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कृषि निर्यात नीति पर राज्यों में कार्यशालाओं का आयोजन करेगी मोदी सरकार

नयी दिल्ली : वाणिज्य मंत्रालय कृषि निर्यात नीति को बेहतर ढंग से लागू करने के उद्देश्य से महाराष्ट्र, गुजरात और उत्तर प्रदेश समेत विभिन्न राज्यों में कार्यशालाएं आयोजित करने की योजना बना रहा है. एक अधिकारी ने बताया कि वाणिज्य मंत्रालय ने राज्य सरकारों को इस नीति के कार्यान्वयन के लिए अपने अपने यहां एक […]

नयी दिल्ली : वाणिज्य मंत्रालय कृषि निर्यात नीति को बेहतर ढंग से लागू करने के उद्देश्य से महाराष्ट्र, गुजरात और उत्तर प्रदेश समेत विभिन्न राज्यों में कार्यशालाएं आयोजित करने की योजना बना रहा है. एक अधिकारी ने बताया कि वाणिज्य मंत्रालय ने राज्य सरकारों को इस नीति के कार्यान्वयन के लिए अपने अपने यहां एक ऐसी एजेंसी स्थापित करने का सुझाव दिया है, जो इसी काम पर ध्यान दे. इन कार्यशालाओं से निर्यात की राह के अड़चनों की पहचान करने नीति के कार्यान्वयन में कठिनाइयों को दूर करने और सुधारने के लिए प्रतिक्रिया और सुझाव प्राप्त करने में मदद मिलेगी.

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अधिकारी ने कहा कि इस नीति के लिए सभी राज्यों में कार्यशालाओं का आयोजन करने की योजना है, ताकि कृषि वस्तुओं के निर्यात को बढ़ावा दिया जा सके. राज्यों को अपनी अलग कृषि-निर्यात नीति भी तैयार करने के लिए भी कहा गया है. मंत्रालय ने कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपिडा) को राज्यों के लिए एक खाका तैयार करने को कहा है, जिसके आधार पर राज्य अपनी नीति तैयार करेंगे.

सरकार ने कृषि निर्यात नीति को पिछले महीने मंजूरी दी. इसमें वर्ष 2022 तक कृषि वस्तुओं के निर्यात को दोगुना कर 60 अरब डॉलर करने, निर्यात की जाने वाली सामग्रियों में विविधता लाने और मूल्य वर्धित वस्तुओं के निर्यात को बढ़ावा देने के प्रावधान हैं. नीति के तत्वों के कार्यान्वयन में कुछ वित्तीय प्रभाव होंगे, जिनमें से कुछ विभिन्न मंत्रालयों की मौजूदा योजनाओं के ढांचे के भीतर से पूरा किया जायेगा.

इस नीति पर पहली राष्ट्रीय कार्यशाला हाल ही में राष्ट्रीय राजधानी में आयोजित की गयी थी. अनुमोदित नीति अनुसंधान और विकास, क्लस्टर विकास, रसद और परिवहन में सुधार सहित विभिन्न क्षेत्रों पर केंद्रित है. देश के कुल निर्यात में वर्तमान में कृषि उत्पादों का हिस्सा 10 फीसदी से अधिक का है. इस वित्त वर्ष में अप्रैल-नवंबर के दौरान देश का कुल निर्यात 11.58 फीसदी बढ़कर 217.52 अरब डॉलर रहा.

वर्ष 2011-12 के बाद से देश का निर्यात लगभग 300 अरब डॉलर के स्तर पर रुका हुआ है. 2017-18 में यह लगभग 10 फीसदी की वृद्धि के साथ 303 अरब डॉलर रहा. निर्यात को बढ़ावा देने से किसी देश को रोजगार के अवसर बढाने, विनिर्माण को बढ़ावा देने और अधिक विदेशी मुद्रा अर्जित करने में मदद मिलती है.

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