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कोलकाता : स्वामीजी के विचारों से दूर होगी नफरत : ममता बनर्जी

विवेकानंद की जयंती. सीएम ने की हिंसा का माहौल खत्म करने की अपील, कहा कोलकाता : विश्व के महान संतों में शुमार स्वामी विवेकानंद की जयंती के मौके पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने देश के वर्तमान हालात को जोड़कर उनके विचारों और आदर्शों को नफरत और हिंसा के माहौल को खत्म करने के लिए प्रेरक […]

विवेकानंद की जयंती. सीएम ने की हिंसा का माहौल खत्म करने की अपील, कहा

कोलकाता : विश्व के महान संतों में शुमार स्वामी विवेकानंद की जयंती के मौके पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने देश के वर्तमान हालात को जोड़कर उनके विचारों और आदर्शों को नफरत और हिंसा के माहौल को खत्म करने के लिए प्रेरक बताया है. शनिवार सुबह मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ट्वीटर के माध्यम से कहा है कि आज महान संत और दार्शनिक स्वामी विवेकानंद जी की जयंती है.

पश्चिम बंगाल सरकार उनकी याद में राज्य भर में विवेक उत्सव मना रही है. हमें हमेशा भाईचारा और शांति का उनका संदेश याद रखना होगा. उन्होंने जीवन भर इसी के लिए काम किया था. इसके बाद ममता ने कहा कि स्वामी विवेकानंद की जयंती को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में भी मनाया जाता है. आज समय आ गया है कि देश के सभी युवाओं को एक साथ आकर देशभर में व्याप्त नफरत और अस्थिरता के माहौल को खत्म करने के लिए काम करना चाहिए. विवेकानंद के विचारों को आत्मसात करते हुए दोबारा देश के मान-सम्मान को बचाने का यही एकमात्र रास्ता है.

उल्लेखनीय है कि स्वामी विवेकानंद अध्यात्म के क्षेत्र में विलक्षण प्रतिभा के धनी थे. गुरु रामकृष्ण परमहंस की शरण में रहकर उन्होंने अध्यात्म की दीक्षा ली थी, जिसके बाद वे वेदांत के विख्यात और प्रभावशाली आध्यात्मिक गुरु के रूप में पूरे विश्व पटल पर उभरे थे.

उन्होंने अमेरिका स्थित शिकागो में सन् 1893 में आयोजित विश्व धर्म महासभा में सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व किया था. भारत की आध्यात्मिकता से परिपूर्ण वेदांत दर्शन अमेरिका और यूरोप के हर एक देश में स्वामी विवेकानंद की वक्तृता के कारण ही पहुुंचा. उन्हें प्रमुख रूप से उनके भाषण की शुरुआत ‘ मेरे अमेरिकी भाइयो एवं बहनों ‘ के साथ करने के लिये जाना जाता है. उनके संबोधन के इस प्रथम वाक्य ने सबका दिल जीत लिया था.

यह उस दौर की बात है जब पूरी दुनिया में लोग जाति, रंग देश आदि के आधार पर बंटे थे. हर कोई अलग अलग धर्म को मानने वाला था. उस समय जब विवेकानंद ने अमेरिका में खड़े होकर कहा था कि मेरे प्यारे अमेरिकी भाइयों एवं बहनों तब उनके इस शब्द में पूरी मानव जाति के एक पिता होने का संकेत मिला था जो दुनिया के लिए पहला अनुभव था.

सपा-बसपा गठबंधन का स्वागत

कोलकाता. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 2019 लोकसभा चुनाव के मद्देनजर शनिवार को हुए सपा-बसपा महागठबंधन का स्वागत किया है. सुश्री बनर्जी ने ट्वीट किया, ‘मैं आगामी लोकसभा चुनाव के लिए सपा और बसपा के बीच हुए गठबंधन का स्वागत करती हूं.’

गौरतलब है कि भाजपा पर हमेशा मुखर रहने वाली तृणमूल प्रमुख ममता भाजपा विरोधी विपक्षी खेमे को लामबंद करने में जुटी हुई हैं. इसके लिए बीते एक सालों में उन्होंने देश भर के विभिन्न हिस्सों का दौरा किया है और अलग-अलग राजनीतिक दलों के प्रमुखों से मिली हैं. इससे पहले सुश्री बनर्जी ने यह सुझाव दिया था कि उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा साथ आए तो भाजपा को उत्तर भारत में कड़ी टक्कर मिलेगी.

उन्होंने कहा था कि यूपी संसद के निचले सदन को 80 सांसद देता है जो की राष्ट्रीय राजनीति के लिए काफी महत्वपूर्ण है. इससे पहले अखिलेश यादव जब कोलकाता आये थे तो उन्होंने ममता के कालीघाट स्थित आवास पर जाकर मुलाकात की थी.

अखिलेश ने तब कहा था कि उनकी दीदी के साथ हुई मुलाकात में भाजपा विरोधी गठबंधन के बाबत बातचीत हुई है. गौरतलब है कि आगामी 19 जनवरी को तृणमूल कांग्रेस द्वारा बुलाये गये ब्रिगेड सभा में हिस्सा लेने के लिए उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव यहां पहुंच रहे हैं.

कोलकाता : स्वामीजी का शिकागो संभाषण पाठ्यक्रम में होगा शामिल

कोलकाता : स्वामी विवेकानंद के आदर्शों के प्रति नयी पीढ़ी को रूबरू कराने के लिए पश्चिम बंगाल सरकार ने स्कूल पाठ्यक्रम में उनके संभाषण को शामिल करने का निर्णय लिया है. शनिवार को स्वामी जी की जयंती पर राज्य शिक्षा विभाग की ओर से जारी बयान के अनुसार, उनके संभाषणों को पाठ्यक्रम में शामिल करने के साथ-साथ राज्य शिक्षा विभाग ने छात्रों के बीच शिकागो में विश्व धर्म संसद में स्वामी विवेकानंद के संबोधन वाली पुस्तिकाओं को वितरित करने का निर्णय लिया है.

राज्य सरकार ने शिकागो में विश्व धर्म संसद में स्वामी विवेकानंद के संबोधन के 125 वर्ष पूरे होने के मौके पर बच्चों के चारित्रिक निर्माण के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए न सिर्फ पुस्तिकाओं का वितरण करेगी बल्कि उसे समझाने के लिए शिक्षकों को भी प्रशिक्षित किया जायेगा. साथ ही अन्य समाज सुधारकों के जीवन, कार्यों और संदेशों से संबंधित विवरण भी पाठ्य पुस्तकों में शामिल किए जायेंगे. विशेषज्ञ समिति इस पर चर्चा करेगी और इस संबंध में निर्णय लेगी. समिति उन पुस्तकों को अंतिम रूप देगी, जहां ऐसी सामग्री पेश की जायेगी. वे यह भी तय करेंगे कि किस कक्षा में इन पुस्तकों को लांच किया जायेगा.

शिक्षा विभाग के एक अधिकारी ने कहा : समिति इस संबंध में सभी पहलुओं को अंतिम रूप देने के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के सामने रखेगी. उन्होंने कहा : पिछले चार दशकों में, जनता के बीच समाज सुधारकों के संदेशों को प्रसारित करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया. अब, मुख्यमंत्री ने यह पहल की है.

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