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500 लोगों ने पैर छूकर दी अंतिम विदाई, नहीं जला एक भी चूल्हा, गांव में बनेगा मगरमच्छ का मंदिर
छत्तीसगढ़ के बावमोहरा गांव में 175 साल के मगरमच्छ गंगाराम की मौत हुई तो पूरे गांव में मातम पसर गया. गंगाराम की मौत से पूरा गांव सदमे में है. दूर दूर से लोग इसे देखने आ रहे हैं. ग्रामीणों की माने तो गंगाराम नाम का यह मगरमच्छ उनके साथ 175 सालों से रह रहा है.गांव […]
छत्तीसगढ़ के बावमोहरा गांव में 175 साल के मगरमच्छ गंगाराम की मौत हुई तो पूरे गांव में मातम पसर गया. गंगाराम की मौत से पूरा गांव सदमे में है. दूर दूर से लोग इसे देखने आ रहे हैं. ग्रामीणों की माने तो गंगाराम नाम का यह मगरमच्छ उनके साथ 175 सालों से रह रहा है.गांव वालों ने गंगाराम का अंतिम संस्कार किया.
पांच सौ से ज्यादा लोगों ने पैर छूकर उसे अंतिम विदाई दी, और साज सज्जा के साथ उसका अंतिम संस्कार किया गया. इंसानों के बीच रहते रहते गंगाराम भी उनसे काफी घुल मिल गया था.
मगरमच्छ का बनेगा मंदिर
गांव वालों का गंगाराम से लगाव इस कदर बढ गया था कि उसकी मौत के बाद पूरे गांव में मातम पसर गया. उसके शव को पोस्टमार्टम के लिए बाहर ले जाने से गांववालों ने मना कर दिया. ग्रामीणों ने उसके शव को उसी तालाब के नीचे दफनाया जहां वो रहता था. अब ग्रामीण सहयोग से गंगाराम का मंदिर बनवा रहे हैं.
मगरमच्छ को दाल-चावल भी खिलाते थे गांववाले
गांववालों की माने तो गंगाराम ने कभी किसी को नुक्सान नहीं पहुंचाया. ग्रामीणों ने ये भी बताया कि कई लोग तो उसे दाल चावल और रोटिया भी खिलाते थे. वन विभाग के उप मंडल अधिकारी आर के सिन्हा ने बताया कि मगरमच्छ की आयु लगभग 130 वर्ष की थी तथा उसकी मौत स्वाभाविक थी. गंगाराम पूर्ण विकसित नर मगरमच्छ था. उसका वजन 250 किलोग्राम था और उसकी लंबाई 3.40 मीटर थी.
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