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रांची : कपिल सिब्बल की दलील नहीं चली, हाइकोर्ट से लालू प्रसाद को नहीं मिली राहत
याचिकाएं खारिज. चारा घोटाले के तीन मामलों में प्रार्थी ने मांगी थी जमानत रांची : चारा घोटाला के तीन मामलों में सजायाफ्ता बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री व राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद को झारखंड हाइकोर्ट से राहत नहीं मिल पायी. हाइकोर्ट के जस्टिस अपरेश कुमार सिंह की अदालत ने लालू प्रसाद की जमानत याचिकाअों को खारिज […]
याचिकाएं खारिज. चारा घोटाले के तीन मामलों में प्रार्थी ने मांगी थी जमानत
रांची : चारा घोटाला के तीन मामलों में सजायाफ्ता बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री व राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद को झारखंड हाइकोर्ट से राहत नहीं मिल पायी. हाइकोर्ट के जस्टिस अपरेश कुमार सिंह की अदालत ने लालू प्रसाद की जमानत याचिकाअों को खारिज कर दिया. चार जनवरी को जमानत याचिकाओं पर सुनवाई पूरी होने के बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. गुरुवार को अदालत ने अपना फैसला सुनाया.
प्रार्थी की दलील का विरोध किया : वहीं सीबीआइ की ओर से अधिवक्ता राजीव सिन्हा व अधिवक्ता नीरज कुमार ने प्रार्थी की दलील का विरोध किया था.
उन्होंने कहा कि चारा घोटाला के इन तीन मामलों में प्रार्थी के खिलाफ पुख्ता सबूत है. उच्चस्तरीय षड्यंत्र के तहत कोषागारों से करोड़ों रुपये की अवैध निकासी की गयी थी. निकासी को रोकने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की गयी. उसे होते रहने दिया गया. इस षड्यंत्र में राजनेता, ब्यूरोक्रेट्स व सप्लायर शामिल थे. रिम्स प्रबंधन ने कोई ऐसी बात नहीं कही है कि लालू प्रसाद की स्थिति चिंताजनक है.
प्रार्थी ने कोई नयी बात नहीं कही है. नयी बात सिर्फ यह है कि निकट भविष्य में लोकसभा का चुनाव होनेवाला है. प्रार्थी एक राष्ट्रीय पार्टी के अध्यक्ष हैं. चुनाव में भागीदारी के लिए लालू प्रसाद जेल से बाहर आना चाहते हैं.
उल्लेखनीय है कि लालू प्रसाद ने तीन मामलों में जमानत याचिका (आइए) दायर कर नियमित जमानत देने का आग्रह किया था. सीबीआइ की विशेष अदालत ने चारा घाेटाले के आरसी-38ए/96, आरसी-64ए/96 व आरसी-68ए/96 में दोषी पाने के बाद लालू प्रसाद को सजा सुनायी है. प्रार्थी ने हाइकोर्ट में अपील याचिका दायर कर सजा को चुनौती दी है. अपील लंबित है.
कपिल सिब्बल की दलील नहीं चली
लालू प्रसाद की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पक्ष रखा था. अदालत में कपिल सिब्बल की दलील नहीं चल पायी. सुनवाई के दौरान वरीय अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा था कि लालू बुजुर्ग हैं.
उनकी उम्र 71 वर्ष हो चुकी है. गंभीर बीमारियों से ग्रसित हैं. मेडिकल इमरजेंसी की स्थिति है. सरकारी गवाह की गवाही के आधार पर सीबीआइ की विशेष अदालत ने सजा सुनायी है. आरसी-68ए/96 में जो केस व सबूत है, वही आरसी-20ए/96 केस में एक समान है. लालू प्रसाद राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं. लोकसभा चुनाव होनेवाला है. उम्मीदवारों को सिंबल देने के लिए अध्यक्ष के हस्ताक्षर की जरूरत होती है. इसलिए उन्हें नियमित जमानत दी जानी चाहिए.
कोर्ट ने आदेश में क्या कहा
अपने आदेश में अदालत ने कहा है कि देवघर कोषागार से अवैध निकासी से संबंधित आरसी-64ए/96 मामले में प्रार्थी ने कोई नयी बात नहीं कही है. पुरानी बातों को ही दुहराया है. इस मामले में फरवरी 2018 में ही जमानत याचिका खारिज हो चुकी है. वहीं आरसी-38ए/96 व आरसी-68ए/96 मामले में लालू प्रसाद पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं. इसलिए अदालत इन्हें जमानत नहीं दे सकती है.
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