नयी दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि उसके द्वारा गठित एक उपयुक्त पीठ राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि मालिकाना विवाद मामले की सुनवाई की तारीख तय करने के लिए 10 जनवरी को आदेश देगी. मामले पर लोगों की प्रतिक्रियां आनीं शुरू हो गयी है. आयोध्या मामले को लेकर जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कांफ्रेंस के नेता फारुक अब्दुल्ला का भी बयान सामने आया है. उन्होंने कहा है कि भगवान राम सारी दुनिया के हैं, वे सिर्फ हिन्दुओं के भगवान नहीं हैं. इस मसले को कोर्ट में क्यों घसीटने का काम किया जा रहा है ?
Farooq Abdullah on Ayodhya issue: Bhagwan Ram se kisi ko baer nahi hai na hona chahiye. Koshish karni chahiye suljhane ki aur banane ki. Jis din ye ho jayega main bhi ek patthar lagane jaaonga. Jaldi samadhaan hona chahiye https://t.co/eIBPpvpr8G
— ANI (@ANI) January 4, 2019
अब्दुल्ला ने न्यूज एजेंसी एएनआई से कहा कि अयोध्या मु्ददे पर चर्चा होनी चाहिए, और इसे बातचीत से हल करना चाहिए. इसे कोर्ट में क्यों घसीटा जाना चाहिए ? उन्होंने कहा कि भगवान राम से किसी को बैर नहीं है..ना होना चाहिए…मामले को सुलझाने की कोशिश करनी चाहिए…जिस दिन ये हो जाएगा मैं भी एक पत्थर लगाने जाऊंगा….
भाजपा की प्रवक्ता शाजिया इल्मी ने मामले को लेकर सोनियां गांधी पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि सोनिया गांधी बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी से क्यों नहीं कहतीं कि वो अपना पक्ष वापस ले लें और वहां मंदिर बनाने का रास्ता साफ कर दें.
साजिया ने ऐसा कहकर उनलोगों को जवाब दिया है जो कहते नजर आते हैं मंदिर वहीं बनाएंगे लेकिन तारीख़ नहीं बताएंगे. आपको बता दें कि तारीख वाली बात भाजपा की सहयोगी पार्टी शिवसेना और विपक्ष लगातार करती आ रही है. अयोध्या मामले पर भाजपा सांसद राकेश सिन्हा ने कहा कि अब इसमें कोई संदेह नहीं रहा कि सुप्रीम कोर्ट के लिए राम मंदिर कोई मुख्य मुद्दा नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने जहां जलीकट्टू जैसे अन्य मुद्दों पर जल्दीबाज़ी दिखाने का काम किया वहीं वो इस मामले पर टाल मटोल कर रहीं है. यह बेहद निराशाजनक है और सुप्रीम कोर्ट मामले में जल्दी से जल्दी निर्णय ले. आगे उन्होंने कहा कि संघ और भाजपा की भी यही मांग है.
वहीं, मुस्लिम पक्षकार इकबाल अंसारी ने मामले को लेकर कहा कि कोर्ट का फैसला सबको मानना होगा. उन्होंने कहा कि हिंदू-मुस्लिम दोनों पक्षकारों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट का जो फैसला होगा वो दोनों पक्ष मानेंगे.