की जानकारी है़ मुंडा साहित्य या होड़ो साहित्य, यह पूरी दुनिया के लिए महत्वपूर्ण है़ मुंडारी साहित्य में सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक जनजीवन से जुड़ी गूढ़ बातें छिपी हैं, जिन्हें लिपिबद्ध और संग्रहित करने की जरूरत है़ युवा लिखें और समाज को आगे बढ़ाये़ं देशज दर्शन को उजागर करे़ं इसके बारे में दुनिया को जानना जरूरी है़
कक्षा एक से लेकर स्नातकोत्तर तक के लिए उपयोगी : विशिष्ट अतिथि, गोस्सनर थियोलॉजिकल कॉलेज के पूर्व प्राध्यापक रेव्ह टीएस सिरिल हंस ने कहा कि यह पुस्तक सरल मुंडारी भाषा में लिखी है़
इसकी उपयोगिता कक्षा एक से लेकर स्नातकोत्तर तक की कक्षाओं के लिए है़ इसमें मुंडारी लिपि का मानकीकरण का प्रयास है, साथ ही मुंडारी के ध्वन्यात्मक स्वरूप को भी प्रकट किया गया है़ गोस्सनर कॉलेज के पूर्व कुड़ुख विभागाध्यक्ष सह पूर्व सांसद डॉ दुखा भगत ने कहा कि यह पुस्तक मुंडा समाज के लिए धरोहर है़
इस अवसर पर बिशप सीडी जोजो, पूर्व कर्नल एस के सोय, सुखराम हस्सा, बिरसा ओड़ेया, पूर्व नागपुरी विभागाध्यक्ष डॉ राम प्रसाद व अन्य ने भी विचार रखे़ कार्यक्रम का संचालन हिंदी विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ प्रशांत गौरव ने किया़ कार्यक्रम में गोस्सनर कॉलेज की प्रोफेसर इंचार्ज डॉ ईआर टुडु, डॉ योताम कुल्लू, बहामनी बड़ायउद, शिशिर भेंगरा, स्नेहा, प्रो तनुजा मुंडा, मोनिका हंस, डॉ हाराधन कोईरी सहित कई मुंडारी साहित्य प्रेमीमौजूद थे़
355 पृष्ठ की है पुस्तक कीमत पांच सौ रुपये
जेवियर पब्लिकेशंस द्वारा प्रकाशित 355 पृष्ठ की इस पुस्तक में छह अध्याय हैं. इसमें भाषा की उत्पत्ति, व्याकरण, लेखकों की रचना के नाम, तिथि, देशी-विदेशी विद्धानों के लेख व शोध कार्यों आदि विषय शामिल हैं. इसकी कीमत 500 रुपये रखी गयी है़
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