जमशेदपुर :
जिला में भारी वाहनों की स्पीड लिमिट मापने के लिए कोई यंत्र नहीं है. स्पीड लिमिट की जांच के अभाव में शहर में रातभर सड़कों पर मौत दौड़ती है. नो-इंट्री के समय समाप्त होने के बाद मानगो डिमना चौक, सुंदरनगर थाना चौक, मरीन ड्राइव तथा आदित्यपुर खरकई पुल से भारी वाहन जल्दी अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए तेज रफ्तार से शहर में प्रवेश करते हैं और शहर की सुनसान सड़कों पर वाहनों की स्पीड 80 से 100 की होती है.
स्पीड लिमिट निर्धारित करने की अधिकार जिला प्रशासन को है और उसे लागू करने का काम ट्रैफिक पुलिस करती है. जिला में भारी वाहनों का स्पीड लिमिट निर्धारित नहीं किया गया है और दूसरी तरफ स्पीडोमीटर नहीं है.
ऐसे में रात में ग्यारह बजे के बाद नो-इंट्री खुलने के बाद शहर की सड़कों पर भारी चालक बेखौफ होकर तेज रफ्तार से वाहन चलाते हैं. कई बार तो चेकिंग प्वाइंट पर पुलिस के खड़ा रहने के बाद भी भारी वाहन की रफ्तार में कोई कमी नहीं आती है. गोलचक्कर पर भी मुड़ने के दौरान वाहनों की स्पीड में 40 से 50 के बीच होती है.
स्पीडोमीटर के अभाव में रात में भारी वाहन करते हैं रेसिंग : शहर में स्पीडोमीटर के अभाव में रात में भारी वाहन के चालक आपस में रेसिंग करते हुए चलते हैं. स्टेशन रोड में जिस ट्रेलर ने दो लोगों की जान ली.
वह ट्रेलर भी रेसिंग करते सड़क से गुजरा था
सूत्रों की मानें, तो खूनी ट्रेलर आदित्यपुर खरकई ब्रिज से पार होकर चाईबासा की तरफ जा रहा था. ट्रेलर चालक के अन्य दो साथी भी दूसरे वाहनों को लेकर चाईबासा जा रहे थे. खरकई पुल से लेकर स्टेशन जाने वाले मार्ग तक तीनों वाहनों के बीच रेसिंग चल रही थी. स्टेशन के पास खूनी ट्रेलर से पहले रेसिंग करने वाले दो बड़े वाहन पार हो चुके थे.
शहर में कैमरा लगी वैन से होगी स्पीड लिमिट की जांच
जिला पुलिस को पहली कैमरा लगी वैन इंटरसेप्टर मिली है, जो शहर में छोटे वाहनों की स्पीड लिमिट की जांच करेगी. यह वाहन गुरुवार को साकची थाना कैंपस स्थित ट्रैफिक डीएसपी कार्यालय पहुंचा. वहां डेमो के जरिये ट्रैफिक डीएसपी शिवेंद्र ने पांचों ट्रैफिक थानेदारों और पुलिस पदाधिकारियों को स्पीड लिमिट जांच के तरीके बताये. डीएसपी ने बताया कि वैन में लगा कैमरा वाहन की रफ्तार के साथ नंबर को भी रिकॉर्ड कर लेगा. शुक्रवार से इसकी जांच होगी.