गत वर्ष पूरे झारखंड की शिक्षा व्यवस्था में आत्मघाती बदलाव लाया गया. कक्षा तीन से आठ तक की शिक्षा प्रणाली में सुधार हेतु ‘ज्ञान-सेतु’ की व्यवस्था की गयी. पता नहीं इस व्यवस्था का प्रस्ताव कहां से आया, पर ज्ञान-सेतु के संचालन के दौरान यह स्पष्ट हो गया है कि आने वाले समय में शिक्षा की गुणवत्ता पर प्रश्नचिह्न लगना स्वाभाविक है.
एक ओर स्कूलों में कक्षा छह से आठ तक सिर्फ ज्ञान-सेतु का क्रियान्वयन पूर्ण कार्य अवधि में किया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर अगले माह के प्रारंभ में ही आठवीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा निर्धारित की गयी है. गौरतलब हो कि ज्ञान-सेतु के कारण छह से आठ तक के मुख्य पाठ्यक्रम का पठन-पाठन बाधित है. ऐसे में आठवीं की बोर्ड परीक्षा में शामिल होने वाले विद्यार्थी मानसिक तनाव के शिकार हो सकते हैं. मुझे आशा है कि शिक्षा विभाग आवश्यक कदम जरूर उठायेगी.
माणिक मुखर्जी, कांड्रा, सरायकेला-खरसावां