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मकर संक्रांति पर गरमाया है गया का तिलकुट बाजार

– इस वर्ष कारोबार में 25 फीसदी बढ़त की संभावना जितेंद्र मिश्र, गया मकर संक्रांति करीब आते ही लोग तिलकुट, तिलवा व लाई आदि को याद करने लगते हैं. हालांकि, तिल से बने ये सभी उत्पाद दूसरी जगहों पर भी बन सकते हैं, कई जगह बनते भी हैं. पर बात जब तिलकुट की हो, तो […]

– इस वर्ष कारोबार में 25 फीसदी बढ़त की संभावना

जितेंद्र मिश्र, गया

मकर संक्रांति करीब आते ही लोग तिलकुट, तिलवा व लाई आदि को याद करने लगते हैं. हालांकि, तिल से बने ये सभी उत्पाद दूसरी जगहों पर भी बन सकते हैं, कई जगह बनते भी हैं. पर बात जब तिलकुट की हो, तो गया को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. अन्य वर्षों की तरह इस बार भी मकर संक्रांति से पहले गया के तिलकुट बाजार में भारी चहल-पहल है. दिवाली के बाद से बाजार में तिलकुट की बिक्री का जो ट्रेंड है, उसे देखते हुए तिलकुट व्यवसायियों के एक संगठन का अनुमान है कि इस बार यहां के कारोबार में करीब 25 फीसदी की वृद्धि होगी.

तिलकुट के कारोबार से जुड़े एक बड़े प्रतिष्ठान न्यू श्रीराम तिलकुट भंडार के प्रॉपराइटर ने एक बातचीत में बताया कि मकर संक्रांति की तिथि नजदीक होने के चलते उन लोगों पर काफी दबाव है. कारीगर लगातार काफी मेहनत कर रहे हैं. जैसे-जैसे संक्रांति की तिथि नजदीक आ रही है, तिलकुट की मांग और ग्राहकों की संख्या बढ़ रही है. उन्होंने बताया कि अभी गया के बाहर से आनेवाले ग्राहकों की संख्या ज्यादा है. इनमें राज्य से बाहर के भी खरीदार शामिल होते हैं.

हालांकि, तिलकुट की महंगाई को देखते हुए उन्हें आशंका है कि बिक्री प्रभावित भी हो सकती है. उन्होंने बताया कि इस बार गया में औसतन 240 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से तिलकुट बिक रहा है. पिछले साल इसकी प्रति किलोग्राम औसत दर 220 रुपये थी. कारण बताते हुए उन्होंने कहा कि इस बार तिल की कीमत में 80 फीसदी तक की वृद्धि हो गयी है. ऐसे में महंगाई का कुछ वजन खुदरा ग्राहकों के कंधों पर भी पड़ेगा.

उधर, इस धारणा के ठीक विपरीत गयाधाम तिलकुट व्यवसायी संघ की उम्मीदें बेहतर कारोबार की संभावना पर टिकी हैं. संगठन के अध्यक्ष लालजी प्रसाद ने बताया कि शहर में तिलकुट के कारोबार से जुड़े सूचीबद्ध प्रतिष्ठानों की संख्या कोई 150 से अधिक है. शहर के बाहर भी ऐसे ढेर सारे छोटे-बड़े प्रतिष्ठान हैं. उन्होंने बताया कि इस बार तिलकुट के कारोबार में उन्हें 25 फीसदी वृद्धि का अनुमान है. पिछले वर्ष शहर में करीब 20 करोड़ का कारोबार हुआ था. इस वर्ष 25 करोड़ के कारोबार का अनुमान है.

तिलवा व बादाम चिक्की की भी होती है मांग

एक तिलकुट व्यवसायी ने बताया कि मकर संक्रांति के अवसर पर तिलकुट के अतिरिक्त बाहर से मंगाये जानेवाले बढ़िया क्वालिटी के तिल से बने तिलवा की भी काफी मांग आती है. बादाम चिक्की की भी. इनका भी बड़े पैमाने पर उत्पादन हो रहा है. उल्लेखनीय है कि व्यावसायिक दृष्टि से बननेवाले तिलकुट के लिए कानपुर से बड़े पैमाने पर गया के कारोबारी तिल मंगाते हैं. थोड़ी-बहुत खरीदारी झारखंड के कुछ मार्केट से भी होती है. कुछ अन्य राज्यों से भी.

हाल में बढ़ा है गुड़वाले तिलकुट का डिमांड

तिलकुट कारोबारियों के मुताबिक, गया में मुख्यत: चीनी और गुड़ से बननेवाले तिलकुट उपलब्ध होते हैं. वैसे चीनीवाले का ही उत्पादन ज्यादा होता है. पर, गुड़वाले तिलकुट की भी मांग कम नहीं है. राजेश गुप्ता ने बताया कि पिछले कुछ वर्षों में गुड़वाले तिलकुट की मांग में लगातार वृद्धि हुई है. इसका बड़ा श्रेय वह चीनी से मानव रक्त में शुगर लेवल बढ़ने की बढ़ती आंशका को देते हैं.

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